Gorakhpur University ने योग पाठ्यक्रम के नियम में किया बड़ा बदलाव, बीच में पढ़ाई छोड़ने पर भी मिलेगा लाभ
योग पाठ्यक्रम के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए गोरखपुर विश्वविद्यालय ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस बदलाव के बाद छह महीने में पढ़ाई छोड़ने पर सर्टिफिकेट व एक साल में छोड़ने पर डिप्लोमा प्रमाण-पत्र मिलेगा। जिससे विद्यार्थियों को राहत मिलेगी।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। योग से जुड़े पाठ्यक्रम के प्रति विद्यार्थियों का आकर्षण बढ़ाने के लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपने ‘एमए इन योग’ पाठ्यक्रम को लचीला बनाने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय ने दो वर्ष के इस पाठ्यक्रम को विद्यार्थियों की जरूरत के मुताबिक तीन हिस्सों में बांट दिया है।
विद्यार्थियों को होगा यह लाभ
निर्णय के मुताबिक यदि कोई विद्यार्थी बीच में पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे पाठ्यक्रम को तीन हिस्सों में बांटे जाने का लाभ मिलेगा। वह खाली हाथ नहीं लौटेगा। दो साल के कोर्स की इच्छा के साथ पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाला विद्यार्थी यदि किसी वजह से छह महीने बाद भी पढ़ाई छोड़ देता है तो विश्वविद्यालय से उसकी विदाई सर्टिफिकेट प्रमाण-पत्र के साथ होगी। यदि उसने पाठ्यक्रम को एक साल तक पढ़ने का बाद छोड़ने का निर्णय लिया तो वह विश्वविद्यालय से डिप्लोमा प्रमाण-पत्र लेकर जाएगा। इतना ही नहीं उसे मिले प्रमाण-पत्र की क्रेडिट के स्थानांतरण की व्यवस्था भी रहेगी।
65 से 70 क्रेडिट के एमए इन योग पाठ्यक्रम को यदि कोई विद्यार्थी छह महीने बाद छोड़ता तो उसे 16 से 20 क्रेडिट मिलेंगे और यदि एक साल बाद छोड़ता है तो वह 30 से 35 क्रेडिट पाने का हकदार होगा। यद्यपि, विश्वविद्यालय में डिप्लोमा इन योग और सर्टिफिकेट इन योग के अलग-अलग पाठ्यक्रम भी हैं, लेकिन इन पाठ्यक्रमों को एमए इन योग से जोड़ने की व्यवस्था करके विश्वविद्यालय प्रशासन ने नई शिक्षा नीति के उस मापदंड का अनुपालन किया है, जिसमें रोजगापरक पाठ्यक्रमों के प्रति विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग करने की सलाह दी गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि पाठ्यक्रम के लिए विद्यार्थी द्वारा दिए गए समय का सम्मान करते हुए उसे पढ़ाई बीच में छोड़ने पर भी खाली हाथ न जाने दिया जाए।
नए सत्र से लागू हो जाएगी व्यवस्था
विद्यार्थियों की सुविधा के लिए ‘एम इन योग’ को तीन हिस्सों में बांटने का विश्वविद्यालय का निर्णय नए सत्र से लागू हो जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासनिक रूप से लिए गए अपने इस निर्णय को जल्द स्वीकृति के लिए विद्या परिषद और कार्य परिषद के समक्ष रखेगा।
क्या कहते हैं कुलपति
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने बताया कि नई शिक्षा नीति में हर पाठ्यक्रम को प्रयोग के धरातल पर लाकर अधिक से अधिक रोजगारपरक बनाने पर जोर है। इसे ध्यान में रखकर ही ‘एमए इन योग’ पाठ्यक्रम को तीन हिस्सों में बांटा गया है। इससे विद्यार्थियों में पाठ्यक्रम के प्रति आकर्षण बढ़ेगा।
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