Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Taste of Gorakhpur: यहां के पत्तल में बाटी और मिट्टी के बर्तन में दाल-चोखा का हर कोई है दिवाना

    By Pradeep SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 11 Nov 2022 11:19 PM (IST)

    Taste of Gorakhpur गोरखपुर की लिट्टी चोखा और दाल धूम मचा रहा है। गोरखपुर में एक रेस्टोरेंट का देसी अंदाज लोगों को काफी पसंद आ रहा है। यहां की दाल बाटी चोखा खिचड़ी जैसे ठेठ देसी व्यंजन वह भी पत्तल और मिट्टी के बर्तन में मिलते हैं।

    Hero Image
    गोरखपुर में लिट्टी चोखा और दाल धूम मचा रही है। - प्रतीकात्मक तस्वीर

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शहर के रेस्टाेरेंट में ठेठ देसी खाना वह भी देसी अंदाज में, सुनने में एकबारगी विश्वास नहीं होता लेकिन यह संयोग देखने को मिल रहा राप्तीनगर के एक रेस्टोरेंट में, जिसका नाम ही परंपरा है। इस रेस्टोरेंट में दाल-मखनी, पनीर पसंदा, पनीर व मशरूम दो प्याजा जैसे व्यंजन नहीं मिलते। मिलते हैं दाल, बाटी, चोखा, खिचड़ी जैसे ठेठ देसी व्यंजन, वह भी पत्तल और मिट्टी के बर्तन में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दोपहर से लेकर शाम तक लगी रहती है दुकान पर भीड़

    रेस्टोरेंट प्रबंधन की व्यंजन पेशगी का यह देसी अंदाज अत्याधुनिक सोच के लोगों को भी खूब भा रहा है। दोपहर से लेकर देर शाम तक वहां उमड़ने वाली ग्राहकों की भीड़ इसका प्रमाण है। क्या बच्चे या बूढ़े और क्या महिला या पुरुष, सभी को यह देसी स्वाद खूब भा रहा है। महिलाओं में इसे लेकर खास तौर से आकर्षण देखने को मिल रहा है। लोगों की रुझान को देखते हुए कढ़ी-चावल और लजीज खीर को भी व्यंजन की सूची में जोड़ा गया है। यह भी खूब पसंद किया जा रहा है।

    शुद्ध सरसो का तेल, देसी घी व मक्खन का होता है इस्तेमाल

    रेस्टाेरेंट की संचालक रूपांजलि बताती हैं कि बाटी-चोखा बनाने का उन्हें बहुत शौक था। जिसे वह अपने हाथों का बना बाटी-चोखा खिला देतीं, वह मुरीद हो जाता था। प्रशंसा से उत्साहित होकर ही उन्होंने पाक कला के इस गुण को पेशे का रूप दे दिया, जो अब चल निकला है। बताती हैं कि वह अपने व्यंजन में शुद्ध सरसो का तेल, शुद्ध देसी घी व मक्खन का इस्तेमाल करती है। बाटी के लिए सत्तू भी अपनी देखरेख में तैयार कराती हैं। तरह-तरह की दाल से तैयार की जाने वाली खिचड़ी में तो वह खुद हाथ लगाती हैं, जिससे उसकी गुणवत्ता प्रभावित न होने पाए।

    गुणवत्ता से नहीं होता कोई समझौता

    इसी का नतीजा है कि जो एक बार उनके आ जाता है, वह बार-बार आता है। अपने कर्मचारियों को वह इस बात के लिए निरंतर सहेजती रहती हैं कि गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। व्यंजन का देसी स्वाद बना रहना चाहिए। रुपांजलि कहती हैं कि परंपरागत व्यंजन पंरपरागत तरीके से पेश करने अपनी दुकान के नाम की सार्थकता को सिद्ध करते रहने के लिए वह जिद की हद तक प्रतिबद्ध हैं।

    comedy show banner
    comedy show banner