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शांति देवी हत्याकांड में पुलिस खाली हाथ, फाइल बंद

कुछ दिन तक पुलिस बहुत जल्दी वारदात का पर्दाफाश करने का दावा करती रही लेकिन शुरुआती कोशिशों के बाद भी हत्यारों का सुराग लगा पाने में नाकाम रहने पर कोई सबूत और गवाह न मिलने की रिपोर्ट लगाकर हत्याकांड की फाइल बंद कर दी।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 06:12 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 06:12 PM (IST)
शांति देवी हत्याकांड में पुलिस खाली हाथ, फाइल बंद
हत्‍या से संबंधित घटना के बारे में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन।पांच साल पहले 80 वर्षीय शांति देवी की हत्‍या के मामले में पुलिस खाली हाथ है। पुलिस के पास पास हत्या करने का कारणों की जानकारी तक नहीं है। शांति देवी हत्‍याकांड एक ऐसी घटना है, जो पुलिस की नाकामी का दस्तावेज बनकर फाइलों में कैद हो चुकी है। यह वारदात किसने, कब और क्यों अंजाम दी, इसका पता आज तक नहीं चल पाया। तब जबकि घटना की तफ्तीश में स्थानीय पुलिस और क्राइम ब्रांच के साथ ही कई अन्य टीमें भी लगाई गई थीं। कुछ दिन तक पुलिस बहुत जल्दी वारदात का पर्दाफाश करने का दावा करती रही, लेकिन शुरुआती कोशिशों के बाद भी हत्यारों का सुराग लगा पाने में नाकाम रहने पर 'कोई सबूत और गवाह न मिलने की रिपोर्ट लगाकर हत्याकांड की फाइल बंद कर दी।

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गला घोंटकर व सिर कुचलकर की गई थी हत्या

सेवानिवृत उप मुख्य सचिव स्व.कैलाशपति सिंह की पत्नी 80 वर्षीय शांति देवी का शव, 10 अक्टूबर 2015 की रात घर के अंदर मिला था। दूर के एक रिश्तेदार उस रात उनसे मिलने पहुंचे, तो घर के मुख्य दरवाजे में ताला लगा मिला। रिश्तेदार के पूछने पर पड़ोसियों ने बताया कि नौ अक्टूबर 2015 को सुबह उन्होंने आखिरी बार उन्हें लान में टहलते देखा था। अनहोनी की आशंका से परेशान रिश्तेदार की सूचना पर पुलिस वाले ताला तोड़कर अंदर पहुंचे तो ड्राइंगरूम में फर्श पर शांति देवी का शव मिला। गला घोंटने के बाद सिर पर भारी वस्तु से प्रहार कर उनकी हत्या की गई थी। उनके नाक, कान और गले से सोने के गहने गायब थे। कमरों में रखा सामान भी बिखरा पड़ा था। इस आधार पर पुलिस ने लूट के लिए वारदात की आशंका जताई थी।

संदेह के दायरे में आई थी नौकरानी

शांति देवी, कैंट इलाके के दाउदपुर मोहल्ले में घर में अकेले रहती थीं। घरेलू काम-काज के लिए उन्होंने एक नौकरानी रखा था। वैसे तो नौकरानी सुबह-शाम आती थी, लेकिन कभी-कभार रात में उनके घर ही रुक जाती थी। पुलिस की पूछताछ में पड़ोसियों ने बताया था कि नौकरानी के जानने वाले कुछ लोग भी अक्सर उसके साथ शांति देवी के घर आते थे। संदेह के आधार पर पुलिस नौकरानी और उसके साथ शांति देवी के घर आने वालों को हिरासत में लेकर कई दिन तक पूछताछ करती रही। इस दौरान नौकरानी बार-बार बयान बदलती रही और झूठ बोलती रही। पुलिस उसकी गलतबयानी और हत्याकांड के रहस्य की बिखरी कडिय़ों को एक सूत्र में पिरोने में नाकाम रही। इसके चलते पुलिसिया तफ्तीश कभी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई और अंतत: मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाकर पुलिस ने हाईप्रोफाइल हत्याकांड की जांच से किनारा कर लिया।


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