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    Exclusive: जांच लें, कहीं आपके कैमरे के जरिए कोई और तो नहीं रख रहा नजर, एक्सपर्ट ने दी यह सलाह

    गोरखपुर अपहरण कांड ने सीसीटीवी कैमरों की सुरक्षा में लापरवाही को उजागर किया है। प्रदीप सोनी नामक एक व्यक्ति ने कैमरे का एक्सेस अपराधियों को दे दिया जिससे उन्हें अशोक की हर गतिविधि की जानकारी मिलती रही। साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा डिफ़ॉल्ट पासवर्ड बदलने और अनजान लॉगिन पर सतर्क रहने की सलाह देते हैं। अधिकांश लोग इंस्टॉलेशन के बाद पासवर्ड बदलने में लापरवाही करते हैं।

    By Satish pandey Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 27 Aug 2025 08:48 AM (IST)
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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    सतीश पांडेय, गोरखपुर। आपने घर या दुकान की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा लगवाया होगा। लेकिन क्या यह कैमरा आपकी सुरक्षा का पहरेदार है या किसी और के लिए जासूस बन गया है? गोरखपुर के अशोक अपहरण कांड ने इस खतरे को उजागर कर दिया।

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    पुलिस की जांच में पता चला कि अपहरणकर्ताओं को हर गतिविधि की रियल टाइम जानकारी मिल रही थी। वजह थी कैमरे का अनधिकृत एक्सेस। आरोपित प्रदीप सोनी ने सीसी कैमरे का पासवर्ड और लिंक अपराधियों को दे दिया था।जिसके जरिए अशोक के घर आने-जाने वालों की हर तस्वीर सीधे अपराधियों की स्क्रीन पर लाइव चल रही थी।

    प्रदीप सोनी न सिर्फ कारोबारी सहयोगी था बल्कि अशोक जायसवाल के घर और हास्पिटल में लगे कैमरों तक उसकी पहुंच भी थी। उसने ही रिमोट एक्सेस पासवर्ड अपहरण गिरोह को थमा दिया। यानी जिस दोस्त को भरोसे में कैमरे का एक्सेस दिया गया, वही अपराधियों का ‘डिजिटल मुखबिर’ बन बैठा।

    मामले ने साफ कर दिया है कि खतरे की असली जड़ हमारी लापरवाही है। लोग कैमरा इंस्टालेशन के बाद डिफाल्ट पासवर्ड बदलना जरूरी नहीं समझते। कमजोर सिक्योरिटी सेटिंग्स और इंटरनेट से जुड़ा ओपन नेटवर्क किसी के लिए भी कैमरे तक पहुंच आसान बना देता है। कई बार पासवर्ड नजदीकी लोग ही जान जाते हैं और वही जानकारी अपराध की चाबी बन जाती है।

    अधिकतर लोग नहीं बदलते पासवर्ड :

    इस घटना ने यह साबित कर दिया कि खतरे की जड़ अपराधियों से ज्यादा हमारी अपनी लापरवाही है। अधिकतर लोग कैमरा इंस्टालेशन के बाद डिफॉल्ट पासवर्ड बदलना जरूरी नहीं समझते। कमजोर सिक्योरिटी सेटिंग्स, इंटरनेट से जुड़े ओपन नेटवर्क और सस्ते इंस्टालेशन से खतरा और बढ़ जाता है।

    कई बार पासवर्ड करीबी लोगों तक पहुंच जाता है और वही अपराध का रास्ता बन जाता है।अशोकर अपहरणकांड में यही वजह रही कि अपहरण की पूरी योजना को अंजाम देना बदमाशों के लिए आसान हो गया।

    यह भी पढ़ें- 'गैंगस्टर ही नहीं, अब धारा 107 में भी अपराधियों की संपत्ति जब्त होगी...', DGP ने दिया आदेश

    कैसे करें जांच?

    साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा बताते हैं कि अगर आपके घर, दफ्तर या दुकान में सीसीटीवी कैमरा लगा है तो यह जांचना बेहद जरूरी है कि कहीं उसका इस्तेमाल कोई और तो नहीं कर रहा। इसके लिए इंस्टालेशन के तुरंत बाद डिफाल्ट पासवर्ड हटाएं और समय-समय पर नया पासवर्ड लगाएं।

    आधुनिक कैमरे के एप दिखाते हैं कि किस लोकेशन से लॉगिन हुआ। अनजान जगह दिखे तो सतर्क हो जाएं। वाईफाई राउटर का पासवर्ड मजबूत रखें और कभी भी पब्लिक नेटवर्क से कैमरा न चलाएं। कैमरे का एंगल अपने आप बदलना, फुटेज गायब होना या बार-बार हैंग होना हैकिंग का संकेत हो सकता है। इंटरनेट डेटा का असामान्य ज्यादा खपत होना, जबकि कैमरा सामान्य मोड पर हो तुरंत खतरे को भांपकर जांच कर लें।