डा. सुब्बाराव ने कहा-भारत को विश्व इतिहास से लेना चाहिए सबक, भाषा के आधार पर विभाजित हुए हैं विश्व के कई देश Gorakhpur News
उन्होंने कहा कि सोवियत रूस के संविधान में 16 भाषाएं थीं। भाषा के आधार पर सोवियत का टुकड़ा-टुकड़ा हुआ और भाषा के आधार पर एक-एक देश बन गए। ...और पढ़ें

गोरखपुर, जेएनएन। राष्ट्रीय युवा योजना के निदेशक डॉ. एसएन सुब्बाराव ने कहा है कि भारत के बाद विश्व के पांच देश भाषा को लेकर विभाजित हुए हैं। धर्म के आधार पर एक ही देश विभाजित हुआ है वह है सूडान। डा. सुब्बाराव कुशीनगर स्थित म्यांमार बुद्ध विहार में जागरण से बातचीत कर रहे थे। डा. सुब्बाराव यहां 19 अक्टूबर से चल रहे राष्ट्रीय एकता व युवा सद्भभावना शिविर में आए हुए हैं।
सोवियत रूस में 16 भाषाएं थी, बन गए 16 देश
उन्होंने कहा कि सोवियत रूस के संविधान में 16 भाषाएं थीं। भाषा के आधार पर सोवियत का टुकड़ा-टुकड़ा हुआ और भाषा के आधार पर एक-एक देश बन गए। भारत के संविधान में 18 भाषाएं हैं। भारत को भी दुनिया के इतिहास से सबक लेना चाहिए।
पाकिस्तान धर्म के आधार पर नहीं, भाषा के आधार पर टूटा
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान धर्म के आधार पर नहीं बल्कि भाषा के आधार पर टूटा और पूर्वी पाकिस्तान बांग्ला देश बन गया। यदि पाकिस्तान ने बंगाली भाषा को स्थान दे दिया होता तो पाक नहीं टूटता। कहाकि यूगोस्लाविया में तीन भाषाएं थीं, वह भी भाषा के आधार पर तीन भागों में बंट गया। इसी तरह चेकोस्लोवाकिया में दो भाषाएं थीं टूटकर वहां भी दो राष्ट्र हो गए।
धर्म के नाम पर केवल सूडान टूटा
डा. सुब्बाराव ने कहा कि धर्म के नाम पर एक ही राष्ट्र टूटा है वह सूडान है। अंग्रेजी और उर्दू भाषा को लेकर सूडान दो टुकड़ों में विभाजित हो गया। देश में एकता जरूरी है। एकता के लिए श्रम की भाषा आवश्यक है। आदमी को आदमी से जोड़ने के लिए श्रम में बेजोड़ शक्ति है।
सभी भाषाएं हमारे लिए सम्मान्य
उन्होंने कहा कि सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए। सभी भाषाएं हमारे लिए सम्मान्य हैं। बंदूक के बल पर एकता कायम नहीं किया जा सकता है।

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