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    कच्चे माल की आपूर्ति को लेकर सशंकित हैं उद्यमी, माल पहुंचने में हो रही देरी Gorakhpur News

    By Rahul SrivastavaEdited By:
    Updated: Sun, 18 Apr 2021 11:30 AM (IST)

    अभी तक ट्रांसपोर्ट सेवा को नहीं रोका गया है। इससे गोरखपुर के उद्यमियों को भी कच्चे माल की आपूर्ति तो हो जा रही है पर जो लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए भविष्य में भी निर्बाध गति से माल की आपूर्ति को लेकर उद्यमी सशंकित हैं।

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    कच्‍चे माल की आपूर्ति को लेकर उद्यमी सशंकित। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    गोरखपुर, जेएनएन : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश के कई राज्यों में अलग-अलग तरह से प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं पर, अभी तक ट्रांसपोर्ट सेवा को नहीं रोका गया है। इससे गोरखपुर के उद्यमियों को भी कच्चे माल की आपूर्ति तो हो जा रही है पर, जो लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए भविष्य में भी निर्बाध गति से माल की आपूर्ति को लेकर उद्यमी सशंकित हैं।

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    प्‍लास्टिक दाना, लोहा आदि का कच्‍चे माल के रूप में अधिक उपयोग

    गोरखपुर में प्लास्टिक दाना, लोहा आदि वस्तुओं का कच्चे माल के रूप में अधिक प्रयोग किया जाता है। कूलर, पंखा, धागा, प्लास्टिक के अन्य उत्पाद, प्लास्टिक बोरा आदि बनाने के लिए प्लास्टिक के दाने (पालीमर) का उपयोग किया जाता है। यहां के उद्यमी रिलांयस, इंडियन आयल एव गैस एथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड (गेल) से कच्चा माल मंगाते हैं। देश में पेट्रो केमिकल उत्पादों का आयात बंद होने से घरेलू कंपनियों पर ही इसकी आपूर्ति करने का जिम्मा है। शुरू में कुछ दिक्कत आयी थी लेकिन इस समय कच्चा माल मिल रहा है। पर, पहले जितने समय में कच्चा माल पहुंचता था, उससे अधिक समय इस समय लग रहा है।

    अब अधिक समय लेकर चल रहे हैं उद्यमी

    बरगदवां में प्लास्टिक बोरा बनाने वाली फैक्ट्री माडर्न लेमिनेटर्स के एमडी किशन बथवाल ने कहा कि कोरोना ने अभी माल की आपूर्ति पर सीधा असर नहीं किया है लेकिन मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ रहा है। उद्यमी अब अधिक समय लेकर चल रहे हैं। ट्रक समय से आएगा या नहीं, इस बात को लेकर आशंका बनी रहती है। चेंबर आफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल का कहना है कि पिछली बार से अधिक समस्या इस बार है। ऐसे में उद्यमी उद्योग संचालन को लेकर खासे परेशान हैं। इकाई में काम करने वाले कर्मचारियों की भी उन्हें चिंता है। कोई संक्रमित ड्यूटी पर न आ जाए, इसको लेकर जांच हो रही है। कच्चे माल की आपूर्ति को लेकर भी उद्यमियों में चिंता है। लघु उद्योग भारती के जिलाध्यक्ष एवं कपड़े के निर्माता दीपक कारीवाल का कहना है कि पेट्रो केमिकल उत्पादों की आपूर्ति में समस्या आयी है। अभी कोरोना का बहुत प्रभाव तो नहीं है लेकिन लोग इसको लेकर आशंकित जरूर हैं। उन्होंने कहा कि उनके सेक्टर में मांग कम हो चुकी है।

    कर्मचारियों के मन में बैठ रहा डर

    कोरोना संक्रमण को देखते हुए फैक्ट्रियों में काम कर रहे कर्मचारियों के मन में डर बैठ रहा है। कई फैक्ट्रियों में बिहार के कर्मचारी काम करते हैं। उन्हें डर है कि कहीं फिर से पैदल ही घर न जाना पड़े। कई कर्मचारी छुट्टी मांग रहे हैं। उद्यमी किशन बथवाल बताते हैं कि कर्मचारियों के भीतर डर है। हम स्वयं सबकी जांच कराते हैं। जांच के बाद ही फैक्ट्री में प्रवेश करने दिया जाता है। बाजार में धीरे-धीरे मांग भी कम हो रही है।

    आइकार्ड दिखाकर फैक्ट्री जा सकेंगे श्रमिक

    रविवार को बंदी के दिन भी फैक्ट्रियों के संचालन की अनुमति दी गई है। चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष आरएन सिंह ने बताया कि सीईओ गीडा पवन अग्रवाल ने कहा है कि श्रमिकों को नहीं रोका जाएगा। पुलिस को भी इस बात की सूचना दी गई है। औद्योगिक इकाई के संचालक द्वारा जारी पहचान पत्र या लेटर पैड पर लिखकर दिया गया प्रमाण पत्र भी मान्य होगा। चैंबर के उपाध्यक्ष के अनुसार गीडा में 24 घंटा चलने वाली करीब 25 इकाइयां हैं। उनका संचालन कल होगा। इसके साथ ही करीब 75 इकाइयां दो शिफ्ट में चलती हैं। 300 इकाइयों में एक शिफ्ट में काम होता है। एक शिफ्ट में काम करने वाली कुछ इकाइयां कल बंद रह सकती हैं।

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