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    बीज खरीद का प्रमाण पत्र देंगे तब बिकेगा किसानों का हाइब्रिड धान, जानें- UP सरकार के इस फैसले का कितना होगा असर

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Thu, 17 Nov 2022 12:14 PM (IST)

    सरकार की धान खरीद नीति के इस प्रावधान से क्रय केंद्रों पर किसान परेशान होंगे। इसकी बड़ी वजह ये है कि कोई ब्लाक तो कोई निजी दुकानों से हाइब्रिड धान का बीज खरीदता है। ऐसे में आमतौर पर रसीद नहीं मिलती है।

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    सरकार की धान खरीद नीति के नए प्रावधान से क्रय केंद्रों पर परेशान होंगे किसान। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    गोरखपुर, उमेश पाठक। धान खरीद को लेकर सरकार की ओर से जारी नीति में हाइब्रिड धान को लेकर किए गए प्रावधान से किसानों के साथ-साथ क्रय केंद्र प्रभारियों की चिंता भी बढ़ गई है। धान लेकर क्रय केंद्र पर पहुंचने वाले किसान से पहले हाइब्रिड बीज खरीदने का प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। प्रमाण पत्र रहेगा तो धान की खरीद होगी अन्यथा किसान को वापस जाना होगा। जिले के अधिकतर किसानों के पास बीज खरीद का प्रमाण पत्र नहीं है। अभी कई क्षेत्रों में कटाई पूरी न होने के कारण केंद्रों पर भीड़ कम है। जैसे ही किसानों की आवक बढ़ेगी इस समस्या के केंद्रों पर विवाद भी हो सकता है।

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    ये है नई नीति

    इस बार धान खरीद नीति में हाइब्रिड धान बेचने के लिए उसका बीज खरीदने की मूल रसीद यानी बीज प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने को अनिवार्य बनाया गया है। पिछले साल तक एक घोषणा पत्र भरकर काम चल जाता था। खाद्य विभाग के अधिकारियों के पास इस तरह ही समस्या पहुंच रही है। कुछ किसान हाइब्रिड धान लेकर केंद्र पर पहुंच रहे हैं लेकिन उनसे धान की खरीद नहीं हो रही। केंद्र प्रभारियों का कहना है कि जबतक प्रमाण पत्र को आनलाइन फीड नहीं किया जाएगा, धान नहीं खरीद सकते। ऐसे में बड़ी संख्या में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित रह सकते हैं।

    जिले में 45 प्रतिशत है हाइब्रिड धान का उत्पादन

    अधिक पैदावार की दृष्टि से किसान हाइब्रिड धान बोना पसंद करते हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में इस धान का उत्पादन कुल पैदावार का 45 प्रतिशत है। सरकार ने क्रय केंद्रों से अधिकतम 35 प्रतिशत हाइब्रिड धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। किसान धान का बीज ब्लाक से लेते हैं तो वहां रजिस्टर में नाम नोट कर बीज दे दिया जाता है। निजी दुकानों से उन्हें पक्की रसीद शायद ही मिलती है। यदि रसीद ली भी हो तो उसे खरीद शुरू होने तक संभालकर रखना भी मुश्किल है। जिले में अभी भी अधिकतर प्रगतिशील किसान भी सरकार की इस नीति से अनभिज्ञ हैं। आशंका जताई जा रही है कि यदि नीति में बदलाव नहीं हुआ तो खरीद का लक्ष्य पूरा कर पाना आसान नहीं होगा।

    जिले में 2500 मीट्रिक टन हुई है धान की खरीद

    जिले में अभी तक 2500 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है। जिला खाद्य विपणन अधिकारी राकेश मोहन पांडेय ने बताया कि कई क्षेत्रों में धान की कटाई चल रही है। अगले सप्ताह से धान खरीद में तेजी आएगी। उन्होंने बताया कि हाइब्रिड धान की खरीद को लेकर जो नीति बनाई गई है, उसका अनुपालन किया जा रहा है। कुछ समस्या आ रही है। इस संबंध में उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।

    क्या कहते हैं किसान

    • भटहट के खिरिया के प्रगतिशील किसान भागवत शरण श्रीवास्तव ने कहा कि हाइब्रिड धान का बीज खरीदते हुए आमतौर पर रसीद नहीं मिलती है। इस बात की किसी को जानकारी भी नहीं थी कि धान बेचने में इसकी जरूरत पड़ेगी। सरकार को इस नीति पर विचार करना चाहिए।
    • गोला के बनकटा के प्रगतिशील किसान निशीथ राय ने कहा कि हाइब्रिड धान बोया गया है। इस बात की जानकारी नहीं थी कि धान बेचने से पहले रसीद देनी होगी। हमारे पास रसीद नहीं है। धान बेचने में हमें समस्या आएगी।
    • गोला के चवरिया के प्रगतिशील किसान नवल चंद्र शुक्ल ने कहा कि कोई भी नई नीति बने तो उसका प्रचार-प्रसार कराना चाहिए। हम सीधे क्रय केंद्र पहुंचेंगे तब हमसे प्रमाण पत्र मांगा जाएगा। ऐसा शायद ही कोई किसान हो, जिसके पास प्रमाण पत्र होगा। इस नीति पर विचार करने की जरूरत है।

    क्या कहते हैं जानकार

    उत्तर प्रदेश खाद्य तथा रसद अराजपत्रित कर्मचारी संघ के पूर्व महामंत्री नरसिंह प्रसाद सिंह ने बताया कि यह नीति बनाने की कोई जरूरत नहीं थी। नीति बनाने वालों से मेरा सवाल है कि कोई पिछले साल का बीज रखा होगा तो उसके पास प्रमाण पत्र कहां से आएगा? यदि ऐसी नीति बनानी थी तो शुरू से ब्लाक व बीज की दुकानों के माध्यम से किसानों को जागरूक करना चाहिए था।

    क्या कहते हैं अधिकारी

    संभागीय खाद्य नियंत्रक महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि हाइब्रिड धान खरीद को निर्देशों का पालन किया जा रहा है। अभी तक कोई समस्या संज्ञान में नहीं आई है। यदि किसानों को कोई समस्या आएगी तो उसका निराकरण किया जाएगा।