Gorakhpur News: 'पापा, आपने उपचार के लिए छोड़ा...डॉक्टरों ने मुंह मोड़ा', पिता ने दो पन्ने में लिखा था पत्र
उत्तर-प्रदेश के गोरखपुर जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे जानकर आपका कलेजा रो पड़ेगा। दरअसल यहां शुक्रवार को एक पिता अपनी दो साल की बच्ची को बीआरडी में छोड़ दिया। साथ में दो पन्ने का एक पत्र भी डॉक्टर के लिए लिखा। लिखा गया है कि मुझे माफ कीजिएगा डॉक्टर साहब। मेरी बच्ची कभी भी सही नहीं हो पाएगी। इसलिए मैं इसे हास्पिटल में दे रहा हूं।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। 'पापा, आखिर मेरा गुनाह क्या था जो आपने इस तरह छोड़ दिया। जिस उम्मीद में आपने मुझे अस्पताल की चौखट पर छोड़ा वह तो पूरा नहीं हुआ। आपने उपचार के लिए छोड़ा और यहां डॉक्टरों ने भी मुंह मोड़ लिया है।
अंजान आंखों की टकटकी के बीच एक गोद से दूसरी गोद में मुझे बेचारी बताते हुए इधर से उधर घुमाया जाता रहा। ऐसा नहीं है कि मैं आपको पहचानती नहीं। मुझे आपका चेहरा, आपके प्यार का स्पर्श सब पता है तभी तो मैं आपको देखने के लिए रो रही हूं।
कोई कह रहा है कि भूखी होगी इसलिए रो रही है, कुछ कहते हैं कि अंदर दर्द होगा। हां, मैं दर्द में हूं। दर्द आपसे बिछड़ने का है। आपने खुद की जिम्मेदारी से मुक्त होकर डॉक्टर से उपचार की जो उम्मीद जताई थी, वह बेमानी साबित हुई है।
आपने अस्पताल छोड़ा और डॉक्टरों ने पुलिस और चाइल्ड लाइन की मदद से अनाथ आश्रम भेज दिया। इन सबके बीच न तो किसी डॉक्टर ने मुझे देखा और न ही किसी ने उपचार की परवाह की। पापा, मुझे उम्मीद है कि आप आएंगे और मुझे फिर अपनी गोद में उठाकर दुलराएंगे। मम्मी भी बहुत रो रही होगी...उसे भी ले आइएगा।'
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बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज के वार्ड नंबर सौ (पुराना बाल रोग विभाग) के पास शुक्रवार को लावारिश मिली दो वर्षीय बच्ची यदि अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरो पाती तो शनिवार को वह कुछ ऐसा ही कहती। उसके बगल में मिले झोले में दो सेट कपड़ा, चप्पल और दो पन्ने में लिखा पत्र था।
पत्र की शुरुआत में वि. कुमारी, जन्म - 17-08-22 लिखा है। इसमें लिखा गया है कि, 'मुझे माफ कीजिएगा डॉक्टर साहब। मेरी बच्ची कभी भी सही नहीं हो पाएगी। इसलिए मैं इसे हास्पिटल में दे रहा हूं ताकि मेरी बेटी की वजह से दूसरे बच्चे की जान बच सके।
इसका हर एक अंग किसी दूसरे बच्चे को लगा दीजिएगा ताकि मेरी बेटी की वजह से दूसरे बच्चे की जान बच सके। प्लीज हमें ढूंढने की कोशिश न कीजिएगा, क्योंकि मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है। दिल पर पत्थर रखकर अपनी बेटी को दे रहा हूं। इसका दिमाग सिकुड़ गया है। झटका आता है।
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सबसे पहले इसके कान का उपचार कर दीजिएगा। मेरी बेटी मुझे माफ करना। डॉक्टर साहब आप लोग भी माफ कीजिएगा, प्लीज। इसकी वजह से मेरी पत्नी और बच्चों के सेहत पर बहुत ज्यादा असर पड़ रहा है।'
डॉक्टरों ने देखा तक नहीं
मेडिकल कालेज के वार्ड नंबर सौ के सामने बच्ची को छोड़ने के पीछे मंशा तत्काल उपचार की रही होगी। पहले यहीं बच्चों का उपचार भी होता था लेकिन अब पांच सौ बेड के बाल रोग संस्थान में उपचार हो रहा है। बच्ची मिलने के बाद कम से कम किसी डॉक्टर से उसका उपचार कराना चाहिए था, लेकिन न तो पुलिस ने ध्यान दिया और न ही चाइल्ड लाइन को इसकी परवाह रही।
सभी किसी तरह बच्ची को अनाथ आश्रम भेजकर अपना पीछा छुड़ाने में उसी तरह जुटे रहे जिस तरह बच्ची के पिता। जंगल एकला नंबर एक स्थित प्राेविडेंस होम की कर्मचारी ने शनिवार शाम फोन पर बताया कि, 'बच्ची लगातार रो रही है। अभी किसी डाक्टर ने उसे नहीं देखा है।'
बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य रामकुमार जायसवाल ने कहा कि बच्ची के मिलने की सूचना हमें नहीं दी गई। महिला कर्मचारी ने मेडिकल कालेज चौकी पुलिस को उसे सौंप दिया। पुलिस ने चाइल्ड लाइन और चाइल्ड लाइन से प्रोविडेंस होम पहुंचा दिया। यदि कोई बच्ची को भर्ती करवाएगा तो उसका उचित उपचार कराया जाएगा।
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