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    गोरखपुर में बोले सीएम योगी, 'सनातन का पहला संस्कार, कर्ता के प्रति कृतज्ञता भाव'

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 08:01 AM (IST)

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कृतज्ञता भारतीय दर्शन में प्रतिष्ठित है और यह सनातन धर्म का पहला संस्कार है। उन्होंने गोरखनाथ मंदिर में महंत अवेद्यनाथ को श्रद्धांजलि अर्पित की और महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान को याद किया। उन्होंने शिक्षा और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में उनके कार्यों की सराहना की।

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    साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।- जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कृतज्ञता के भाव को भारतीय मनीषा के ज्ञान दर्शन में इसलिए प्रतिष्ठित किया गया है, क्योंकि कर्ता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना सनातन धर्म का पहला संस्कार है।

    सनातन की परंपरा में पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करने के लिए बाकायदा आश्विन माह का पूरा कृष्ण पक्ष ही समर्पित किया गया है। मुख्यमंत्री गुरुवार को गोरखनाथ मंदिर के दिग्विजयनाथ सभागार में आयोजित पुण्यतिथि समारोह के समारोप कार्यक्रम में अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे।

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    मुख्यमंत्री ने रामायणकाल में हनुमान जी और मैनाक पर्वत के बीच हुए संवाद के मुख्य उद्धरण ‘कृते च कर्तव्यम एषः धर्म सनातनः’ की याद दिलाते हुए कहा कि यह भाव सनातन से ही मिलता है। पितृपक्ष के दौरान ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ की स्मृति में आयोजित पुण्यतिथि समारोह को उन्होंने कृतज्ञता ज्ञापन का ही आयाम बताया।

    मुख्यमंत्री महंतद्वय का स्मरण करते हुए कहा कि दोनों ही महात्मा समाज, राष्ट्र और लोक जीवन से जुड़े हर मुद्दे पर सनातन धर्म व भारत के हितों के प्रति प्रतिबद्ध रहे। महंत दिग्विजयनाथ ने सनातन धर्म, शिक्षा, सेवा और राष्ट्रीयता के जिन मूल्यों और आदर्शों को स्थापित किया, उन्हें महंत अवेद्यनाथ जी ने आत्मसात कर आगे बढ़ाया। दोनों ने हमेशा देश और धर्म को प्राथमिकता दी। गोरक्षपीठ आज भी उनके बताए मार्ग का अनुसरण कर रही है।

    याेगी ने कहा गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सभ्य समाज और सशक्त राष्ट्र की आधारशिला माना। महंत दिग्विजयनाथ जी ने इसी ध्येय से देश की गुलामी के कालखंड में ही 1932 में महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी।

    1932 में परिषद के अंतर्गत पहली संस्था खुली, उसके बाद संस्थाओं की श्रृंखला बन गई। गोरखपुर में जब पहले विश्वविद्यालय की स्थापना की बात आई तो उन्होंने महाराणा प्रताप महाविद्यालय और महाराणा प्रताप महिला विद्यालय नाम के परिषद के दो महाविद्यालय समर्पित कर दिए।

    उन्होंने महिला शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, आयुष शिक्षा सहित शिक्षा के हरेक क्षेत्र को आगे बढ़ाया। महंत अवेद्यनाथ ने इस क्रम को बखूबी आगे बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने इसी क्रम में श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन की भी चर्चा की और उसमें महंतद्वय के अविस्मरणीय योगदान की याद दिलाई।

    सामाजिक समरसता को लेकर महंत अवेद्यनाथ की प्रतिबद्धता की चर्चा करते हुए योगी ने कहा कि महंत जी समाज को तोड़ने वाली ताकतों को लेकर चिंतित रहे। उन्होंने अश्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई और आजीवन सामाजिक समरसता को बढ़ाते रहे।

    समाज के प्रति समर्पित होने वाला जीवन ही सफल : बालकनाथ

    श्रद्धांजलि सभा में बाबा मस्तनाथ पीठ रोहतक के महंत और राजस्थान विधानसभा के सदस्य बालकनाथ ने कहा कि जीवन वही सफल है जो समाज के लिए समर्पित रहे। महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ जी ने ऐसा ही जीवन जिया।

    उन्होंने कहा कि आज उन्हीं महापुरुषों की देन है कि हम गर्व के साथ अपने हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के आलोक में जी रहे हैं। काशी से आए संतोषाचार्य सतुआ बाबा ने कहा कि हमें महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के आदर्शों का अनुकरण करना चाहिए, यही उनके चरणों में हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

    परोपकार के लिए होता है महापुरुषों का जीवन : डा. महेंद्र सिंह

    प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री डा. महेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ही ऐसा देश है, जहां की संस्कृति में महापुरुषों का जीवन परोपकार के लिए ही होता है। भारत का सनातन धर्म सत्य है। यह हमेशा से है और हमेशा रहेगा। महंत दिग्विजयनाथ और अवेद्यनाथ ने सदैव सनातन का ही उच्च उद्घोष किया।

    महापुरुषों के आदर्श हमेशा करते हैं मार्गदर्शन : प्रो. पूनम टंडन

    दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि महान व्यक्ति इसीलिए महान होते हैं क्योंकि वे भौतिक शरीर से पूरा जीवन समाज के लिए कार्य करते हैं और गोलोकवासी होने के बाद भी हमारा मार्गदर्शन करते रहते हैं। महंत दिग्विजयनाथ और अवेद्यनाथ इसका उदाहरण हैं।

    इन्होंने भी दी श्रद्धांजलि

    चित्तौड़गढ राजघराने के जनार्दन सिंह, हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत राजूदास, नीमच मध्यप्रदेश के लालनाथ, कच्छ गुजरात के देवनाथ, महापौर डा. मंगलेश श्रीवास्तव, एमएलसी एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डा. धर्मेंद्र सिंह, विधायक विपिन सिंह, महेंद्रपाल सिंह, प्रदीप शुक्ल, एमएलसी ध्रुव त्रिपाठी, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी, जिलाध्यक्ष जर्नादन तिवारी, महानगर संयोजक राजेश गुप्ता, आइएमए के डा. वाई सिंह, डा. आरपी त्रिपाठी, चैंबर आफ इंडस्ट्रीज से एसके अग्रवाल, दवा विक्रेता समिति के योगेंद्र दुबे, गुरुद्वारा कमेटी से सरदार जगनैन सिंह नीटू, पूर्व महापौर सीताराम जायसवाल, सिंधी समाज के अर्जुन वलानी, पूर्वांचल उद्योग व्यापार मंडल के रमेश चंद्र गुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता, हरिनंदन श्रीवास्तव।

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    ‘नाथ पंथ का दर्शन एवं साधना प्रणाली’ का विमोचन

    श्रद्धांजलि सभा में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राणि विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. दिनेश कुमार सिंह और प्रो. भारती सिंह की पुस्तक ‘नाथ पंथ का दर्शन एवं साधना प्रणाली’ का विमोचन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।

    सरस्वती वंदना, श्रद्धांजलि गीत महाराण प्रताप बालिका इंटर कालेज रमदत्तपुर की छात्राओं, वैदिक मंगलाचरण डा. रंगनाथ त्रिपाठी, गोरक्षाष्टक पाठ आदित्य तिवारी व गौरव पांडेय और महंत अवेद्यनाथ स्तोत्रपाठ डा. प्रांगेश मिश्र ने प्रस्तुत किया। संचालन डा. श्रीभगवान सिंह का रहा।