गोरखपुर, जागरण संवाददाता। लखनऊ के आर्किटेक्ट का फर्जी हस्ताक्षर कर व पंजीकरण संख्या का दुरुपयोग कर गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) में मानचित्र स्वीकृत कराने का मामला प्रकाश में आने के बाद आर्किटेक्टों से संवाद करने की तैयारी है। प्रदेश के मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक गोरखपुर सहित प्रदेश के करीब 100 आर्किटेक्ट से आनलाइन संवाद करेंगे। इसमें आर्किटेक्ट एसोसिएशन की ओर से फर्जीवाड़ा रोकने के लिए 15 दिन के अंदर मानचित्र मंजूरी में आनलाइन सिग्नेचर की व्यवस्था अनिवार्य करने की मांग की जाएगी। माना जा रहा है कि इस मांग को मानते हुए नए साफ्टवेयर में इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा।

प्रमुख सचिव आवास के समक्ष उठा था मामला

लखनऊ के आर्किटेक्ट की आइडी पर जीडीए में करीब 100 से अधिक मानचित्र पास हो गए थे। यह मामला सार्वजनिक होते ही हड़कंप मच गया था और कई लोग अपने मानचित्र की वैधता जांचने के लिए जीडीए का चक्कर लगाने को मजबूर हो गए थे। जीडीए से पहले इस तरह का मामला मेरठ विकास प्राधिकरण में भी सामने आया था। वहां इस मामले में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने दोनों प्राधिकरणों में हुए फर्जीवाड़े का मामला प्रमुख सचिव आवास के समक्ष भी उठाया था। इसके बाद उन्होंने मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक को आर्किटेक्टों की समस्याओं का निराकरण करने का निर्देश दिया था।

चार सत्रों में होगी चर्चा

नियोजक की ओर से होने वाली वर्चुअल बैठक में चार सत्रों में चर्चा होगी। मानचित्र दाखिल करने के लिए विकसित साफ्टवेयर पर भी चर्चा की जाएगी। उत्तर प्रदेश आर्किटेक्ट एसोसिएशन के संयुक्त सचिव मनीष मिश्रा ने बताया कि मानचित्र स्वीकृति में डिजिटल सिग्नेचर की अनिवार्यता पहली मांग है। इसके साथ ही मानचित्र मंजूरी के लिए अग्निशमन विभाग, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, एनएचएआइ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन विभाग, तहसील, जिला पंचायत जैसे विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होता है। मांग की जाएगी कि सभी विभागों की अनापत्ति आनलाइन मिले।

Edited By: Satish Chand Shukla