साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ तिवारी को उपराष्ट्रपति के हाथों मिलेगा मूर्तिदेवी पुरस्कार
साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष और नामचीन कवि व आलोचक प्रो. विश्वनाथ तिवारी को राष्ट्रीय साहित्य अकादमी सभागार नई दिल्ली में 18 दिसंबर को भारतीय ज्ञानपीठ के प्रतिष्ठित 33वें मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें उपराष्ट्रपति एम. वैंकैया नायडू के हाथों मिलेगा।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष और नामचीन कवि व आलोचक प्रो. विश्वनाथ तिवारी को राष्ट्रीय साहित्य अकादमी सभागार नई दिल्ली में 18 दिसंबर को भारतीय ज्ञानपीठ के प्रतिष्ठित 33वें मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें उपराष्ट्रपति एम. वैंकैया नायडू के हाथों मिलेगा। पुरस्कार लेने के लिए बुलावे का पत्र प्रो. तिवारी को प्राप्त हो चुका है। इस पुरस्कार की घोषणा तो 2019 में ही हो गई थी लेकिन कोविड संक्रमण के चलते पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन दो वर्ष बाद हो रहा है।
प्रो. तिवारी की कृति 'अस्ति और भवति' पर मिल रहा पुरस्कार
प्रो. विश्वनाथ तिवारी को यह पुरस्कार उनकी कृति 'अस्ति और भवति' के लिए दिया जा रहा है। यह पुस्तक 2014 में राष्ट्रीय पुस्तक, न्यास, दिल्ली से प्रकाशित हुई थी। प्रो. तिवारी गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में आचार्य और वर्ष 2013 से 2017 तक साहित्य अकादमी, दिल्ली के अध्यक्ष रहे हैं। मूर्तिदेवी पुरस्कार भारतीय संविधान में स्वीकृत 22 भाषाओं में से किसी एक भाषा की चयनित कृति को दिया जाता है। जागरण से बातचीत में प्रो. तिवारी ने बताया कि ‘अस्ति व भवति’ उनके 50 से अधिक वर्षों के सार्वजनिक जीवन का आईना है। इसमें उन्होंने देश की समस्याओं, संकट, विकास, राजनीतिक टकराव, लेखकों के विचार, वैश्वीकरण के दौर में बदले मूल्यों से लेकर घर-परिवार, गांव से जुड़ी स्मृतियों का जीवंत चित्रण किया है।
‘दस्तावेज’ के संपादक हैं प्रो. तिवारी, प्रकाशित हो चुके है दर्जनों ग्रंथ
प्रो. तिवारी 1978 से हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका ‘दस्तावेज’ का संपादन व प्रकाशन कर रहे हैं। अबतक इसके लगभग दो दर्जन विशेषांक प्रकाशित हुए हैं। ‘दस्तावेज’ के लिए उन्हें सरस्वती सम्मान भी मिल चुका है। अबतक उनके शोध व आलोचना के 12 ग्रंथ, सात कविता संग्रह, चार यात्रा संस्मरण, तीन लेखक-संस्मरण व एक साक्षात्कार प्रकाशित हो चुके हैं। मूल रूप से कुशीनगर जिले के रायपुर भैंसही-भेड़िहारी गांव के रहने वाले प्रो. विश्वनाथ तिवारी गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रह चुके हैं। साहित्य के लिए वह इंग्लैंड, मारीशस, रूस, नेपाल, अमरीका, नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, लक्जमबर्ग, बेल्जियम, चीन, आस्ट्रिया, जापान और थाईलैंड आदि देशों की यात्रा कर चुके हैं।
प्रो. विश्वनाथ को मिल चुके हैं यह सम्मान
साहित्य अकादमी का महत्तर सम्मान, सरस्वती सम्मान, व्यास सम्मान, रूस का पुश्किन सम्मान, शिक्षक श्री सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, हिन्दी गौरव सम्मान, महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन सम्मान, महादेवी वर्मा गोयनका सम्मान, भारतीय भाषा परिषद का कृति सम्मान।