साइबर अपराधियों के चीन के हैकर से जुड़े होने के मिले संकेत, NGO और व्यापारिक खातों की आड़ में हुआ करोड़ों का खेल
गोरखपुर में साइबर जालसाजी मामले में पुलिस ने एक गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो म्यूल बैंक खातों के जरिए साइबर ठगी की रकम को क्रिप्टो करेंसी में बदलकर विदेश भेजता था। गिरोह का सरगना चीन के हैकर्स के संपर्क में था और एनजीओ व फर्जी कंपनियों के नाम पर खाते खोलकर हवाला के जरिए पैसा भेजता था। पुलिस ने 70.54 लाख रुपये के संदिग्ध लेन-देन का पता लगाया है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। साइबर जालसाजी की रकम को म्यूल बैंक खातों के जरिये क्रिप्टो करेंसी में बदलकर विदेश भेजने वाले गिरोह की जांच में पुलिस को सनसनीखेज खुलासे मिले हैं।साइबर सेल की जांच में सामने आया है कि गिरोह का मास्टरमाइंड शैलेश इंटरनेट काल के जरिए चीन के हैकर्स के संपर्क में रहता था और उसे क्रिप्टो वॉलेट से जुड़े तकनीकी निर्देश वहीं से मिलते थे।गिरोह के सदस्य एनजीओ, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और फर्जी कंपनियों के नाम पर खाते खोलकर ठगी की रकम को पहले नकद और फिर डिजिटल करेंसी में बदलते थे। यह पैसा हवाला नेटवर्क के जरिये विदेश स्थित नियंत्रकों तक पहुंचाया जाता था।
एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि गिरोह का मास्टरमाइंड शैलेश चौधरी अपने साथियों के नाम पर म्यूल बैंक अकाउंट खुलवाता था। इन खातों में साइबर ठगी से प्राप्त रकम ट्रांसफर कर एटीएम या बैंक से नकद निकाली जाती थी, और फिर उसी रकम को अपने डिजिटल नेटवर्क के जरिये क्रिप्टो करेंसी में कन्वर्ट कराया जाता था। इसके एवज में वह 5 से 10 प्रतिशत कमीशन लेता था।गिरोह का दूसरा प्रमुख सदस्य आदिल शफीक था, जिसने कई एनजीओ के नाम पर करंट अकाउंट खुलवाए थे।
इन खातों में आने वाली रकम को नकद में बदलकर गिरोह तक पहुंचाया जाता था। वहीं, अनुज साहू ने अपने को मछली व्यापारी बताकर बैंक खाता खुलवाया था, जिसका उपयोग केवल कैश आउट और डिजिटल ट्रांसफर के लिए किया जाता था।गिरोह के अन्य सदस्य शुभम राय और विशाल गुप्ता शैलेश से प्राप्त नकद को अपने डिजिटल संपर्कों के जरिये क्रिप्टो करेंसी में कन्वर्ट करते थे।
पुलिस के मुताबिक, इसके बाद रकम को हवाला चैनलों के जरिये विदेश भेजा जाता था। पूरा नेटवर्क व्यवस्थित रूप से फर्जी खातों, यूपीआइ आइडी और डिजिटल वालेट्स के जरिए चलता था।साइबर थाना पुलिस गिरोह के बैंक खातों, डिजिटल वालेट्स और ब्लाकचेन ट्रांजैक्शन की डिटेल जुटा रही है ताकि पता लगाया जा सके कि इन खातों में कब और कितनी रकम आई और कहां ट्रांसफर की गई।
70.54 लाख की संदिग्ध लेन-देन ट्रेस, 9.60 लाख फ्रीज
अब तक की विवेचना में पुलिस को गिरोह से जुड़ी 70.54 लाख रुपये की संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों का पता चला है। इनमें से 9.60 लाख रुपये विभिन्न खातों में फ्रीज किए गए हैं। बरामद दस्तावेजों और चैट्स में विदेशी व्हाट्सएप नंबर, चार डिजिटल वॉलेट एड्रेस और टीम आफ ट्यूटर्स नाम के बैंक खाते का इस्तेमाल सामने आया है।वालेट एड्रेस (TLbuG…, TDsB…, TYzp…, TSuq…) के माध्यम से अमेरिकी डालर में हुए ट्रांजैक्शन के भी प्रमाण मिले हैं।

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