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    Diwali 2024: दुकानों से लेकर घरों तक चाइनीज पटाखों की धूम, देसी का नहीं दिखा क्रेज; आदेश को भी किया अनदेखा

    Updated: Thu, 31 Oct 2024 09:21 PM (IST)

    देर शाम तक दुकानों पर लोगों ने पहुंच कर पटाखा की खरीदारी किया और पूजा-पाठ के बाद पटाखे फोड़ने लगे। दुकानों से लेकर घरों तक चाइनीज पटाखों की धूम रही। द ...और पढ़ें

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    चाइनीज पटाखों की रही धूम, देसी का नहीं दिखा क्रेज

    जागरण संवाददाता, सहजनवां। दीपावली पर चाइनीज पटाखों की धूम तहसील क्षेत्र में देखने को मिली। देसी पटाखा कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आया। दीपावली पर पूजा-पाठ करने के बाद घर में बड़ा से लेकर छोटा सदस्य देर रात तक पटाखे फोड़ कर खुशियों का इजहार करता रहा। पटाखों की आवाज की जहां चारों तरफ गूंज रही, वहीं आसमान भी रंग-बिरंगी राकेट व अनार से नहाता दिखा। दीपावली के दिन भी मुरारी इंटर कालेज तथा घघसरा के मंगल बाजार में पटाखों की बिक्री होती रही। 

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    सहजनवां तहसील क्षेत्र में दीपावली के दिन आतिशबाजी की धूम हर तरफ देखने को मिली। नगर पंचायत से लेकर ग्रामीण इलाकों के कस्बों तथा गांवों में धूम-धड़ाका होता रहा। प्रशासन के तरफ से दीपावली के दिन भी मुरारी इंटर कालेज तथा घघसरा के बुधवारी बाजार में पटाखा की दुकान लगाने की अनुमति देने के बाद दीपावली के दिन भी लोग पटाखा खरीदने के लिए पहुंचे।

    दुकानों से लेकर घरों तक चाइनीज पटाखों की धूम

    देर शाम तक दुकानों पर लोगों ने पहुंच कर पटाखा की खरीदारी किया और पूजा-पाठ के बाद पटाखे फोड़ने लगे। दुकानों से लेकर घरों तक चाइनीज पटाखों की धूम रही। दुकानदार अतुल कुमार ने बताया कि रोक के बाद भी पटाखा की खूब बिक्री हुई है और आम लोगों ने पसंद किया है। फुलझड़ी, अनार, बिजली बम गंधक-पोटाश की मात्रा बाजार में ग्राहकों की पहली पंसद बनी हुई हैं।

    आदेश का पालन भी नहीं किया गया 

    राकेट, बमों की लड़ी भी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। पटाखों की शोर-गुल तरफ सुनाई दे रही थी और आकाश भी विविध रंगों से रूक-रूक नहा रहा था। इतना ही रात दस बजे के बाद पटाखा नहीं छोड़ने के आदेश का पालन नहीं किया गया और देर रात तक पटाखे फोड़े गए। हालांकि त्योहार के दिन पुलिस क्षेत्र में काफी सक्रिय दिखी।

    आसमान में दिखी सतरंगी छटा, गणेश-लक्ष्मी की हुई पूजा

    दीपावली का त्योहार गुरुवार को श्रद्धा व भक्ति के साथ बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। शाम होते ही लोग अपने घरों में विधि-विधान के साथ गणेश-लक्ष्मी का पूजन-अर्चन करके दीपक जलाए। पूजा-पाठ करने के बाद लोगों ने एकदूसरे से गले मिल कर दीपावली की बधाई दी और मिठाई बांटकर खुशियां मनाई। दिन ढ़लते ही सतरंगी छटा से आसमान रंगीन हो गया। नगर से लेकर गांवों में देर रात तक चहल पहल देखने को मिला।

    दीपावली का त्योहार सहजनवां तहसील मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक बड़े ही परम्परागत तरीके से मनाया गया। गुरुवार की सुबह से ही घरों की साफ-सफाई में लोग जुटे रहे। शाम हाते ही परिवार में बड़ा से लेकर छोटा सदस्य तक नया परिधान पहन कर रंगोली सजाई तथा दीपक जला कर भगवान गणेश व मां लक्ष्मी का पूजन-अर्चन किया। छप्पन भोग तथा लड्डू से भोग लगाया और भूजा, गट्टा, लावा व बताशा चढ़ाया गया।

    ऐसा माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में पूजन करने से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है। गणेश और लक्ष्मी अपनी कृपा से सभी के दुखों को हर लेते है। गुरुवार को दिवाली के दिन लोग गोबर से लिप्त भूमि पर पश्चिमाभिमुख तांबे का कलश गेहूं के ऊपर स्थापित करके व सुब्राह्मण से कलश प्रतिष्ठा कराकर कलश के ऊपर गोघृत या तिल के तेल का दीपक जलाते हैं, साथ ही श्री फल रखकर अलग दीप स्थापन विधि से दीप पूजन किए। भक्तों ने रोली, कुमकुम या लाल चंदन का गोल टीका या चंद्राकार टीका लगाए। आरती करके खील-बताशे आदि चढ़ाने के बाद अपने से बड़ों का आशीर्वाद लिया।