DDU की परीक्षा प्रणाली में बदलाव की तैयारी, प्रश्नपत्र का बदलेगा स्वरूप; परीक्षाएं कम व कक्षाएं होंगी ज्यादा
गोरखपुर विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव की हो रही तैयारी। नवागत कुलपति प्रो. पूनम ने छात्रहित में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया है। निर्णय के अनुसार मिड टर्म परीक्षा की जगह आंतरिक मूल्यांकन की व्यवस्था की जाएगी। इससे जहां छात्रों के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं की संख्या में कमी आएगी वहीं उन्हें अध्ययन का अधिक अवसर मिलेगा।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। अध्ययन-अध्यापन व परीक्षा में सीबीएससी (च्वायस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम) को अचानक थोपे जाने से परेशान छात्रों को राहत मिलने जा रही है। गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने परीक्षा प्रणाली में बदलाव का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इससे छात्रों को वर्ष भर परीक्षा देने से तो निजात मिलेगी ही, अध्ययन के लिए अधिक समय भी मिलेगा। परीक्षाओं की संख्या कम की जाएगी और कक्षाओं की संख्या बढ़ाई जाएगी। प्रश्नपत्र का प्रारूप भी बदला जाएगा।
निर्णय के अनुसार की जाएगी ये व्यवस्था
निर्णय के अनुसार मिड टर्म परीक्षा की जगह आंतरिक मूल्यांकन की व्यवस्था की जाएगी। इससे जहां छात्रों के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं की संख्या में कमी आएगी, वहीं उन्हें अध्ययन का अधिक अवसर मिलेगा। अब छात्रों को एक सेमेस्टर में मात्र एंड टर्म की परीक्षा ही देनी होगी। प्रश्नपत्र में किए जाने वाले बदलाव के क्रम में एंड टर्म के लिए ऐसा प्रश्नपत्र बनाए जाने पर विचार हो रहा है, जिसमें वैकल्पिक व सैद्धांतिक प्रश्न साथ-साथ दिए जाएंगे। अब तक की व्यवस्था के अनुसार मिड टर्म का प्रश्नपत्र सैद्धांतिक होता है और एंड टर्म का वैकल्पिक। इस व्यवस्था को लेकर विद्यार्थियों में भी नाराजगी थी। बदलाव के निर्णय को आधिकारिक रूप देने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन बहुत जल्द इसे परीक्षा समिति से स्वीकृत कराया। निर्णय पर अंतिम मुहर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद लगाएगी।
तत्काल मिल सकता है फायदा
परीक्षा प्रणाली में बदलाव के निर्णय का विद्यार्थियों को तत्काल फायदा मिल सकता है क्योंकि मिड टर्म की परीक्षाएं 30 सितंबर को प्रस्तावित हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन इसे लेकर संकट था कि अभी विश्वविद्यालय से लेकर कालेज तक में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है, ऐसे में मिड टर्म परीक्षाएं कैसे आयोजित की जाएंगी।
इसे भी पढ़ें, Deoria News: अपहृत युवक की हत्या कर शव सरयू नदी में फेंकने की आशंका, पीएसी वाहिनी गोरखपुर की टीम कर रही तलाश
क्या कहती हैं कुलपति
विश्वविद्यालय की नवागत कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि हमारी कोशिश परीक्षा के समय में कटौती करके अध्ययन के समय को बढ़ाने की है क्योंकि विद्यार्थी अध्ययन के लिए ही शिक्षण संस्थानों में आता है। वर्ष भर परीक्षा के माहौल में रहने से उसे अध्ययन का अवसर कम मिल पाता और वह परीक्षा में ही उलझा रह जाता। बहुत जल्द मिड टर्म परीक्षा समाप्त करके उसकी जगह आंतरिक मूल्यांकन की व्यवस्था कर दी जाएगी। एंड टर्म का प्रश्नपत्र ऐसा बनवाया जाएगा, जिसमें मिड टर्म और एंड टर्म दोनों के प्रश्नों के स्वरूप को समाहित किया जा सके।
डेवलेपमेंट काउंसिलिंग करेगी कालेजों की समस्या का समाधान
गोरखपुर विश्वविद्यालय से जुड़े कालेजों के शिक्षकों और विद्यार्थियों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा। विश्वविद्यालय इसके लिए कालेजों को एक मंच देने जा रहा है कालेज डेवलेपमेंट काउंसिल के जरिये। जल्द इसके गठन की तैयारी है। कुलपति प्रो. पूनम टंडन को कार्यभार ग्रहण करने के बाद विभिन्न माध्यमों से कालेजों की समस्या के बारे में जानकारी दी गई। दो दिन पहले स्व-वित्तपोषित प्रबंधक महासभा के पदाधिकारियों ने उन्हें इन समस्याओं से अवगत कराया।
कालेजों के संचालन में आने वाली विभिन्न समस्याओं के समय से समाधान को लेकर गंभीरता दिखाते हुए कुलपति ने जल्द से जल्द कालेज डेवलेपमेंट काउंसिल के गठन की कार्यवाही आगे बढ़ाने का निर्देश कुलसचिव को दिया। काउंसिल में वित्तपोषित व स्व-वित्तपोषित कालेजों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। काउंसिल कालेजों से आने वाली शिकायतों और समस्याओं की सूची तैयार करेगी और उसके बाद कुलपति के मार्गदर्शन में उसके समाधान का प्रारूप तय करेगी। काउंसिल के सुझाव के आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन से संबंधित विभाग के जरिये उसका आधिकारिक समाधान सुनिश्चित कराएगा। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय से संबद्ध कालेजों की बहुत सी समस्याएं सामने आ रही हैं। इनके समाधान सुनिश्चित करने के लिए कालेज डेवलेपमेंट काउंसिल की योजना बनाई गई है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।