पूर्वांचल के प्रसिद्ध वैद्य आत्माराम दुबे का कोरोना संक्रमण से निधन Gorakhpur News
वैद्य आत्माराम दुबे को 25 अप्रैल को सर्दी-जुकाम हुआ। वह अपनी ही दवा करते रहे। 29 अप्रैल को तबीयत ज्यादा खराब होने पर कोविड जांच कराई गई तो रिपोर्ट पाजिटिव आई। उन्हें टीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वांचल के जाने-माने वैद्य आत्माराम दुबे का गुरुवार को कोरोना से निधन हो गया। मेदांता गुड़गांव में उनका पिछले मंगलवार से इलाज चल रहा था। वह 80 वर्ष के थे। उनके निधन से चिकित्सा जगत में शोक की लहर व्याप्त हो गई है। उनका अंतिम संस्कार वाराणसी में किया जाएगा।
वैद्य आत्माराम दुबे को 25 अप्रैल को सर्दी-जुकाम हुआ। वह अपनी ही दवा करते रहे। 29 अप्रैल को तबीयत ज्यादा खराब होने पर कोविड जांच कराई गई तो रिपोर्ट पाजिटिव आई। उन्हें टीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 10 मई को निगेटिव आने पर उन्हें स्वजन ने सावित्री हास्पिटल में भर्ती करा दिया लेकिन आक्सीजन लेवल 85 से 92 के बीच बना रहा। विशेष सुधार न होने पर उन्हें पिछले मंगलवार को मेदांता गुड़गांव में भर्ती कराया गया। वहां पुन: जांच में वह कोविड पाजिटिव आए। इलाज के दौरान गुरुवार को सुबह छह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
1960 से कर रहे थे प्रैक्टिस
आत्माराम दुबे वाराणसी के अर्जुनानंद-दर्शनानंद आयुर्वेद महाविद्यालय से आयुर्वेदिक मेडिसिन में डिग्री ली थी। यह महाविद्यालय अब संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में तब्दील हो चुका है। डिग्री लेने के बाद 1960 में उन्होंने दुर्गाबाड़ी के पास अपनी क्लीनिक खोली। दो साल पहले तक मरीजों का इलाज करते रहे।
पिता भी थे वैद्य
आत्माराम दुबे का जन्म 1941 में हुआ था। वह चौरीचौरा के ब्रह्मपुर निवासी वैद्य गया प्रसाद दुबे के पुत्र थे। उनकी पत्नी का निधन 2003 में ही हो गया था। उनके दो पुत्र शिवा निकेत दुबे व कृष्ण निकेत दुबे आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं। उनके चार पौत्र हैं। रामेश्वर दुबे आयुर्वेदिक चिकित्सक व अमरेश्वर दुबे दंत रोग विशेषज्ञ हैं। अभिजीत इंजीनियरिंग व मुकुल एमबीए की पढ़ाई कर रहे हैं।
वाराणसी में चल रही अंतिम संस्कार की तैयारी
उनके पुत्र शिवा निकेत दुबे ने बताया कि मेदांता से सीधे उनका पार्थिव शरीर वाराणसी लाया जाएगा। वहां घाट पर तैयारी चल रही है। यहां से भी पूरा परिवार वाराणसी जाने की तैयारी कर रहा है।
दो साल से लोगों से रहते थे दूर
शिवा निकेत दुबे ने बताया कि पिछले दो साल से वह लोगों से दूर रहते थे और लोगों को भी कहते थे कि उनसे दूर रहें ताकि मोह कम हो।
पूर्वांचल की अपूरणीय क्षति : अरुण श्रीवास्तव
वैद्य आत्माराम दुबेे के निधन को वैद्य अरुण श्रीवास्तव ने पूर्वांचल के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। उन्होंने कहा कि आत्माराम दुबेे आजीवन लोगों की सेवा करते रहे। उनके निधन से आयुर्वेद जगत की जो क्षति हुई है उसकी भरपाई कठिन है। अरुण श्रीवास्तव ने कहा आत्मा राम दुबे ने मेरे जैसे बहुत से लोगों को आयुर्वेद की शिक्षा दी जो आयुर्वेद के माध्यम से लोगों की सेवा कर रहे हैं।
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