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    थोड़ी घबड़ाहट हुई, अब सरपट दौड़ रही इन बेटियों की ट्रेन

    By Pradeep SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 12 Oct 2018 04:45 PM (IST)

    गोरखपुर की बेटियां किसी से कम नहीं हैं। यहां की बेटियां अब ट्रेनों को सरपट दौड़ा रही हैं। गोरखपुर से गोंडा के बीच कई महिला चालक अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं।

    थोड़ी घबड़ाहट हुई, अब सरपट दौड़ रही इन बेटियों की ट्रेन

    गोरखपुर, (प्रेम नारायण द्विवेदी)। चुनौतीपूर्ण माहौल में कुछ कर गुजरने की ललक ने पूर्वोत्तर रेलवे की सहायक लोको पायलट रिंकी, श्रीनी श्रीवास्तव और रिजवाना अंसारी को पुरुषों के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया है। वह मेहनत और लगन के बलबूते प्रत्येक कार्यस्थल पर अपनी कार्य क्षमता को साबित कर रही हैं। चाहे पैसेंजर ट्रेन में सहायक लोको पायलट की भूमिका हो या गोरखपुर से गोंडा के बीच मालगाड़ी और पैसेंजर ट्रेन लेकर चलना। उनका उत्साह देखते ही बन रहा है।

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    पूर्वोत्तर रेलवे और पूर्वांचल की इन बेटियों का कहना है कि कोई भी कार्य चुनौतीपूर्ण हो सकता है पर असंभव नहीं। हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के साथ कदमताल कर रही हैं। बक्सर की रहने वाली रिजवाना अंसारी के पिता जफर इमाम अंसारी व्यवसायी हैं। इस चुनौतीपूर्ण जॉब के लिए कभी उन्होंने मना नहीं किया। बकौल रिजवाना, मम्मी-पापा ने पढऩे-लिखने और लक्ष्य निर्धारित करने की पूरी छूट दे रखी थी। उनके सपोर्ट की बदौलत ही मैं यहां हूं। अब तो रिश्तेदार भी सपोर्ट में हैं। 22 अप्रैल 2017 को जब उसने सहायक लोको पायलट के रूप में ज्वाइन किया तो घबराई थीं लेकिन आज सबकुछ सहज हो गया है।

    सहायक लोको पायलट श्रीनी कहती हैैं कि वह शुरू से ही कुछ अलग करना चाहती थीं। अमेठी से डिप्लोमा करने के बाद उसने ठान लिया कि उसे रेलवे में लोको पायलट बनना है। मम्मी-पापा का पूरा सपोर्ट मिला। आज ट्रेन लेकर चलने में गर्व की अनुभूति होती है। जो पुरुष कर सकते हैं वह महिलाएं क्यों नहीं। श्रीनी ने बताया कि 10 अप्रैल 2018 को ज्वाइन करते समय थोड़ी घबराहट हुई, लेकिन बाद में सबकुछ नार्मल हो गया। घर ही नहीं विभाग का भी पूरा सपोर्ट मिलता है।

    गोरखपुर बिछिया की रहने वाली रिंकी की तैनाती अक्टूबर 2014 में नार्दन रेलवे लखनऊ में सहायक लोको पायलट के पद पर हुई। 20 जुलाई 2018 को वह गोरखपुर जंक्शन पर स्थानांतरित हो गईं। बकौल ङ्क्षरकी, शुरुआत में उसे भी घबराहट हुई थी लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। इस जॉब ने उसे और मजबूत बनाया है। निर्णय लेने की क्षमता बढ़ी है।

    तैनात हैं छह सहायक लोको पायलट
    गोरखपुर जंक्शन पर छह बेटियां सहायक लोको पायलट के रूप में तैनात हैं। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन भी महिलाओं को आगे लाने में अहम भूमिका निभा रहा है। यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में इनकी संख्या दर्जनों में होगी।
    गार्ड के पदों पर भी हो रही तैनाती
    पूर्वोत्तर रेलवे में गार्ड के पदों पर भी महिलाओं की तैनाती हो रही है। छपरा के अलावा गोरखपुर जंक्शन पर भी एक महिला गार्ड की तैनाती हुई है। हालांकि अभी वह ट्रेन लेकर नहीं चल रही हैं।