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    कोरोना के सामान्य डोज से ज्यादा ताकतवर है 'काकटेल डोज', RMRC गोरखपुर के दो साल के रिसर्च में सामने आया रिजल्ट

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Thu, 20 Jul 2023 08:57 AM (IST)

    सिद्धार्थनगर के 20 लोगों को पहली डोज कोविशील्ड की लेकिन दूसरी भूलवश कोवैक्सीन की लगी थी। जिसको लेकर आरएमआरसी गोरखपुर के दो वर्ष के अध्ययन में जो परिणाम सामने आया है वह चौंकाने वाला और सुखद रहा। सुखद यह रहा कि किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ। काकटेल डोज पर हुए अध्ययन पर एनआइवी पुणे ने भी मुहर लगा दी है।

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    सिद्धार्थ नगर में लोगों का नमूना लेती आरएमआरसी की टीम। -फाइल फोटो

    गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। एक व्यक्ति को दो अलग-अलग कंपनियों की लगाई गई कोरोनारोधी वैक्सीन (काकटेल डोज) एक ही कंपनी की वैक्सीन से ज्यादा ताकतवर साबित हुई है। सिद्धार्थनगर में 14 मई, 2021 में ऐसा 20 लोगों के साथ हुआ था। इन सभी को पहली डोज कोविशील्ड की लेकिन दूसरी भूलवश कोवैक्सीन की लग गई। सुखद यह रहा कि किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ। इसके बाद इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने इसे प्रयोग का विषय मानते हुए क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी), गोरखपुर को इस पर अध्ययन करने को कहा।

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    शोध पर एनआइवी पुणे ने भी लगाई मुहर

    काकटेल डोज पर हुए अध्ययन में जो परिणाम मिले उसे पुष्टि के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी, पुणे को भेजा गया। वहां भी विशेषज्ञों के अध्ययन में वही परिणाम सामने आए जो आरएमआरसी के अध्ययन में थे। इस अध्ययन को जर्नल आफ ट्रैवेल मेडिसिन, इंग्लैंड ने प्रकाशित किया है।

    सामान्य में 1.18 तो ‘काकटेल डोज’ में 1.65 गुणा ज्यादा एंटीबाडी

    गोरखपुर में दो वर्ष तक चले अध्ययन के जो परिणाम सामने आए वह न केवल चौंकाने वाले बल्कि सुखद रहे। जिन लोगों को एक ही वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी उनमें 1.18 गुणा एंटीबाडी मिलीं, जबकि काकटेल डोज वालों में एंटीबाडी 1.65 गुणा ज्यादा थी। आरएमआरसी के तत्कालीन निदेशक डा. रजनीकांत के निर्देशन में जून 2021 में 88 लोगों पर अध्ययन शुरू किया गया। इसमें 17 लोग काकटेल डोज वाले थे, जबकि 36 कोविशील्ड व 35 ऐसे लोग थे जिन्हें दोनों डोज कोवैक्सीन की लगी थी। सभी की उम्र 60 वर्ष से अधिक थी।

    पहला नमूना डोज लगने के एक माह बाद व दूसरा छह माह बाद लिया गया। इन्हीं दोनों नमूनों पर शोध किया गया। सभी 88 लोगों में जो एंटीबाडी मिली, वह कोरोना के अल्फा, बीटा, डेल्टा व ओमिक्रोन वैरिएंट पर प्रभावी थी। यह जांच प्लाट रिडक्शन न्यूट्रलाइजेशन टेस्ट (पीआरएनटी) प्रक्रिया के तहत की गई थी। अध्ययन करने वाली टीम में डा. गौरवराज द्विवेदी, डा प्रज्ञा यादव, डा कामरान, डा राजीव सिंह, डा एसपी बेहरा, कमलेश, रविशंकर, फातिमा, ओंकार व सत्येन्द्र शामिल थे।

    क्या कहते हैं जानकार

    गोरखपुर आरएमआरसी के तत्कालीन निदेशक डा. रजनीकांत ने कहा कि इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो चुका है कि काकटेल डोज, सामान्य डोज से ज्यादा ताकतवर है। यदि हम करोनारोधी वैक्सीन की पहली व दूसरी डोज अलग-अलग कंपनियों की लेते हैं तो उससे कोरोना के खिलाफ अधिक एंटीबाडी बनती है। खास बात यह है कि ‘काकटेल डोज’ लेने वालों के शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ा।