Electricity Privatization: सात महीने से आंदोलन, सरकार ने एक बार भी बात नहीं की
गोरखपुर में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों किसान संगठनों और उपभोक्ता फोरम ने प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने बातचीत की पहल नहीं की है और 9 जुलाई को सांकेतिक हड़ताल करेंगे। पुष्पेंद्र सिंह ने निजीकरण को गलत बताते हुए कहा कि इससे केवल पूंजीपतियों को फायदा होगा और बिजली की दरें बढ़ेंगी।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के विरोध में बिजली निगम के अभियंताओं व कर्मचारियों ने बुधवार को पूरे देश में प्रदर्शन किया। उनका साथ किसान संगठनों और उपभोक्ता फोरम ने दिया।
सभी ने कहा कि सात महीने से आंदोलन चल रहा है लेकिन सरकार ने एक बार भी बातचीत की पहल नहीं की है। नौ जुलाई को बिजली निगम सांकेतिक हड़ताल करेंगे।
मोहद्दीपुर स्थित हाइडिल कालोनी में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पूरे देश में प्रदर्शन किया गया। निजीकरण की प्रक्रिया न सिर्फ गलत है वरन इसका फायदा भी पूंजीपतियों को छोड़कर किसी को नहीं होना है।
प्रदेश में गलत पावर परचेज एग्रीमेंट के कारण बिना एक यूनिट बिजली खरीदे विद्युत वितरण निगमों को निजी बिजली उत्पादन कंपनियों को हर वर्ष 6761 करोड़ रुपये देना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त निजी घरानों से बहुत महंगी दरों पर बिजली खरीदने के कारण लगभग 10 हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का अतिरिक्त भार पड़ रहा है।
प्रदेश में सरकारी विभागों पर 14 हजार चार सौ करोड़ रुपये बकाया है। प्रदेश में विभिन्न सब्सिडी के कारण 22 हजार रुपये सरकार देती है। इसको घाटा बताया जा रहा ह और इसी के आधार पर निजीकरण का निर्णय लिया गया है।
प्रबंधन लाखों करोड़ रुपये की निगम की संपत्तियों को कौड़ियों के भाव बेचने की कोशिश में जुटा है। निजीकरण हुआ तो बिजली प्रति यूनिट 17 रुपये तक में मिलेगी। इससे जरूरतमंद बिजली का उपभोग कर ही नहीं पाएंगे।
इस दौरान जितेंद्र कुमार गुप्त, शिवम नाथ तिवारी, अमित आनंद, सौरभ श्रीवास्तव, सुधीर कुमार राव, प्रभुनाथ प्रसाद, संगम लाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, शिवम चौधरी, अमित यादव, विजय सिंह, श्याम सिंह, एनके सिंह, प्रमोद यादव, रणंजय पटेल, राकेश चौरसिया, विजय बहादुर सिंह, राजकुमार सागर, करुणेश त्रिपाठी, विमलेश पाल, जगन्नाथ यादव, ओम गुप्ता, सत्यव्रत पांडेय आदि मौजूद रहे। (विज्ञप्ति)

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