UP के इस गांव में फ्रांसीसी परिवार जप रहा ओम नम: शिवाय, ताकि मिले कोरोना से मुक्ति Gorakhpur News
लॉकडाउन में भारत नेपाल सीमा के भारतीय जिले महराजगंज में फंसे फ्रांसीसी परिवार ऊं नम शिवाय का जाप कर रहा है।
गोरखपुर, विश्वदीपक त्रिपाठी। फ्रांस का चौथा सबसे बड़ा शहर 'टूलोज'। अपनी गुलाबी खूबसूरती के लिए मशहूर। इस शहर का एक परिवार महराजगंज के गांव सिंहोरवा में एक ऐसी कहानी बुन रहा है, जैसे हॉलीवुड के किसी फिल्म की पटकथा तैयार हो रही हो। सिलसिला ऐसे शुरू होता है-टूलोज से पैट्रीस पैलारे और उनका परिवार कई देशों के भ्रमण पर निकलता है।
यह परिवार पाकिस्तान से अटारी बॉर्डर होते हुए भारत में प्रवेश करता है। उत्तर प्रदेश के महराजगंज होते हुए नेपाल जाना है, तभी लॉकडाउन हो जाता है। तब से गांव सिंहोरवा इनका ठिकाना है। पूरा परिवार गंवई रंग में रंग गया है। कहते नहीं थकता है-'आइ लव इंडिया'।
21 मार्च से गांव के शिव मंदिर में रह रहा है फ्रांसीसी परिवार
पेशे से मोटर मैकेनिक पैट्रीस 21 मार्च से गांव के शिव मंदिर में परिवार सहित रहे हैं।
पुजारी हरिदास बाबा ने पैट्रीस को नंदबाबा, उनकी पत्नी वर्जिनी को यशोदा, बेटियों ओफली को राधा, लोला को रुक्मिणी और बेटे टॉम को कृष्णा नाम दिया है। गांव वाले इन नए नामों से ही पहचानते हैं। सुबह शाम भगवान शिव की पूजा व आरती में शामिल होते हैं। ओम नम: शिवाय का जप कर विश्व को कोरेाना से मुक्ति दिलाने की कामना करते हैं।
मांसाहार छोड़ा बने शाकाहारी
यह परिवार कभी-कभार ही खाना बनाता है। शिव मंदिर से नियमित भोजना उपलब्ध कराया जाता है-रोटी, चावल, दाल साग-सब्जी। लेकिन चावल-दाल और पालक की साग सबसे ज्यादा पसंद है।
वर्जिनी, ओफली और लोला मंदिर की रसोई में हाथ बंटाती हैं। मांसाहार बंद कर दिया है। छप्पर उठाने में गांव वालों का साथ पैट्रीस देते हैं तो बोरी में भूसा डालने में टॉम मदद करते हैं। ओफली और लोला की सहेलियां उनकी चोटी कर मेंहदी भी लगाती हैं। पैट्रीस ने कहा कि भारत घर जैसा है। यहां लग ही नहीं रहा कि हम दूसरे देश में हैं। पाकिस्तान भ्रमण के बारे में बताया कि वहां के लोगों में वह अपनापन नहीं दिखा, जो यहां दिख रहा है। भारत को भूलना मुश्किल है, आइ लव इंडिया।
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पैट्रीस पैलारे की वैन चलता फिरता घर है। इसमें रहने-खाने की पूरी व्यवस्था है।
पैलारे खुद मोटर मैकेनिक हैं। ऐसे में उन्हेंने वैन में सामान रखने व सोने आदि की व्यवस्था अपने हिसाब से बनाई है। वैन और उससे जुड़ी ट्राली में पांच लोगों के सोने की व्यवस्था है। गैस सिलेंडर,फ्रीज, लैपटाप आदि भी यह लोग अपने साथ लेकर चल रहे हैं। जिसके चलते वे कहीं भी रुक कर के भोजन बना आराम करते हैं। वाहन में सोलर पैनल भी लगा है। जिससे वह जहां भी रहे बिजली की व्यवस्था हो जाती है। स्नान और शौचालय की व्यवस्था मंदिर के निकट विद्यालय में की गई है।
फ्रांसिसी परिवार का हर सदस्य सुबह मेरे साथ नियमित पूजा-अर्चना में हिस्सा ले रहा है। उनकी आस्था भगवान शिव से जुड़ चुकी है। लग ही नहीं रहा कि दूसरे देश की सभ्यता व संस्कृति के लोग हैं। - बाबा हरिदास, शिवमंदिर के पुजारी
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