नई पहल: IMA के साथ बैठक में तय होगा डेंगू जांच का शुल्क, निजी पैथोलाजी सेंटर वसूल रहे आठ सौ से 1500 रुपये
गोरखपुर में डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बुखार के कई रोगियों में जांच के बाद डेंगू के संक्रमण की पुष्टि हुई है। वहीं निजी पैथोलाजी सेंटर जांच के लिए आठ सौ से 1500 रुपये तक शुल्क वसूल रहे हैं। इसको देखते हुए सीएमओ ने आईएमए के पदाधिकारियों के साथ बैठक बुलाई है जिसमें डेंगू जांच का शुल्क तय किया जाएगा।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच अब जांच को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। निजी पैथोलाजी सेंटर रैपिड जांच के आठ सौ से 1500 रुपये तक शुल्क वसूल रहे हैं, जबकि इसकी किट 125 से 175 रुपये के बीच में आती है। अधिक नमूने न मिलने से जांच में अधिक समय लगने की वजह से ज्यादातर पैथोलाजी सेंटर एलाइजा या रीयल टाइम-पालीमरेज चेन रियेक्शन (आरटी-पीसीआर) जांच नहीं कर रहे हैं। जो कर रहे हैं, वे तीन हजार रुपये तक वसूल रहे हैं। मनमाने शुल्क पर नियंत्रण के लिए सीएमओ ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। सोमवार को सायं पांच बजे आयोजित बैठक में डेंगू जांच का सर्वमान्य शुल्क तय किया जाएगा।
स्वास्थ्य केंद्रों व हेल्थ वेलनेस सेंटरों पर निश्शुल्क है जांच की सुविधा
सभी स्वास्थ्य केंद्रों व हेल्थ वेलनेस सेंटरों पर डेंगू की रैपिड जांच की निश्शुल्क सुविधा उपलब्ध है। जांच में पाजिटिव आए लोगों की एलाइजा जांच भी जिला अस्पताल में निश्शुल्क कराई जाती है। बावजूद इसके बड़ी संख्या में लोग निजी पैथोलाजी में जांच करा रहे हैं। भिन्न-भिन्न पैथोलाजी में जांच शुल्क अलग-अलग और बहुत ज्यादा है। इसे कम करने और सभी पैथोलाजी के शुल्क में एकरूपता लाने के लिए आइएमए के साथ बैठक आयोजित की गई है।
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गांवों में मिल रहे ज्यादा संक्रमित
शहर की अपेक्षा गांवों में डेंगू संक्रमित ज्यादा मिल रहे हैं। अभी तक जिले में 33 रोगी मिले हैं। इनमें से 19 ग्रामीण क्षेत्र के व 14 शहर के हैं। जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि मच्छरदानी न लगाने या मच्छरों से बचाव के उपाय न करने की वजह से गांवों में संक्रमण की गति तेज है।
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मच्छरदानी का करें उपयोग, बच्चों को बचाएं
सीएमओ डा. आशुतोष कुमार दूबे ने कहा है कि सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। पूरी बांह के कपड़े पहनें। शाम को पार्कों या झाड़-झंखाड़ के पास न बैठें। बच्चों को भी बचाएं। कई बच्चे डेंगू की चपेट में आ चुके हैं।
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