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    Jagran Film Festival: पंचायत के प्रहलाद चाचा बोले- अभिनय कैमरे से नहीं, दिल से करो

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 08:09 AM (IST)

    ग्रामीण परिवेश पर आधारित वेब सीरीज 'पंचायत' से मशहूर हुए अभिनेता फैसल मलिक ने दैनिक जागरण फिल्म फेस्टिवल में अपने अभिनय के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि मॉनिटर न देखने की सलाह ने उनकी कला को सहज बनाया। फैसल ने कहा कि अभिनय केवल संवाद बोलना नहीं, बल्कि उसे महसूस करना है। उन्होंने युवा कलाकारों को दिल से अभिनय करने की सलाह दी और कहा कि अभिनय आत्मानुभूति है।

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    एडी मॉल में आयोजित दैनिक जागरण के फिल्म फेस्टीवल में फिल्म अभिनेता फैसल मलिक से बातचीत करते दैनिक जागरण के उपमुख्य संवाददाता डाॅ. राकेश राय। जागरण

    अरुण मुन्ना, जागरण गोरखपुर। ग्रामीण परिवेश पर आधारित चर्चित वेब सीरीज ‘पंचायत’ में ‘प्रहलाद चाचा’ का किरदार निभाकर देशभर में प्रसिद्ध हुए अभिनेता फैसल मलिक ने शुक्रवार की शाम दैनिक जागरण फिल्म फेस्टिवल के मंच पर अपने अभिनय जीवन के अनकहे प्रसंग साझा किए।

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    उनकी सादगी, स्पष्टता और अभिनय के प्रति समर्पण ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। दैनिक जागरण के उपमुख्य संवाददाता डा. राकेश राय से बातचीत के दौरान उन्होंने अपने जीवन के ऐसे अनुभव बताए, जिन्होंने उनके व्यक्तित्व और अभिनय,दोनों को नई दिशा दी।

    फैसल मलिक ने कहा कि मेरे गुरु समान प्रभु भाई ने मुझे पहले दिन ही कहा था कि शूटिंग के दौरान कभी मानिटर मत देखना। उस दिन से आज तक मैंने मानिटर नहीं देखा। उस समय तो समझ नहीं आया, पर अब जानता हूं कि यह बात कितनी गहरी थी।

    उन्होंने बताया कि शूटिंग के दौरान अभिनेता जब अपने अभिनय को देखने के लिए मानिटर की ओर झांकते हैं, तो उनकी कला की सहजता खो जाती है। यदि आप स्वयं को कैमरे पर देखने लगते हैं, तो अभिनय में सच्चाई नहीं रहती। आप अपने चेहरे और हावभाव को सुधारने लगते हैं, जिससे सब कृत्रिम हो जाता है।

    मुस्कुराते हुए फैसल ने कहा कि यही मेरे अभिनय की सबसे बड़ी ताकत बन गई। जब मैं सीन करता हूं, तो पूरी तरह उस पल में होता हूं, सोचता नहीं कि कैसे दिख रहा हूं, बस जीता हूं। उन्होंने एक प्रसंग सुनाते हुए बताया कि एक बार शूटिंग के दौरान मैं किरदार में इतना डूब गया कि सह कलाकार को असली चांटा मार दिया।

    निर्देशक ने कहा कि यही है सच्चा अभिनय, जब आप सोचते नहीं, बस करते हैं। हां, इस दृश्य के बाद से आज तक मैं पिट रहा हूं। उन्होंने बताया कि कहानी हमेशा किरदार पर निर्भर होती है। पंचायत के लिए यह सहज था, क्योंकि गांव के परिवेश से खुद जुड़े हैं। लेकिन थामा फिल्म में उन्होंने इंस्पेक्टर के रूप में बेताल का किरदार निभाया, जिसके लिए गहराई से अध्ययन करना पड़ा।

    रंगकर्म की महत्ता पर चर्चा करते हुए फैसल ने कहा कि यदि मैंने थियेटर पहले कर लिया होता, तो जो अनुभव दस वर्ष में मिला, वह शायद पांच-छह वर्ष में मिल जाता। उन्होंने बच्चों को थियेटर से जोड़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह जीवन जीने की कला है। स्कूल और कालेजों में बच्चों को अभिनय से जोड़ना चाहिए। हमारे समय में शिक्षक दिवस, 26 जनवरी और 15 अगस्त ही ऐसे दिन थे जब हम अभिनय कर पाते थे।

    बातचीत के दौरान उन्होंने सांसद व अभिनेता रवि किशन की जमकर प्रशंसा की और कहा कि गोरखपुर, लखनऊ और प्रयागराज में फिल्मों तथा वेब सीरीज की शूटिंग बढ़ना सकारात्मक संकेत है। गोरखपुर की तासीर (प्रभाव) में अब शूटिंग का रंग चढ़ गया है।

    फैसल ने मोबाइल फोन को अवसरों का माध्यम बताया। कहा कि आज हर व्यक्ति के पास अपने हुनर को दिखाने का मौका है। मोबाइल से दस-दस मिनट की फिल्में बन रही हैं, जो लोगों के दिल को छू रही हैं। कहानी छोटी हो सकती है, पर असर गहरा होना चाहिए।

    दर्शकों के बीच संवाद के दौरान साक्षी पंडित, डा. प्रियंका श्रीवास्तव, श्वेता सहित कई दर्शकों ने उनसे प्रश्न पूछे। फैसल ने बताया कि पंचायत ने उन्हें आम लोगों से जोड़ दिया है। लोग कहते हैं कि आप हमारे गांव के लगते हैं, यही मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।

    युवा कलाकारों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि अभिनय केवल संवाद बोलना नहीं है, बल्कि उसे महसूस करना है। आज की पीढ़ी जल्दी प्रसिद्धि चाहती है, पर सच्चा अभिनेता वही है जो अपने किरदार को जीता है। कैमरे से नहीं, इसलिए अपने दिल से अभिनय करो।

    फैसल मलिक ने बताया कि वे अब लघु फिल्मों और नई कहानियों पर काम कर रहे हैं, जो समाज की जमीनी हकीकत को दर्शाएंगी। उन्होंने बताया कि ‘पंचायत’ की शूटिंग के दौरान उनका सबसे गहरा जुड़ाव रघुवीर यादव और नीना गुप्ता से हुआ।

    दोनों को बेहतरीन कलाकार बताते हुए उन्होंने कहा कि ये दोनों अपने आप में अभिनय की एक पाठशाला हैं। अंत में उन्होंने कहा कि अभिनय केवल कला नहीं, आत्मानुभूति है, जब आप अपने भीतर के सच्चे इंसान को पहचान लेते हैं, तभी असली कलाकार बनते हैंं।