मगहर का महोत्सव : शासन से 50 लाख रुपये मिले तो ख्वाहिशें परवान चढ़े Gorakhpur News
मगहर महोत्सव में धन की कमी आड़े आ रही है। इस नाते तैयारी भी अधर में है।
गोरखपुर, जेएनएन : संतकबीर नगर में मगहर महोत्सव पर संशय बरकरार है। इसकी वजह महानिदेशक पर्यटन कार्यालय से 50 लाख की धनराशि न मिल पाना है। असमंजस इसलिए भी है क्योंकि इसके पहले कभी धन तो कई बार इच्छाशक्ति के अभाव में महोत्सव नहीं हो सका है। इस बार की संभावित तारीख 12 से 18 जनवरी 2020 है। मगहर महोत्सव का पहला सरकारी आयोजन 32 वर्ष पूर्व हुआ था। हालांकि इसकी नींव 1955-56 में ही पड़ गई थी। तब खलीलाबाद के व्यापारियों ने मकर संक्रांति पर चंदा जुटाकर दो दिन का मेला लगाया था। इसकी पहल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माजिद अली, जगन्नाथ प्रसाद उर्फ जग्गू बाबू, मुंशी शिव प्रसाद गुप्त, गांधी आश्रम के तत्कालीन मैनेजर पंडित रामनाथ चौबे समेत छह लोगों ने की थी। 1987 में बस्ती के तत्कालीन जिलाधिकारी पंकज अग्रवाल ने पहली बार प्रशासनिक स्तर पर मेला लगवाया था। खलीलाबाद के डिप्टी कलेक्टर आरसीपी सिंह की देखरेख में महोत्सव हुआ था। मुलायम सिंह ने दिए थे 25 लाख पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 15 साल पहले मगहर महोत्सव के लिए 25 लाख रुपये दिए थे। इसके बाद से ही यह सिलसिला शुरू हो गया। महोत्सव ने देखे कई उतार-चढ़ाव मगहर महोत्सव समिति के सदस्य वेद प्रकाश चौबे बताते हैं कि महोत्सव ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। वर्ष 2009 में महोत्सव जनवरी की बजाय मार्च में हुआ, लेकिन भुगतान केवल दो पार्टियों को किया गया। वर्ष 2014 में पर्यटन विभाग ने शासन को बजट लौटा दिया, जिससे कलाकारों व अन्य को भुगतान नहीं हो सका। 2016 में विधानसभा चुनाव के कारण तत्कालीन डीएम सुरेश कुमार ने बजट लौटा दिया और महोत्सव नहीं हो सका। 2018 में भी डीएम मार्कण्डेय शाही ने 40 लाख रुपये लौटा दिए और महोत्सव नहीं हुआ।
मैने प्रमुख सचिव व महानिदेशक पर्यटन-लखनऊ से गुरुवार को टेलीफोन पर बात की है। उन्होंने धन आवंटित किए जाने का आश्वासन दिया है।
रवीश गुप्त-डीएम
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