यूपी में डुप्लीकेट वोटरों पर लगेगी लगाम, SIR से वोटर लिस्ट होगी साफ
उत्तर प्रदेश के एक जिले में डुप्लीकेट वोटरों को हटाने के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है। 2003 और 2025 की मतदाता सूची में शामिल लोगों को छोड़कर अन्य सभी का सत्यापन होगा। निर्वाचन आयोग द्वारा तय 12 दस्तावेजों में से एक का उपयोग किया जाएगा। इस अभियान का लक्ष्य वोटर लिस्ट को पारदर्शी बनाना है और दो जगह नाम वाले मतदाताओं का नाम एक जगह से काटना है।

अभियान के दौरान बीएलओ को मिलेगा ऑल इंडिया डेटाबेस चेक करने का विशेष एक्सेस
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। मतदाता सूची को त्रुटिरहित और पूरी तरह पारदर्शी बनाने की दिशा में विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी एसआइआर) अभियान एक बड़ा कदम साबित होगा। चुनाव आयोग द्वारा संचालित यह अभियान न केवल नए मतदाताओं के पंजीकरण का अवसर देगा, बल्कि पुराने रिकार्ड का डिजिटल सत्यापन कर मतदाता सूची से डुप्लीकेट वोटरों की लंबे समस्या से चली आ रही समस्या को भी समाप्त करेगा।
इस अभियान का सबसे अहम पहलू यह है कि अब हर मतदाता का विवरण आल-इंडिया डेटाबेस से मिलान किया जाएगा। यानी, यदि किसी व्यक्ति का नाम वर्ष 2003-04 में किसी अन्य राज्य या विधानसभा क्षेत्र में दर्ज था, और बाद में 2025 में किसी अन्य स्थान पर उसका नाम जुड़ा है, तो सिस्टम इसे पकड़ लेगा। इस आधार पर बूथ लेवल आफिसर (बीएलओ) संबंधित व्यक्ति का सत्यापन करेंगे।
अब तक एक बड़ी चुनौती यह रही है कि विभिन्न राज्यों या विधानसभा क्षेत्रों में स्थानांतरण के बाद भी कई मतदाताओं के नाम पुराने क्षेत्रों की सूची में बने रहते थे। इससे एक ही व्यक्ति का नाम दो या अधिक स्थानों पर दर्ज हो जाता था। समय-समय पर आयोग विशेष साफ्टवेयर के जरिए ऐसे लोगों की सूची तैयार कर संबंधित जिलों को सत्यापन के लिए भेजता तो था पर, यह कसरत बहुत कारगर नहीं साबित होती थी। लेकिन, एसआइआर के तहत अब इस समस्या का ठोस समाधान हो जाने की पूरी संभावना है। आयोग ने बीएलओ को विशेष तकनीकी एक्सेस दिया है, जिससे वे मतदाता के नाम, जन्मतिथि और आधार संख्या के आधार पर पूरे देश के डेटाबेस से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
अभियान के दौरान हर मतदाता का सत्यापन किया जाएगा। बीएलओ घर-घर जाकर जानकारी एकत्र करेंगे, साथ ही आनलाइन सत्यापन की भी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जिन मतदाताओं ने हाल में पता बदला है, वे फार्म-6 के माध्यम से नया आवेदन कर सकते हैं। वहीं, मृतक या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाने के लिए फार्म-7 का प्रयोग किया जाएगा।
डिजिटल निगरानी से होगी त्रुटियों पर रोक
इस बार चुनाव आयोग ने पुनरीक्षण प्रक्रिया में डिजिटल टूल्स का प्रयोग बढ़ाया है। एप आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी मतदाता का नाम दो जगह न रहे। इसके अलावा, डेटा एंट्री से पहले हर प्रविष्टि का आटो-वैलिडेशन होगा, जिससे मानवीय त्रुटियों की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी।
अभियान के सफल संचालन के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे। शिक्षण संस्थानों, ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों में युवाओं को मतदाता सूची से जोड़ने पर विशेष बल दिया जाएगा।
वर्ष 2003 और 2025, दोनों की मतदाता सूची में जिनके नाम होंगे, उन्हें छोड़कर बाकी सभी का सत्यापन किया जाएगा। निर्वाचन आयोग की ओर से निर्धारित 12 दस्तावेजाें में से कोई एक दस्तावेज लिए जाएंगे। अभियान का मकसद ही वोटर लिस्ट को पूरी तरह पारदर्शी बनाना है। सत्यापन के दौरान जिनके भी दो जागह नाम, होंगे उनके नाम एक जगह की मतदाता सूची से काटे जाएंगे।
- विनीत सिंह, उप जिला निर्वाचन अधिकारी

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