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    Dhanteras 2022: धनतेरस को दिन का महत्व नहीं, खूब करें खरीदारी, यहांं ज्योतिषाचार्यों से जानें- शुभ मुहुर्त

    By Jagran NewsEdited By: Pradeep Srivastava
    Updated: Wed, 19 Oct 2022 07:37 AM (IST)

    Dhanteras 2022 धनतेरस इस वर्ष शनिवार के दिन पड़ने के कारण लोग खरीदारी को लेकर संशय में हैं लेकिन ज्यातिषियों का कहना है कि धनतेरस का दिन से कोई महत्व नहीं है। शनिवार को भी लोहे की खरीदारी की जा सकती है।

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    Dhanteras 2022: धनतेरस पर खरीदारी करतीं महिलाएं। - फाइल फोटो

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Dhanteras 2022: खरीदारी का पर्व धनतेरस 22 अक्टूबर (शनिवार) को परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल (सूर्यास्त के समय) में त्रयोदशी मिल रही है। कुछ लोगों की मान्यता है कि शनिवार को लोहा नहीं खरीदा जाता। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार धनतेरस को दिन का महत्व नहीं होता। प्रदोष काल में त्रयोदशी मिलने पर धातुओं की खरीदारी का शास्त्र निर्देश देते हैं। दिन कोई भी हो, धनतेरस को हर धातु की खरीदारी की जा सकती है। शास्त्रों में शनिवार को लोहा खरीदने का निषेध भी नहीं किया गया है। यह मात्र लोक मान्यता है। लेकिन यह मान्यता भी धनतेरस के दिन प्रभावी नहीं होती।

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    प्रदोष काल में त्रयोदशी मिलने पर धातुओं की खरीदारी की है बहुत पुरानी परंपरा

    विद्वानों का कहना है कि शनिवार को सायं 4.33 बजे त्रयोदशी लग रही है जो रविवार को सायं 5.04 बजे तक है। इस दौरान कभी भी खरीदारी की जा सकती है। धनतेरस के दिन कि धनाध्यक्ष कुबेर की पूजा होती है। इस दिन धातु के बर्तनों को खरीदना समृद्धिदायक माना जाता है। यह पर्व घर में सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। सांयकाल मुख्य द्वार के दोनों ओर दीपदान करना चाहिए। यह दीपदान इस दिन से आरंभ कर भैयादूज तक किया जाता है। इससे यमराज प्रसन्न रहते हैं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।

    22 अक्टूबर को खरीददारी के विशिष्ट मुहूर्त

    सायं 5.39 से 7.10 बजे तक, शुभ बेला।

    रात 10.39 से 12 बजे रात तक, चर बेला।

    रात 12 बजे से 3.22 बजे तक, लाभ व अमृत बेला।

    23 अक्टूबर को खरीददारी के विशिष्ट मुहूर्त

    प्रातः 7.41 से 9.01 बजे तक, चर बेला।

    9.02 बजे से दिन में 1.20 बजे तक, लाभ एवं अमृत बेला।

    दिन में 2.40 से 4.01 बजे तक, शुभ बेला।

    क्या कहते हैं ज्योतिष

    • ज्योतिषाचार्य पं. शरदचंद्र मिश्र ने बताया कि शास्त्रों में कहीं भी शनिवार को लोहा खरीदने का निषेध नहीं किया गया है। यह मात्र लोक मान्यता है जो लोगों ने स्वयं गढ़ी है। धनतेरस के दिन इस लोकमान्यता का भी कोई अर्थ नहीं है। क्योंकि इस दिन प्रदोष काल में त्रयाेदशी तिथि देखी जाती है, उसी में खरीदारी होती है। 

  • ज्योतिषाचार्य पं. नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि धनतेरस को कोई भी दिन पड़े, त्रयोदशी में खरीदारी की जा सकती है। यदि लोकमान्यता को मानते हैं तो यह सामान्य दिनों में ही लागू होती है। इसमें भी शनिवार को वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर व कुंभ लग्न वाले घर के सदस्यों से लोहे की खरीदारी कराई जा सकती है।