Durga Puja 2020: खत्म हुआ संशय, स्थापित होंगी दुर्गा प्रतिमाएं - राघव व शक्ति का परंपरागत मिलन भी होगा
दुर्गा पूजा आयोजन को लेकर जारी शासन की गाइड के बाद दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है और इसी के साथ साफ हो गया है 72 वर्ष पुरानी परंपरा के निर्वहन का रास्ता भी। गाइडलाइन आने के बाद समितियों की सक्रियता बढ़ गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर शहर के बसंतपुर तिराहे पर दशहरे के दिन आयोजित होने वाले परंपरागत आनुष्ठानिक कार्यक्रम राघव-शक्ति मिलन के आयोजन को लेकर संशय समाप्त हो गया है। दुर्गा पूजा आयोजन को लेकर जारी शासन की गाइड के बाद दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है और इसी के साथ साफ हो गया है 72 वर्ष पुरानी परंपरा के निर्वहन का रास्ता भी। गाइडलाइन आने के बाद समितियों की सक्रियता बढ़ गई है। कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए आयोजन की रूपरेखा तैयार करने में समिति के लोग जुट गए हैं।
बसंतपुर तिराहे पर होता है मिलन
दशहरा के दिन बर्डघाट रामलीला की समिति की ओर से आयोजित होने वाली रामलीला में रावण वध के बाद भगवान माता सीता, भाई लक्ष्मण और भक्त हनुमान के साथ भगवान राम बसंतपुर तिराहे पर पहुंचते हैं। इस तिराहे पर विसर्जन के लिए दुर्गाबाड़ी, एनई रेलवे, लाको शेड, पुरानी कालीबाड़ी और गोलघर की प्रतिमाएं पहुंचती हैं तो भगवान राम रावण पर विजय दिलाने के लिए पूजा-आरती कर मां का आभार ज्ञापन करते हैं। यह परंपरा 1948 से चली आ रही थी। इस वर्ष कोविड-संक्रमण के चलते परंपरा टूटने की स्थिति बन गई थी लेकिन शासन की गाइड लाइन ने ऐसा होने से बचा लिया।
कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए संक्षिप्त में रामलीला मंचन की तैयारी तो हमने कर ली थी लेकिन दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना को लेकर असमंजस के चलते राघव-शक्ति मिलन के आयोजन को लेकर संशय था। अब वह संशय दूर हो गया। - अनूप अग्निहोत्री, महामंत्री, श्रीश्री रामलीला समिति बर्डघाट
एकबारगी लगने लगा था कि 72 वर्ष पुरानी राघव-शक्ति मिलन परंपरा इस बार टूट जाएगी लेकिन शासन की गाइड लाइन आने के बाद अब यह तय हो गया है राघव से शक्ति का मिलन इस बार भी होगा। हमारी हरसंभव कोशिश होगी कि यह आयोजन हम फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए संक्षिप्त में संपन्न कराएं। - राकेश वर्मा, महामंत्री, श्रीश्री राघवशक्ति मिलन कमेटी
समितियों ने शुरू की तैयारी
शासन की ओर से दुर्गा पूजा आयोजन को लेकर शुक्रवार को गाइड लाइन जारी होने का असर शनिवार को मां दुर्गा समितियों की सक्रियता के रूप में देखने को मिला। कल तक असमंजस में पड़े समितियों के पदाधिकारी बदले परिदृश्य में निर्णय को लेकर गहन मंत्रणा करते दिखे। हालांकि इन सबके बीच उन्हें देर रात तक स्थानीय प्रशासन के मार्गदर्शन का इंतजार रहा। दुर्गाबाड़ी में दुर्गा पूजा का आयोजन करने वाली बंगाली समिति के सचिव अभिषेक चटर्जी ने बताया कि कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए उनकी समिति ने छोटी प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया है, जिसकी खरीद स्थानीय स्तर पर की जाएगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि इस बार प्रतिमा निर्माण के लिए बंगाल से कारीगर नहीं आ सके हैं। मूर्ति बंगाली मानक के अनुसार हो, इसका ध्यान देने की बात उन्होंने कही। अभिषेक ने बताया कि इस बार परिसर में न कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होगा और न ही किसी तरह का स्टाल लगेगा। केवल पूरे विधि-विधान से परंपरागत आनुष्ठानिक पूजा-प्रक्रिया सम्पन्न की जाएगी। इसी तरह की बात दुर्गा पूजा समिति दीवान बाजार के उपाध्यक्ष टीएन चटर्जी ने बताई। उन्होंने बताया कि इस बार प्रतिमा की स्थापना पड़रौना राजा की कोठी में होगी, जो उसी स्थल पर है जहां अबतक प्रतिमा स्थापित होती आई है। ऐसा जुटने वाली भीड़ को रोकने के लिए किया जा रहा है।
हरिद्वार की जगह प्रयागराज से आएगा गंगाजल
एनई रेलवे दुर्गा पूजा समिति के पदाधिकारियों ने शनिवार की देर रात स्काउट कुटीर में बैठक कर आयोजन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए। समिति के मीडिया प्रभारी देवेंद्र पांडेय ने बताया कि इस बार मां दुर्गा की पूजा के लिए हरिद्वार की जगह प्रयागराज का गंगाजल इस्तेमाल किया जाएगा। पुरोहित हमेशा की तरह वाराणसी से ही बुलाए जाएंगे। शासन की गाइडलाइन के मुताबिक मां की छोटी प्रतिमा स्थापित की जाएगी पर पूजन कार्यक्रम पूरे विधि-विधान के साथ होगा। पूजा की वेदी और प्रतिमा के पास हैंड सैनिटाइजर और थर्मल स्कैनिंग का पुख्ता इंतजाम रहेगा। फिजिकल डिस्टेंसिंग के पालन की निगरानी के लिए सीसी टीवी कैमरा लगाया जाएगा। साथ ही इसके लिए वालंटियरों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। बैठक में वीपी पांडेय, एसबीएम त्रिपाठी, रचना बनर्जी, दिलीप चक्रवर्ती, हरेंद्र पाल, एके बनर्जी, सोमनाथ बनर्जी, संजीव मुखर्जी, पार्षद मनोज, दीपक मिश्रा आदि मौजूद रहे।
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