सरसो की खेती कर किसान बढ़ा सकते हैं अपनी आय, यह प्रजातियां देती हैं अधिक उपज
सरसो की खेती करके किसान अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार सरकार भी लगातार तिलहन उत्पादन व उसके क्षेत्रफल वृद्धि की दिशा में जोर दे रही है। उन्नतशील प्रजातियों के साथ सरसो की बोआई एक से 10 नवंबर तक करना बेहतर होता है।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। किसान सरसो की खेती करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं। सरसो में तमाम ऐसी उन्नतिशील प्रजातियां हैं, जिनका उत्पादन बेहतर है। आरएच 749, एनआरसीबीएच-101, गिरिराज व नरेन्द्र राई 8501 की बोआई से किसानों को 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिल सकती है। ऐसे पीली सरसो की उन्नतिशील प्रजातियों में बसंती, वाइएसएच 401, एनआरसीवाइएस 0502 अधिक उप्तादन के साथ 42 फीसद तेल प्राप्त किया जाता है।
तिलहन की खेती बढ़ाने पर जोर दे रही है सरकार
देश में लगातार खाद्य तेलों की कीमत बढ़ रही है। ऐसे में सरसो की खेती करके पूर्वांचल के किसान अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार सरकार भी लगातार तिलहन उत्पादन व उसके क्षेत्रफल वृद्धि की दिशा में जोर दे रही है। कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार की ओर से कलस्टर प्रदर्शनों में सरसो की उन्नतशील प्रजातियों के साथ सरसो की बोआई एक से 10 नवंबर के मध्य करने पर उत्पादन में वृद्धि के साथ माहो का प्रकोप भी कम होता है। अधिक पैदावार के लिए लाइन से लाइन की दूरी 45 सेमी व पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी रखनी चाहिए।
ऐसे करें सरसो की बुवाई
सरसो की अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ 150 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट, 40 किग्रा क्युरेट आफ पोटाश व पूरी फसल में 105 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ खेत में डालना चाहिए। फसल में दो बार यूरिया डालना चाहिए। यदि सिंगल सुपर फास्फेट उपलब्ध न हो तो डीएपी 52 किग्रा, यूरिया 84 किग्रा, म्यूरेट आफ पोटाश 40 किग्रा, सल्फर 16 किग्रा प्रति एकड़ फसल को देना चाहिए। जिप्सम 200 किलो बोआई के समय प्रयोग करने से सल्फर अलग से डालने की जरूरत नहीं होती है।
इसके अलावा खरपतवार नियंत्रण, सरसो में खरपतवार नियंत्रण के लिए बोआई के दो-तीन दिन के भीतर 1.25 लीटर पैंडीमिथेलीन 30 इसी को 300 लीटर पानी में घोलकर समान रूप से छिड़कांव करना चाहिए। बोआई से पहले पीएसबी से भूमि शोधन करने पर फसल को फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ जाती है। इससे किसान अपनी सरसो की फसल में 15 प्रतिशत फास्फोरस कम प्रयोग कर सकते हैं। - डा. एसके तोमर, अध्यक्ष- केवीके बेलीपार, गोरखपुर।
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