गोरखपुर महोत्सव : ताल के तट पर उमंग और उल्लास का मेला Gorakhpur News
गोरखपुर महोत्सव में तरह-तरह के रंगारंग कार्यक्रमों के आयोजन हुए। महोत्सव के उद्घाटन के बाद फरुआही नृत्य घूमर पनिहारी नोरता जैसे नृत्य के साथ लोक से लेकर सुगम संगीत का सिलसिला जो दोपहर बाद शुरू हुआ वह देर शाम तक जारी रहा।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर शहर में मंगलवार की सुबह अन्य सुबहों से कुछ अलग थी। चहुंओर चहल-पहल दिख रही थी और हर चेहरे पर एक अलग तरह उत्साह था। कड़ाके की ठंड भी उत्साह की गर्मी को कम करने में खुद को नाकाबिल पा रही थी। बदले माहौल की वजह गोरखपुर महोत्सव था, क्योंकि दिन के बढऩे के साथ उत्साह का केंद्र रामगढ़ ताल के इर्दगिर्द सिमटने लगा था। ताल के तट पर ही चंपा देवी पार्क में महोत्सव का मंच सजा था। तरह-तरह की प्रदर्शनियां भी मंच के चारो ओर लगाई गई थीं। मंच से बज रहा महोत्सव का थीम सांग लोगों को सांगीतिक आमंत्रण दे रहा था।
गोरखपुर महोत्सव के उत्साह की गर्मी में ठगी सी दिखी कड़ाके की ठंड
दोपहर तक ताल के तट पर उमंग और उल्लास का मेला पूरे रौ आ गया। हाट एयर बैलून महोत्सव की छटा को आसमान तक पहुंचाने को बेताब था तो चंपा देवी पार्क में लगी प्रदर्शनियों में बज रहे गीत जमीन पर उत्सवी माहौल का अहसास करा रहे थे। कोई विज्ञान प्रदर्शनी की ओर बढ़ा जा रहा था तो कोई कृषि मेले में खेती से अद्यतन जानकारी के लिए उत्सुकता दिखा रहा था। किताबों के कद्रदानों के कदम पुस्तक मेले की ओर से अनायास ही चले जा रहे थे। स्वयंसेवी समूहों की उत्पाद की प्रदर्शनी लोगों को आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर पेश कर रही थी। मंच के ठीक सामने रेत पर बनाई गई स्वामी विवेकानंद की तस्वीर भी लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही थी। तस्वीर के साथ सेल्फी लेने का सिलसिला पूरे दिन चलता दिखा।
जमीं से आसमां तक दिखी महोत्सव की छटा, आत्मनिर्भर भारत की दिखी तस्वीर
मंच से आयोजनों का क्रम दोपहर बाद उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ तो समूचे आयोजन का नेतृत्व तरह-तरह के रंगारंग कार्यक्रमों ने संभाल लिया। फरुआही नृत्य, घूमर, पनिहारी, नोरता जैसे नृत्य के साथ लोक से लेकर सुगम संगीत का सिलसिला जो दोपहर बाद शुरू हुआ, वह देर शाम तक जारी रहा। पास में ही मौजूद मुक्ताकाशी मंच पर नाटको की प्रस्तुति ने आयोजन की विविधता की रही-सही कसर भी पूरी कर दी। क्षेत्रीय क्रीड़ांगन में विविध खेलों के आयोजन से महोत्सव को संपूर्णता मिलती दिखी।
आसमान की सैर कर देखा शहर का नजारा
महोत्सव के अंतर्गत दिग्विजय नाथ पार्क में शहरवासियों ने मंगलवार को हाट एयर बैलून के जरिये शहर का नजारा देखा। धरती से सौ से डेढ़ सौ फीट की उंचाई पर आसमान में सैर करना शहरवासियों अद्भुत रोमांच का अनुभव था। हालांकि महोत्सव में यह तीसरी बार हाट एयर बैलून शो का प्रदर्शन किया गया है। बावजूद इसको देखने व आसमान में सैर करने के लिए लोग सुबह से इंतजार कर रहे थेफ खराब मौसम व तेज हवा के कारण हाट एयर बैलून शो सुबह दस बजे की बजाय दोपहर एक बजे शुरू हुआ। शाम साढ़े छह बजे तक चले इस शो में 36 शहरवासियों ने आसमान की सैर की। इस दौरान सैर करने वाले लोग रोमांचित दिखे। इस दौरान लोगों ने सेल्फी और फोटोग्राफी भी की। एयर बोर्न एडवेंचर लखनऊ द्वारा इस शो का आयोजन किया था, जिसमें टिकट का मूल्य प्रतिव्यक्ति साढ़े तीन सौ रुपये रखा गया था।
बन्दियों के बनाए सामान का स्टाल
महोत्सव में जिला कारागार का भी स्टाल लगा है। जिसमें बंदियों द्वारा बनाया गया जूट बैग, मास्क, एलईडी लाइट, बल्ब, झूमर, झालर , पेंटिंग लोगो को खूब पसंद आ रहा है। मंगलवार को पूरे दिन स्टाल पर भीड़ लगी रही। बिक्री के रुपये से बन्दियों को उनकी पारिश्रमिक दी जाएगी। वरिष्ठ जेल अधीक्षक डा. रामधनी ने बताया कि बंदियो को पिछले दिनों गीडा की एक कंपनी ने झालर, एलईडी ब्लब बनाने का प्रशिक्षण दिया था। कम्पनी से अनुबंध होने के बाद बंदी झालर, झूमर बना रहे हैं। इसके अलावा कपड़े व जूट की सामग्री से बैग, झालर, मास्क, झूमर आदि बनाया गया है। जिसका स्टाल महोत्सव में लगा है।