गोरखपुर के माफिया अजीत शाही के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी, तीन दशक से जरायम की दुनिया में सक्रिय हिस्ट्रीशीटर
माफिया अजीत शादी की तलाश में पुलिस दो दिन से छापेमारी कर रही है। उसके गांव में होने की सूचना पर पुलिस देवरिया जिले के पकड़ी बाबू गांव में भी पहुंची लेकिन उसका पता नहीं चल सका। अब उसके ऊपर इनाम बढ़ाने की तैयारी है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। माफिया अजीत शाही के विरुद्ध न्यायालय ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। शाहपुर थाना पुलिस के साथ ही क्राइम ब्रांच की टीम दो दिन से गोरखपुर और देवरिया जिले में छापेमारी कर रही है। एसएसपी ने माफिया पर इनाम की राशि बढ़ाकर 50 हजार करने के लिए आइजी को फाइल भेजी है। इसके बाद से एसटीएफ भी अजीत शाही की तलाश में जुट गई है।
देवरिया का रहने वाला है बदमाश
फरार चल रहा माफिया अजीत शाही मूल रूप से देवरिया जिले के भाटपार रानी थाना क्षेत्र के पकड़ी बाबू गांव का रहने वाला है। परिवार के साथ वह कैंट थाना क्षेत्र के बेतियाहाता, आवास विकास कालोनी में रहता है। 12 मई को शाहपुर थाने में जबरिया वसूली, धमकी व बलवा का मुकदमा दर्ज होने के बाद से वह फरार है। सर्विलांस की मदद से छानबीन में जुटी शाहपुर थाना पुलिस ने शहर में स्थित माफिया के कई ठिकानों पर छापा डाला, लेकिन पता नहीं चला।
आत्मसमर्पण करने की मिली सूचना
गांव में छिपे होने की सूचना पर देवरिया पुलिस के साथ उसके गांव पकड़ी बाबू में छापेमारी की गई। बुधवार की सुबह क्राइम ब्रांच को सूचना मिली कि अजीत शाही आत्मसमर्पण करने कचहरी आ रहा है। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों को अलर्ट कर स्वाट, सर्विलांस टीम के साथ ही कैंट थाने की पुलिस को परिसर में मुस्तैद कर दिया गया। एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि माफिया की तलाश चल रही है। उसके शरणदाता व शुभचिंतकों की सूची तैयार की जा रही है, सबसे पूछताछ होगी।
कई सफेदपोश व पुलिसकर्मी भी मददगार
माफिया अजीत शाही के मददगार कई सफेदपोश व पुलिसकर्मी भी हैं। एक सप्ताह पहले घर पर आयोजित मांगलिक कार्यक्रम में यह लोग पहुंचे थे और साथ में फोटो खिंचवाकर इंटरनेट मीडिया पर शेयर किया, लेकिन मुकदमा दर्ज होने और पुलिस के शिकंजा कसने पर डिलीट कर दिया।
तीन दशक से जरायम की दुनिया में है सक्रिय
कैंट थाने का हिस्ट्रीशीटर अजीत शाही तीन दशक से जरायम की दुनिया में सक्रिय है। जिले के अलग-अलग थानों में उसके विरुद्ध 33 मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस के रिकार्ड में वह आपराधिक माफिया घोषित है। पिछले छह वर्ष में उसके विरुद्ध कोई मुकदमा दर्ज न होने का आधार बनाकर जिले की पुलिस ने टाप 10 माफिया की सूची से नाम बाहर कर दिया। 12 मई को पूर्वोत्तर रेलवे के दी मैकेनिकल डिपार्टमेंट प्राइमरी कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड में नियुक्ति के लिए बैंककर्मियों को धमकाने के बाद उसकी सरगर्मी से तलाश शुरू हुई।