विकास के दावे से दूर दलित बस्ती की सूरत
कुशीनगर के विशुनपुर ब्लाक के चितहां गांव की में सुविधाओं का अभाव है गांव में अधूरे शौचालय व आवास की समस्या विकास की पोल खोलने के लिए काफी हैं लोग बुनि ...और पढ़ें

कुशीनगर : शासन व प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की गंगा बहाने का भले ही दावा कर रहा, लेकिन हकीकत इससे अलग है। विशुनपुरा ब्लाक के चितहां गांव की दलित बस्ती इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अधूरे आवास व शौचालय, खराब इंडिया मार्क हैंडपंप यहां उपलब्ध सुविधाओं की पोल खोल रहे हैं।
दो टोलों में बंटे चितहा गांव की आबादी लगभग 3350 है दलित बस्ती की तस्वीर काफी बदरंग है। शौचालय, पेंशन, आवास, शुद्ध जल, स्वास्थ्य, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं धरातल पर नहीं दिख रही हैं। बस्ती के अधिकांश लोग झोपड़ी में रहते हैं। इंडिया मार्क हैंडपंप दूषित जल दे रहे हैं, कई तो सूख गए हैं। ग्रामीण देसी हैंडपंप का पानी पीते हैं। लोगों का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी अक्सर नदारद रहते हैं, इससे मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। गांव में जगह-जगह गंदगी का अंबार है। सफाई कर्मचारी कभी आते ही नहीं है। कई परिवारों के पास राशनकार्ड ही नहीं है।
गांव के सुरेश, राजकिशोर, गोरख, सोनू, नौमी, छट्ठू, रामलाल आदि ने कहा कि हम लोगों को आवास नसीब नहीं हुआ। गांव में 32 इंडिया मार्क हैंडपंप हैं, इनमें से 15 दूषित जल दे रहे हैं। 250 लोगों का शौचालय स्वीकृत हुआ था। एक दर्जन से अधिक शौचालय अधूरे हैं। महंथ, नारायण, इसरावती आदि को शौचालय का इंतजार है, मजबूरी में खुले में शौच के लिए जाते हैं। मरजादी देवी, संपाती देवी, रामपती देवी, नगीना देवी, रामछविला, भुखनारी देवी, सरला देवी, सोमारी देवी, मालती देवी, फूलपती देवी, अनीता देवी, सुभावती आदि को वृद्धा पेंशन नहीं मिल सका है। ग्राम प्रधान कमरुद्दीन का कहना है कि पात्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।
बीडीओ राजीव कुमार ने कहा कि
गांव में टीम भेजकर जांच कराई जाएगी कि पात्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिला। वंचित पात्रों को हर हाल में योजनाओं का लाभ दिलवाया जाएगा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।