कसौटी : आगे कुर्सी, पीछे चलती हैं मैडम
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गोरखपुर, उमेश पाठक। जिला मुख्यालय के उत्तरी पूर्वी छोर पर स्थित ब्लाक में तैनात बड़ी मैडम और उनकी कुर्सी चर्चा में है। मैडम के आगे-आगे उनकी कुर्सी भी चलती है। ब्लाक पर बैठने वाले जनप्रतिनिधि किसी बात के लिए जब भी मैडम को अपने कार्यालय कक्ष में बुलवाते। मैडम आतीं तो लेकिन उनके साथ कर्मचारी उनकी कुर्सी भी उठाकर लाता। कुर्सी जनप्रतिनिधि के कमरे में स्थापित होती, तौलिया रखा जाता, तब मैडम बैठकर बात करतीं। ब्लाक में यह चर्चा खूब रहती है कि मैडम अभी और बड़ा पद पाने के प्रयास में हैं। मैडम की सख्ती से परेशान ब्लाक के लोग कुछ दिन पहले जनप्रतिनिधि के कमरे में बैठकर बातें कर रहे थे। बातचीत के दौरान वहां का एक व्यक्ति शब्दों की मर्यादा लांघ गया। इस बातचीत में भागीदार रहे एक शख्स ने इसे रिकार्ड कर मैडम तक पहुंचा दिया। तभी से मैडम व जनप्रतिनिधि में 36 का आंकड़ा हो चला है।
सचिव तो बिरादरी का चाहिए
समाज में एकरूपता की चाहे जितनी बात की जाए, जमीन पर उसका असर नहीं दिखता। गांवों की रहनुमाई के लिए जिसे सबने मिलकर चुना, वह सरकारी सहयोगी यानी सचिव के रूप में अपने बिरादरी वाले को पसंद कर रहा है। एक नई व्यवस्था में सचिवों को ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी दी जा रही है। जिले के उत्तर दिशा के ब्लाक से जुड़े कुछ गांवों के मुखिया ने इस बात की पैरवी की कि उनके यहां उनकी ही बिरादरी का सचिव चाहिए। काम मुखिया के साथ करना है तो उनकी बात का सम्मान भी रखा जा रहा है। कुछ गांवों में उनकी मांग पूरी भी हो गई। अब जिनके यहां मनमाफिक सचिव नहीं मिला, वे भी दूसरी बिरादरी वाले को हटाने की मांग पर अड़े हैं। बड़े साहब इस चिंता में हैं कि इसके बीच व्यवस्था कैसे बनाई जाए। मुखिया लोगों की इस अतार्किक मांग की विभाग में खूब चर्चा है।
वीआइपी कार्यक्रम के चोर
जिला वीआइपी है तो आए दिन वीआइपी कार्यक्रम भी होता रहता है लेकिन कुछ अराजकतत्व इन कार्यक्रमों में भी चोरी से बाज नहीं आ रहे। कई बार आनन-फानन में तैयारी करनी पड़ती है इसलिए प्रचार सामग्री व्यवस्थापकों को अपने पास रखनी होती है। कार्यक्रम वीआइपी होता है तो सुरक्षा भी भरपूर होती है लेकिन इन सबके बीच जो चोर हैं, वे अपना काम कर जाते हैं। कुछ दिन पहले इसी तरह के एक कार्यक्रम में प्रचार के लिए स्टैंडी लगी थी। कार्यक्रम संपन्न होते ही जैसे वीआइपी निकले, इन चोरों ने अपना काम कर दिया। जबतक व्यवस्थापक कार्यक्रम की सफलता के बाद राहत की सांस ले पाते, पता चला 70 स्टैंडी गायब हो गई है। सूचना कानों तक पहुंचते ही उनके माथे पर परेशानी की लकीरें नजर आने लगीं। कुछ देर चोरों को कोसकर व्यवस्थापक अपनी टीम के साथ कार्यालय पहुंचे और गायब स्टैंडी को लेकर जवाब ढूंढने लगे।
साहब के बतियाने पर न जाइए
जिले में महत्वपूर्ण पद पर आसीन साहब की कार्यशैली चर्चा में है। कुछ दिन पहले तक मातहत गलती करते थे तो डांट सुननी पड़ती थी। हद हो जाती थी तो कलम चलती थी। लेकिन जबसे नए साहब आए हैं तो डांट कम सुननी पड़ रही है लेकिन कार्रवाई की गति तेज है। शिकायतों के निस्तारण पर साहब का जोर है इसलिए जो भी इस काम में बाधा उत्पन्न करता पाया जा रहा है, उसपर कार्रवाई की तलवार चल जा रही है। बिना किसी जिम्मेदारी के बच निकलने वाला सबसे जिम्मेदार वर्ग आजकल फंस गया है। अब उनकी जिम्मेदारी तय हो रही है और लापरवाही पर उनके विरुद्ध कलम भी चल रही है। कुछ दिन पहले आपसी चर्चा में साहब की समीक्षा कर रहे कुछ कर्मियों ने दूसरों को चेताया कि साहब के बतियाने पर न जाइए, सतर्क रहिए क्योंकि मीठा बोलने के बाद भी वह कागज में नहीं छोड़ रहे।

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