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    विनाश का प्रमुख कारण अहंकार

    व्यक्ति को तोड़ देता है घमंड सहृदयी बनने में काबलियत -अहंकार से दूर भागता है धन संपदा यश वैभव

    By JagranEdited By: Updated: Thu, 15 Oct 2020 06:06 AM (IST)
    विनाश का प्रमुख कारण अहंकार

    जागरण संवाददाता, बस्ती : राजा, रंक किसी के लिए अहंकार फलदायी नहीं है। विनाश का प्रमुख कारण अहंकार ही हैं। धन, संपदा, यश, वैभव, कीर्ति, ताकत किसी भी चीज का घमंड मनुष्य में नहीं होना चाहिए और यदि ऐसा है तो एक समय यह सभी तत्व साथ छोड़ देते हैं। अहंकार हमें पतन की ओर ले जाता है। हमारे सनातन शास्त्रों में इसका स्पष्ट उल्लेख भी हैं। यह कहना है ब्लूमिग बड्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल की प्रधानाचार्य संगीता श्रीवास्तव का।

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    वह दैनिक जागरण के संस्कारशाला कार्यक्रम के तहत घमंड का चक्रव्यूह विषय पर विस्तार से अपना पक्ष रखीं। कहा कि घमंड समर्थवान व्यक्ति को भी तोड़ देता है। अहंकारी लोग कभी सफल नहीं हुए हैं। त्रेताकाल में प्रकांड विद्वान और शक्तिमान रावण का अहंकार चूर-चूर हो गया था। प्रभु श्रीराम को रावण का बध अहंकार के कारण ही करना पड़ा था। महाभारत काल में भी कौरवों के विनाश का कारण अहंकार ही था। नम्रता, विनम्रता और सहिष्णुता व्यक्ति को सदैव शिखर पर ले जाती है। सहृदयी व्यक्ति का आदर और सम्मान हर जगह हैं। पद, प्रतिष्ठा ईश्वर की विशेष कृपा पर प्राप्त होती हैं। इसका सुख भोगने वाले अक्सर अहंकार में आ जाते हैं। उन्हें लगता है कि अब उनके मुकाबले कोई नहीं हैं। यही अहंकार उन्हें एक दिन घुटन में डाल देता है। बच्चों को सिखाते हैं संस्कार

    विद्यालय में हम बच्चों को पढ़ाई के साथ अच्छे संस्कार भी देते हैं। परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को अहंकारी न बनने की प्रेरणा दी जाती है। कहा जाता है कि ज्ञान का भी अहंकार नहीं होना चाहिए। ज्ञानी व्यक्ति इसका प्रसार करता है।

    संगीता श्रीवास्तव, प्रधानाचार्य, ब्लूमिग बड्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल

    काम मोह मद मान न मोहा।

    लोभ न छोभ न राग न द्रोहा।।

    जिन्ह कें कपट दंभ नहि माया।

    तिन्ह कें हृदय बसहु रघुराया।।