अपनी दिनचर्या और आदतों से करें कार्बन फुटप्रिंट का आकलन, सुरक्षित धरती के लिए जरूर उठाएं ये कदम
कार्बन डाइआक्साइड और मीथेन का पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जनजागरण अतिआवश्यक है। कार्बन फुटप्रिंट में भोजन परिवहन और घरेलू ऊर्जा का प्रमुख योगदान है। मनुष्य की लगभग सभी आदतें जिनमें खानपान से लेकर पहने जाने वाले कपड़े तक शामिल हैं उसके कार्बन उत्सर्जन का कारण बनते हैं। इसे कम करने के लिए हम क्या कर सकते हैं ये आगे पढ़िए...
आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन से चिंतित है। धरती पर निरंतर बढ़ते तापक्रम ने जीव और वनस्पति जगत के लिए जहां संकट उत्पन्न कर दिया है वहीं बढ़ते कार्बन उत्सर्जन ने जीवन को प्रभावित किया है। जलवायु परिवर्तन के कारण आज अतिवृष्टि, अल्पवृष्टि, अनावृष्टि, सूखा, बाढ़, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक विभीषिका का सामना करना पड़ रहा है। धरती पर बढ़ते तापक्रम के कारण समुद्र का जलस्तर ऊपर उठ रहा है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए हर नागरिक को प्रयास करना होगा।
क्या है कार्बन फुटप्रिंट
प्रधानाचार्य एके पांडेय ने कहा कि कार्बन फुटप्रिंट का संबंध किसी व्यक्ति, उत्पाद या संस्था द्वारा वातावरण में जारी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन (कार्बन डाइआक्साइड, मीथेन, नाइट्रस आक्साइड और अन्य) विशेष रूप से कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा से है। कार्बन डाइआक्साइड और मीथेन का पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जनजागरण अतिआवश्यक है। कार्बन उत्सर्जन को कम करके हम जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण करने के साथ ही जनजीवन को बेहतर बना सकते हैं। कार्बन फुटप्रिंट का आकलन हम अपनी दिनचर्या और आदतों से भी कर सकते हैं।
कार्बन फुटप्रिंट में इनका है प्रमुख योगदान
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि हर कार्य के लिए ऊर्जा की जरूरत पड़ती है और इससे कार्बन डाइआक्साइड गैस निकलती है जो धरती को गर्म करने वाली सबसे अहम गैस है। कार्बन फुटप्रिंट में भोजन, परिवहन और घरेलू ऊर्जा का प्रमुख योगदान है। मनुष्य की लगभग सभी आदतें, जिनमें खानपान से लेकर पहने जाने वाले कपड़े तक शामिल हैं, उसके कार्बन उत्सर्जन का कारण बनते हैं। यदि हम शाकाहारी भोजन करते हैं तो हमारा कार्बन फुटप्रिंट मांसाहारी की तुलना में कम होगा। वैसे ही यदि हम बाइक या कार की जगह परिवहन के लिए साइकिल का प्रयोग करते हैं तब भी हम कार्बन उत्सर्जन कम कर रहे हैं।
ऐसे भी घटा सकते हैं कार्बन उत्सर्जन
यदि हम इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल भी न्यायोचित ढंग से करते हैं तब भी हम कार्बन उत्सर्जन को घटा सकते हैं। कार्बन उत्सर्जन और अन्य ग्रीन हाउस गैसों का वातावरण में निकास जीवाश्म ईंधन, कच्चे तेल और कोयले के जलने से होता है। ग्रीन हाउस गैसों (कार्बन उत्सर्जन) में कमी लाने के लिए सौर एवं पवन ऊर्जा के अधिक इस्तेमाल के विकल्प पर जोर देना जरूरी है। प्रत्येक व्यक्ति को पौधारोपण करना चाहिए। हम दिन, महीने या साल में जितनी कार्बन डाइआक्साइड पैदा करते हैं वह हमारा कार्बन फुटप्रिंट है। इसे कम से कम रखकर ही पृथ्वी को जलवायु परिवर्तन के प्रकोप से बचाया जा सकता है। डा. एके पांडेय, प्रधानाचार्य, विकास भारती स्कूल।
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