World No Tobacco Day: तंबाकू ने तबाह कर दिया था जीवन, हौसले से दी कैंसर को मात
गोरखपुर में तंबाकू की लत से परेशान होकर कई लोगों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों और परिवार के सहयोग से उन्होंने इस बीमारी को मात दी। जफर और ओमप्रकाश जैसे मरीजों ने हिम्मत नहीं हारी और इलाज के बाद स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। वे अब दूसरों को तंबाकू से दूर रहने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। अंबेडकर नगर के 43 वर्षीय जफर को तंबाकू की लत थी। स्वजन व शुभचिंतकों के मना करने पर भी उन्होंने तंबाकू नहीं छोड़ा और मुंह के कैंसर के शिकार हो गए। पहले गाल में अंदर की तरफ फोड़ा हुआ।
जांच में पता चला कि कैंसर है। भटहट के 40 वर्षीय ओमप्रकाश ने स्वजन के बार-बार मना करने पर तंबाकू तो छोड़ दिया, लेकिन तब तक इतना खा चुके थे कि उसकी वजह से वह बाद में कैंसर के शिकार हो गए। हालांकि दोनों का उपचार के बाद कैंसर ठीक हो चुका है।
इसमें दवा के साथ ही स्वजन व डाक्टरों का दिया हौसला व हिम्मत काम आई। वे बताते हैं कि उन्होंने तो हिम्मत छोड़ दी थी लेकिन शुभचिंतकों, परिवार व डाक्टरों ने बार-बार यही भरोसा दिया कि यह बीमारी ठीक हो जाएगी। इससे उनका हौसला बढ़ा और उन्होंने कैंसर को मात दे दी। अब दूसरों को तंबाकू न खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
कैंपियरगंज के अरविंद कुमार मौर्या कभी-कभी तंबाकू खाते थे और लाकडाउन के दौरान उन्होंने तंबाकू खाना बंद कर दिया था। बावजूद इसके पूर्व में किए गए तंबाकू के इस्तेमाल की वजह से 2021 में उन्हें जीभ में छाला पड़ा। दवा कराने के बाद भी ठीक नहीं हुआ तो उन्होंने बीआरडी मेडिकल कालेज के कैंसर रोग विभाग में जांच कराई। पता चला कि कैंसर हो चुका है।
हालांकि अभी प्रारंभिक अवस्था में था। अब वह पूरी तरह ठीक हैं। 2022 में जीभ का कैंसर लेकर पहुंचे विजय मल्ल ने भी इस गंभीर बीमारी को हौसले से मात दे दी है। दोनों कैंसर विजेताओं का कहना है कि डाक्टरों की सलाह उन्होंने मानी, परहेज किया, दवा खाई और कभी घबराए नहीं।
सिवान, बिहार की चंद्रावती देवी को टांसिल में कैंसर था। संत कबीर नगर की उर्मिला देवी, महराजगंज की सरोज देवी व शहर के अखिलेश को को जीभ में कैंसर हो गया था। बस्ती के जय प्रकाश के गाल में घाव हो गया था, जांच में पता चला कैंसर है।
इन सभी ने डाक्टर की सलाह मानी। दवा कराई और कैंसर को मात दे दी। पीड़ितों का कहना है कि उन्हें परिवार से पूरा सहयोग मिला। स्वजन ने हिम्मत व हौसला दिया। इसकी वजह से वह न तो डरे और न ही घबराए। अंतत: कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हार गई।
विशेषज्ञों के अनुसार मुख के कैंसर के सर्वाधिक मामले आ रहे हैं। इसका प्रमुख कारण तंबाकू है। जफर का रेडियोथेरेपी व कीमोथेरेपी से उपचार हुआ लेकिन ओमप्रकाश को तो केजीएमयू में सर्जरी करानी पड़ी। इसके बाद बीआरडी मेडिकल कालेज में कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी हुई।
लाखों रुपये खर्च हुए, जबकि सतर्कता से इससे बचा जा सकता था। इन दोनों की कहानी अन्य तंबाकू खाने वालों के लिए प्रेरणादायक है। उन्हाेंने तंबाकू को छोड़ा ही, लोगों को तंबाकू न खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जिन्हें कैंसर हो गया है, उन्हें बता रहे हैं कि हिम्मत व हौसले से इस बीमारी को मात दी जा सकती है।
जैसे उनका जीवन खुशहाल हो गया, वैसे अन्य का भी हो सकता है। विशेषज्ञों ने बचाव को उपचार से बेहतर बताया है। तंबाकू के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।
बीआरडी में इन कैंसर के इतने प्रतिशत रोगी
- मुंह एवं गला- 24
- बच्चेदानी के मुंह का कैंसर- 18
- स्तन कैंसर- 12.6
- गालब्लाडर- 9.6
- फेफड़े का कैंसर- 4.5
- पेट व आंत- 4.52
- गुदा व मलद्वार- 2.48
(नोट- अन्य कैंसर के रोगियों की संख्या दो प्रतिशत से नीचे है। )
सबसे ज्यादा मुख एवं गले के कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण तंबाकू ही है। इसलिए इसके इस्तेमाल से बचें। कम वसायुक्त भोजन करें। बलगम व मल में खून आए, ज्यादा दिन से खांसी, मुंह व पेट में घाव, सिर में हमेशा दर्द हो तो तत्काल विशेषज्ञ को दिखाएं। ये कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। -डॉ. मामून खान, कैंसर रोग विशेषज्ञ, बीआरडी मेडिकल कॉलेज।
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