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    बेहद रोचक है गीताप्रेस की स्थापना की कहानी, कभी किराए के कमरे में शुरू हुआ प्रकाशन, आज पूरे विश्व में पहचान

    कोलकाता का प्रेस मालिक बार-बार गीता के प्रकाशन में संशोधन करने से दुखी हो गया। जिसके बाद प्रेस मालिक ने कहा कि इतनी शुद्ध गीता प्रकाशित करवानी है तो अपना प्रेस लगा लीजिए। यही वजह रही कि गोरखपुर ने गीता के प्रचार- प्रसार की जिम्मेदारी उठाई।

    By Pragati ChandEdited By: Pragati ChandUpdated: Mon, 19 Jun 2023 03:34 PM (IST)
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    बेहद रोचक है गीताप्रेस की स्थापना की कहानी। -जागरण

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गीताप्रेस की स्थापना की कहानी बड़ी रोचक व प्रेरित करने वाली है। 1921 में कोलकाता में जयदयाल गोयंदका ने गोविंद भवन ट्रस्ट की स्थापना की थी। इसी ट्रस्ट के अंतर्गत वहीं से गीता का प्रकाशन कराते थे। शुद्धतम गीता के लिए प्रेस को कई बार संशोधन करना पड़ता था। प्रेस मालिक ने एक दिन कहा कि इतनी शुद्ध गीता प्रकाशित करवानी है तो अपना प्रेस लगा लीजिए। गोयंदका इस बात से दुखी नहीं हुए। उन्होंने इसे भगवान का अदेश मानकर स्वीकार कर लिया और इस कार्य के लिए गोरखपुर को चुना।

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    गोरखपुर के श्रद्धालुओं ने ली थी यह जिम्मेदारी

    सेठजी कोलकाता में सत्संग करते थे। उनके सत्संग में गोरखपुर से भी दो श्रद्धालु पहुंचे थे। सेठजी ने सत्संग के दौरान प्रेस मालिक की बात श्रद्धालुओं से साझा की। गोरखपुर के महावीर प्रसाद पोद्दार व घनश्याम दास जालान ने कहा कि यदि प्रेस गोरखपुर में लग जाए तो उसकी देखभाल हम कर लेंगे। इसके बाद तय हुआ कि गोरखपुर में ही प्रेस की स्थापना की जाए। 1923 में उर्दू बाजार में 10 रुपये महीने के किराए पर एक कमरा लिया गया और वहीं से शुरू हो गया गीता का प्रकाशन। धीरे-धीरे गीताप्रेस का निर्माण हुआ और इसकी वजह से पूरे विश्व में गोरखपुर को एक अलग पहचान मिली।

    कभी किराए के कमरे में शुरू हुआ प्रकाशन, अब दो लाख वर्गफीट में फैला प्रेस

    आज यह प्रेस दो लाख वर्गफीट में फैला हुआ है। 29 अप्रैल, 1955 को भारत के तत्कालीन व प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने गीताप्रेस भवन के मुख्य द्वार व लीला चित्र मंदिर का उद्घाटन किया था। चार जून, 2022 को तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने गीताप्रेस में शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ किया था। समापन समारोह तीन मई को था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आना था, लेकिन किसी कारणवश वह नहीं आ पाए। समापन हो गया है, लेकिन प्रधानमंत्री के आने पर औपचारिक समापन समारोह का आयोजन किया जाएगा।