गोरखपुर में प्रसिद्ध आंकोपैथोलॉजिस्ट डॉ. अनीता बर्गेस का हार्ट अटैक से निधन, चिकित्सा जगत में शोक
गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पैथकॉन-2025 कार्यक्रम में भाग लेने आई मुंबई की आंकोपैथोलाजिस्ट डॉ. अनीता मारिया बर्गेस का हृदय गति रुकने से निधन हो गया। 78 वर्षीय डॉ. बर्गेस की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके निधन से चिकित्सा जगत में शोक की लहर है। डॉ. बर्गेस को हिस्टोपैथोलॉजी की रानी के रूप में जाना जाता था।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कालेज के पैथोलाजी विभाग द्वारा आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम 'पैथकान-2025' में भाग लेने के लिए मुंबई से आईं आंकोपैथोलाजिस्ट डा. अनीता मारिया बर्गेस का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
वह 78 वर्ष की थीं। उन्हें कोल्ड एंबुलेंस से दिल्ली तक सड़क मार्ग से भेजा गया, जहां से मुंबई ले जाया गया। प्रसिद्ध आंकोपैथोलाजिस्ट के निधन से चिकित्सा जगत में शोक छा गया।
सीएमई 19 सितंबर से शुरू होनी थी। डा. अनीता बर्गेस 17 सितंबर को ही गोरखपुर आ गईं थीं। वह रेडिएंट रिजार्ट गुलरिहा में ठहरी थीं। उसी रात दो बजे उनकी तबीयत बिगड़ गई, लेकिन उन्होंने आयोजकों को इसकी सूचना नहीं दी।
18 सितंबर को सुबह सात बजे उन्होंने डा. शिल्पा वहिकर को अपनी तबीयत के बारे में बताया। तत्काल उन्हें सिटी हास्पिटल में भर्ती कराया गया। जांच के बाद पता चला कि उनका मधुमेह स्तर काफी बढ़ा हुआ था। ईसीजी रिपोर्ट और लक्षण हार्ट ब्लाकेज के संकेत दे रहे थे।
एंजियोग्राफी के बाद यह स्पष्ट हुआ कि उनके हृदय की एक रक्त वाहिका सौ प्रतिशत ब्लाक थी। उनके साथ आए सहयोगी डा. सुमीत गुज़ऱाल ने मुंबई में उनके छोटे भाई कार्डियोलाजिस्ट डा. एरिक बर्गेस से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें मुंबई भेजने की सलाह दी और एयर एंबुलेंस भी बुक कर दी।
सिटी हास्पिटल से उन्हें एयरपोर्ट ले जाया जा रहा था, लेकिन एयरपोर्ट के गेट पर पहुंचते ही उन्हें कार्डियक अरेस्ट हो गया। एंबुलेंस में मौजूद आइसीयू सहायक ने सीपीआर दिया, जिसके बाद वह होश में आ गईं। हालांकि, उन्हें पुनः सिटी हास्पिटल लाया गया, लेकिन वहां पहुंचने पर डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
शुक्रवार व शनिवार को था डा. अनीता का व्याख्यान
डा. अनीता का कैंसर पर दो व्याख्यान 'पैथकान-2025' में निर्धारित थे। पहला व्याख्यान साफ्ट टिश्यू ट्यूमर पर शुक्रवार को तीन बजे से रात आठ बजे तक होना था। डा. शिल्पा वहिकर ने बताया कि डा. बर्गेस घंटों पढ़ाती थीं, इसलिए उन्हें पर्याप्त समय दिया गया था। शनिवार को सुबह 11 से दोपहर 12 बजे तक उनका दूसरा व्याख्यान था, लेकिन इसका लाभ पैथोलाजिस्टों को नहीं मिल पाया।
संदिग्ध चिकित्सा विचारों को चुनौती देने से नहीं डरती थीं
बीआरडी मेडिकल कालेज के पैथोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. राजेश कुमार राय ने बताया कि डॉ. बर्गेस, जिन्हें "हिस्टोपैथोलॉजी की रानी" के रूप में जाना जाता था, ने टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई में सर्जिकल पैथोलाजी की प्रोफेसर और प्रमुख के रूप में लंबे समय तक अपनी सेवाएं दीं।
डा. अनीता की रिपोर्ट रोगी की बायोप्सी पर कैंसर के प्रकार और ग्रेड का अंतिम निर्णय मानी जाती थी। देश के युवा आंकोलाजिस्टों को पढ़ाना और मार्गदर्शन करना उनका ध्येय था। वह बहुत ही स्पष्ट और ईमानदार थीं और सबसे अच्छी मेंटर थीं जो किसी से मिल सकती थीं।
कभी उन्होंने किसी चीज से समझौता नहीं किया। संदिग्ध चिकित्सा विचारों को चुनौती देने से भी वह नहीं डरती थीं। वर्षों पहले उन्होंने 'काल्पनिक बीमारियों' को खारिज कर दिया, जब तक अनुसंधान ने उनके आकलनों की पुष्टि नहीं की। वह अक्सर अपने छात्रों से कहती थीं- 'सेल्स को सुनो'।
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