साधना से हासिल हो सकता है सब कुछ, सफलता का यही है मूलमंत्र
मन को किसी निश्चित दिशा में साधने का प्रयास साधना कहलाता है साधना का अर्थ अपने मन को स्थिर कर मनोवांछित कार्य करने के लिए सक्षम बनाना है। साधना की कोई सीमा नहीं होती व्यक्ति जब निरंतर साधना करता है तो वह कुछ भी प्राप्त कर सकता है।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। मन को किसी निश्चित दिशा में साधने का प्रयास साधना कहलाता है, साधना का अर्थ अपने मन को स्थिर कर मनोवांछित कार्य करने के लिए सक्षम बनाना है। साधना करने से विद्या प्राप्त होती है। साधना की कोई सीमा नहीं होती, व्यक्ति जब निरंतर साधना करता है तो वह कुछ भी प्राप्त कर सकता है। साधना के बल पर असंभव काम को भी संभव किया जा सकता है। साधना जीवन में सफलता का मूल मंत्र है। यह बातें जागरण संस्कारशाला में स्प्रीगर लोरेटो गर्ल्स स्कूल की निदेशक रीमा श्रीवास्तव ने कही।
सफलता की उन्नती पर ले जाती है कठिन साधन
कठिन साधना व्यक्ति को सफलता या उन्नति की ऊंची से ऊंची सीढ़ी तक ले जाता है। इस संसार में कोई भी जन्म से विद्वान नहीं होता है वह साधना से ही विद्वान और महान बनता है। जो अपने जीवन में अत्यधिक साधना करता है उसका जीवन अपने आप ही सफल हो जाता है। साधना को आत्म-विकास का सर्वोत्तम साधन माना जाता है। यदि मनुष्य एक बार जीवन में असफल भी हो जाता है तो इसका मतलब यह नहीं होता है कि वह कभी भी सफल नहीं हो पाएगा। यदि वह बार-बार साधना करे तो उसे सफलता अवश्य प्राप्त होगी।
गलती से सीखना भी है साधना
जिस प्रकार कोई बच्चा गिर-गिरकर चलना सीखता है यह उसकी साधना है। जब कोई मनुष्य गलती कर सीखता है वह भी उसकी साधना होती है। किसी भी काम में सफल होने के लिए साधना जरूरी है। जो मनुष्य अपने अंदर से आलस्य को त्याग देता है और परिश्रम करता है तो उसके उन्नति के मार्ग में कोई भी बाधा नहीं आती है।
सतत साधना जरूरी
आज जो लोग बल, विद्या, प्रतिष्ठा के क्षेत्र में ऊंचे पदों पर बैठे हैं वे एकदम उस स्थान पर नहीं पहुंचे होंगे। उन्हें लगातार श्रम और साधना करनी पड़ी होगी। यदि कोई मनुष्य किसी काम को आठ घंटे में करेगा तो बार-बार उस काम को करने से उसे काम के छोटे-छोटे गुण-दोषों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है। उस व्यक्ति में काम करने की दक्षता उत्पन्न हो जाती है और वह विशेषज्ञ बन जाता है। देश को विकसित करने के लिए सिर्फ एक व्यक्ति की साधना नहीं होती है बल्कि पूरे राष्ट्र की साधना की जरूरत पड़ती है।
विद्यार्थी जीवन में साधना अधिक महत्व
विद्यार्थी जीवन में साधना का अधिक महत्व होता है। विद्यार्थी जीवन साधना करने की पहली सीढ़ी होती है। विद्यार्थी जीवन से ही मनुष्य साधना करना आरंभ करता है। जब विद्यार्थी एक बार परीक्षा में असफल हो जाता है तो बार-बार साधना करके वह परीक्षा में सफलता प्राप्त करता है। शिक्षा को प्राप्त करने के लिए लगातार कई वर्षों तक परिश्रम, साधना और लगन की जरूरत पड़ती है। अगर किसी मनुष्य को शिक्षा के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी सफलता प्राप्त करनी है तो साधना जरूरी है।
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