एमएमएमयूटी गोरखपुर में बनेगा फसलों के रोग व निदान का डेटा सेंटर, नरेंद्र देव कृषि विवि से हुआ करार
एमएमएमयूटी गोरखपुर में पूर्वांचल में फसलों पर लगने वाले रोग और उसके निदान के उपायों का बड़ा डेटा सेंटर बनने जा रहा है। इसके लिए नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या से करार किया है। ड्रोन बेस्ड एग्रीकल्चर मानिटरिंग सिस्टम में इस डेटा का उपयोग किया जाएगा।

गोरखपुर, जागरण संवादददाता। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पूर्वांचल में फसलों पर लगने वाले रोग और उसके निदान के उपायों का बड़ा डेटा सेंटर बनने जा रहा है। विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग ने इसकी जिम्मेदारी संभाली है। विभाग ने डेटा की जानकारी जुटाने के लिए नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या से करार किया है। विभाग द्वारा तैयार किए गए ड्रोन बेस्ड एग्रीकल्चर मानिटरिंग सिस्टम में इस डेटा का उपयोग कर पूर्वांचल के किसानों फसल के रोगों के प्रति जागरूक करते रहने की विश्वविद्यालय की योजना है।
पूर्वांचल के कृषि वैज्ञानिक भी करेंगे डेटा का उपयोग
मानिटरिंग सिस्टम बनाने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिग विभाग के आचार्य प्रो. एसके सोनी के मुताबिक यह डेटा सेंटर अपने तरह का प्रदेश का पहला सेंटर होगा। इस डेटा का उपयोग पूर्वांचल के कृषि वैज्ञानिक भी कर सकेंगे। बताया कि फिलहाल उनका डेटा सेंटर पूर्वांचल में उपजाई जाने वाली फसलों पर ही कार्य करेगा लेकिन धीरे-धीरे इसका बढ़ाया जाएगा। इस क्रम में जरूरत पड़ी तो देश के अन्य कृषि विश्वविद्यालयों से भी करार किया जाएगा।
एग्रीकल्चर मानिटरिंग सिस्टम को समृद्ध् करेगा यह डेटा सेंटर
डेटा सेंटर बनाने के पीछे विश्वविद्यालय के इस विभाग का मकसद उस एग्रीकल्चर मानिटरिंग सिस्टम को समृद्ध् करना है, जिसपर विभाग की एक टीम काम कर रही है। खेती में किसानों का मार्गदर्शक बनने के इस प्रोजेक्ट का बजट कुल तीन करोड़ है, जिसका वहन केंद्र सरकार का इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय कर रहा है। प्रोजेक्ट का तकनीक के माध्यम से मकसद किसानों को कम खर्च और कम मेहनत में अधिक उपज पैदा करने लायक बनाना है। सेंटरयुक्त इस ड्रोन सिस्टम से विभाग की टीम ने खेतों में कीटनाशक दवा के छिड़काव का ट्रायल कर लिया है। अब इसके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम को और प्रभावशाली करने के लिए डेटा सेंटर की स्थापना की जा रही है। जितना समृद्ध् डेटा होगा, उतना बेहतर और प्रभावी कार्य सिस्टम से लिया जा सकेगा।
किसानों तक सूचना पहुंचाने के लिए बनाएंगे एप
प्रो. सोनी ने बताया कि डेटा सेंटर से मिलने वाली जानकारी को एग्रीकल्चर मानिटरिंग सिस्टम के जरिए किसानों से साझा करने के लिए एक मोबाइल एप भी तैयार किया जाएगा। एप से जुडऩे के बाद उनके खेत से जुड़ी जानकारी उन्हें समय-समय पर दी जाएगी। उन्हें उनकी खेत की मिट्टी की उपजाऊ क्षमता के बारे में बताया जाएगा। मिट्टी के मुताबिक लगाई जाने वाली फसल का सुझाव भी दिया जाएगा।
डेटा की समृद्धि का सीधा संबंध मानिटङ्क्षरग सिस्टम की समृद्धि से है। इसीलिए हम फसलों के रोग और उनके निदान की जानकारी का डेटा जुटा रहे हैं। कुमाररगंज कृषि विश्वविद्यालय की मदद से ऐसा किया जा रहा है। डेटा के माध्यम से मानिटङ्क्षरग सिस्टम के जरिए हम किसानों को उनकी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए आगाह कर सकेंगे। इसके लिए एक एप भी तैयार किया जा रहा है, जिससे उन्हें जानकारी से लगातार अपडेट किया जा सके। - प्रो. जेपी पांडेय, एमएमएमयूटी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।