डा.केपी कुशवाहा समेत पांच अन्य भी घिरे
गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कालेज प्रकरण में पूर्व प्राचार्य डा. केपी कुशवाहा समेत पाच और स्वास्
गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कालेज प्रकरण में पूर्व प्राचार्य डा. केपी कुशवाहा समेत पाच और स्वास्थ्यकर्मी जाच के घेरे में आ गए हैं। शुक्रवार को कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में विवेचक ने इन लोगों की भूमिका संदिग्ध बताई है। सभी लोग आक्सीजन सप्लाई के लिए निकली निविदा कमेटी के सदस्य रहे हैं। पुष्पा सेल्स से अनुबंध में हुई गड़बड़ी के जिम्मेदार हैं। मामले की जांच कर रहे सीओ कैंट ने कोर्ट में साक्ष्य जुटाने के लिए विवेचना जारी रखने की दलील दी है।
कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में पुलिस का कहना है कि ऑक्सीजन टेंडर प्रक्रिया के लिए टेंडर कमेटी के सदस्य बीआरडी मेडिकल कालेज के तत्कालीन प्राचार्य डा. केपी कुशवाहा, सीएमओ डा. एआर सिंह, चिकित्साधिकारी डा. एके श्रीवास्तव, मुख्य कोषाधिकारी विनोद और वित्त नियंत्रक नीरज कुमार द्वारा टेंडर प्रक्रिया पूरी की गई है। जाच में पाया गया कि आईनाक्स कंपनी जो सीधे तौर पर ऑक्सीजन का उत्पादन करती है, उससे सीधे अनुबंध न करके पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड को बिचौलिया बनाकर अनुबंध किया गया। जो घोर अनियमितता है। जिसके कारण इनकी भूमिका संदिग्ध है। साथ ही तत्कालीन एसआइसी डा. एके श्रीवास्तव द्वारा अपने कार्यकाल में आक्सीजन का कोई लागबुक नहीं बनाया गया। सीओ कैंट अभिषेक सिंह द्वारा कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि विवेचना अभी जारी रहेगी।
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टेंडर प्रक्रिया में नहीं हुई है कोई गड़बड़ी : पूर्व प्राचार्य
मेडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. केपी कुशवाहा का कहना है कि आक्सीजन सप्लाई की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। एक्सपर्ट की टीम दो बार इसकी आडिट कर चुकी है। तीन बार टेंडर निकलने के बाद भी किसी कंपनी ने आवेदन नहीं किया। चौथी बार में पुष्पा सेल्स समेत तीन कंपनियों ने फार्म भरा। मानक पूरा करने के बाद पुष्पा सेल्स को आक्सीजन सप्लाई का टेंडर मिला था। टेंडर कमेटी डीएम की देखरेख में गठित हुई थी।
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