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    Diwali 2022: रंगोली में इन 18 शुभ प्रतीकों का है खास महत्व, धर्म और आस्था को मजबूत करती है ये कला

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Sat, 22 Oct 2022 09:08 AM (IST)

    Diwali 2022 दिपावली पर हर घर के आंगन व प्रवेश द्वार की शोभा बढ़ाने वाली रंगोली का विशेष महत्व है। गोरक्ष नगरी में तो कई घरों में रंगोली पर अखंड ज्योति जलाने की परंपरा है। आइए जानते हैं रंगोली में 18 प्रतिकों का महत्व

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    रंगोली से मजबूत होती आस्था व परंपरा। -जागरण

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। रंगोली या अल्पना विविध वर्ग व संप्रदायों में भले ही लोककला है लेकिन हिंदू धर्म में इसकी मान्यता धर्म और आस्था को मजबूत करने वाली कला के रूप में है। यही वजह है कि हर व्रत, पूजा, उत्सव, विवाह, त्योहार में रंगोली बनाने की परंपरा सी हो गई है। इसी क्रम में दीपावली में भी आंगन से लेकर घर के दरवाजे तक रंगोली सजाई जाती है। या यूं कहें कि यह परंपरा का रूप ले चुकी है। बहुत से लोग तो रंगोली पर ही गणेश-लक्ष्मी का पूजन करते हैं, दीये जलाने की शुरुआत भी उसी पर करते हैं। गोरक्ष नगरी के बहुत से घरों में रंगोली पर अखंड ज्योति जलाने की भी परंपरा है।

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    रंगोली में प्रतीकों का है महत्व

    प्रतीकों के बिना रंगोली बनाने का मकसद पूरा नहीं होता। इसमें मुख्य रूप से 18 शुभ प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है। किसी रंगोली में ये सभी प्रतीक शामिल होते हैं तो किसी में जरूरत के मुताबिक कुछ प्रतीकों का ही प्रयोग होता है। प्रतीकों में ध्वज, बिंदु, कलश, सरल रेखा, अर्ध वर्तुल, वर्तुल, केंद्र वर्धनी, गोपदम्, श्रृंखला, स्वास्तिक, ओमित्येकार श्रीकार, शंख, चक्र, गदा, पद्म, शर, धनुष व सर्परेखा शामिल हैं। इनके अलावा फूलपत्तियां, आम, मछलियां, चिड़िया, तोता, हंस, मोर, भगवान के पैर, मानव आकृतियां, बेलबूटे और दीपावली की रंगोली में दीप, गणेश, लक्ष्मी की आकृति को भी शामिल किया जाता है।

    रंगोली का पौराणिक महत्व

    चित्र लक्षण ग्रंथ के अनुसार एक राजा के पुरोहित का बेटा मर गया। ब्रह्मा ने राजा से कहा कि वह लड़के का रेखाचित्र जमीन पर बना दें ताकि उस में जान डाली जा सके। राजा ने जमीन पर कुछ रेखाएं खींचीं, यहीं से अल्पना या रंगोली की शुरुआत मानी गई। इसी संदर्भ में एक और कथा है कि ब्रह्मा ने सृजन के दौरान आम के पेड़ का रस निकाल कर उसी से जमीन पर एक स्त्री की आकृति बनाई। उस स्त्री का सौंदर्य अप्सराओं को भी मात देने वाला था। ब्रह्मा द्वारा खींची गई वह आकृति रंगोली का प्रथम रूप मानी गई। रामायण में सीता के विवाह मंडप की चर्चा जहां की गई है, वहां भी रंगोली का उल्लेख है।

    इनसे बनाई जाती है रंगोली

    रंगा के साथ पिसा चावल, सिंदूर-रोली, हल्दी, लकड़ी का बुरादा, फूलों की पंखुड़ियां, सूखे पत्तों से बने पाउडर, बलुई मिट्टी आदि।

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