Navratri 2024: इस मंदिर की अनोखी है कहानी, यहां नाच नहीं दिखाने पर पूरी बारात डूब गई थी पानी में, बस एक की बची थी जान, जानिए कैसे
Budhiya Mai Mandir Gorakhpur गोरखपुर जिले के घने जंगल में स्थित बुढ़िया माई मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। नवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। इस मंदिर में माता के सामने विश्वास से सिर झुकाने वाले भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। बुढ़िया माई मंदिर गोरखपुर मुख्यालय से पूरब लगभग 10 किलोमीटर दूर कुसम्हीं जंगल में स्थित है।

बुढ़िया माई मंदिर गोरखपुर मुख्यालय से पूरब लगभग 10 किलोमीटर दूर कुसम्हीं जंगल में स्थित है। वहां जाने के लिए विश्वविद्यालय चौराहे से कसया की तरफ जाने वाली किसी भी सवारी गाड़ी से पहुंचा जा सकता है।
इतिहास
किवदंतियों के अनुसार पहले यहां बहुत घना जंगल था जिसमें एक नाला बहता था। नाले पर लकड़ी का पुल था। एक बरात आकर नाले के पूरब तरफ रुकी। वहां सफेद वस्त्रों में एक बूढ़ी मां बैठी थीं। उन्होंने नाच मंडली से नाच दिखाने को कहा।
मंडली बुढ़िया मां का मजाक उड़ाते हुए चली गई। लेकिन जोकर ने बांसुरी बजाकर पांच बार घूमकर नाच दिखा दिया। बुढ़िया माई ने प्रसन्न होकर जोकर को आगाह किया कि वापसी में तुम सबके साथ पुल पार मत करना।
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तीसरे दिन बरात लौटी तो वही बुढ़िया माई पुल के पश्चिम तरफ मौजूद थीं। बरात जब बीच पुल पर आई तो पुल टूट गया और पूरी बरात नाले में डूब गई। केवल जोकर बचा जो बरात के साथ नहीं था।
इसके बाद बुढ़िया माई अदृश्य हो गईं। जोकर ने यह बात सबको बताई। तभी से नाले के दोनों तरफ का स्थान बुढ़िया माई के नाम से जाना जाता है। दोनों तरफ मंदिर बना है।
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विशेषता
बुढ़िया माई के दो मंदिर हैं, दोनों के बीच में एक प्राचीन नाला बहता है। जब पानी रहता है तो यहां नाव के सहारे लोग उस पार जाते हैं। मान्यता है कि मां के मंदिर में सबकी मन्नतें पूरी होती हैं। नवरात्र में नेपाल व बिहार से भी बड़ी संख्या में भक्त आते हैं।
पुजारी रामानंद ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाता है। उन्हें हर प्रकार का सहयोग प्रदान किया जाता है। सफाई व पेयजल की समुचित व्यवस्था की गई है।
श्रद्धालु पूजा गुप्ता ने कहा कि बुढ़िया माई के चरणों में मेरी गहरी आस्था है। कई वर्षों से नवरात्र में मैं मां का दर्शन करने आती हूं। मां मेरी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
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