बीआरडी अग्निकांड ने ताजा कर दी आक्सीजन कांड की याद, अचानक आग लगी तो भागने लगे मरीज, भय से कांप उठा पूरा माहौल
बाबा राघवदास मेडिकल कालेज की मेडिसिन इमरजेंसी में अचानक आग लगी तो अफरातफरी मच गई। मरीजों में रोने- चिल्लाने की आवाज गूंजने लगी। आग लगने के दौरान अफरात ...और पढ़ें

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। बीआरडी मेडिकल कालेज के नेहरू अस्पताल में रोंगटे खड़े कर देने वाले दृश्य ने 2017 में हुए आक्सीजन कांड की याद ताजा कर दी। वैसा ही अफरातफरी भरा माहौल गुरुवार को लोगों को भयभीत कर गया। जान बचाने के लिए यहां भर्ती हुए रोगी अचानक आग लगने के बाद अनहोनी की आशंका में भागने लगे। पूरा वातावरण भय से कांप उठा। हर ओर रोने-चिल्लाने का शोर मचा और पूरा माहौल अराजक हो गया। आग लगने के बाद जो रोगी चल नहीं सकते थे, वे भागते नजर आए। जो वेंटीलेटर पर थे, उन्हें स्ट्रेचर पर लेकर स्वजन भाग रहे थे। जिन्हें स्ट्रेचर नहीं मिला, वे अपने रोगी को कंधे पर लेकर भागे। देखते-देखते वार्ड नंबर 14 व आसपास के सभी वार्ड खाली हो गए।
दलालों की हुई चांदी
दलालों की चांदी हो गई। वे रोगियों को गुमराह कर निजी अस्पताल पहुंचाने लगे। इसी बीच पुलिसबल व प्रबंधन सक्रिय हो गया और ज्यादातर रोगियों को दूर के वार्डों में शिफ्ट करा दिया गया। ट्रामा सेंटर के बाहर, पुरानी इमरजेंसी की गैलरी व प्राइवेट वार्ड की तरफ की खाली जमीन रोगियों व तीमारदारों से भर गई। रोगियों की मदद कर रही एक स्टाफ नर्स भी वार्ड में फंस गई थीं। बाद में जब देखा गया तो वह बेहोश मिलीं। उपचार के बाद उसे होश आ गया। उसके साथ तीन वार्ड ब्वाय व गार्डों ने भी रोगियों की भरपूर मदद की।
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जूनियर डाक्टरों ने दिखाया साहस
हमेशा रोगियों व तीमारदारों से मारपीट के लिए चर्चा में रहने वाले जूनियर डाक्टरों ने मानवता की मिसाल पेश की। जूनियर डाक्टरों के अलावा हास्टल से सभी एमबीबीएस छात्र तत्काल नेहरू अस्पताल पहुंच गए और स्ट्रेचर पर रोगियों को लेकर भागने लगे। उनकी मदद से अनेक रोगियों की जान बच गई। रोगियों को आनन-फानन में बाल रोग विभाग के 100 नंबर वार्ड में शिफ्ट कराया गया।
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तत्काल मौके पर पहुंच गए डाक्टर
सूचना मिलते ही सर्जरी विभाग के डा. अशोक, हड्डी रोग विभाग के डा. पवन प्रधान व नेत्र रोग विभाग के डा. रामकुमार जायसवाल पहुंच गए। जूनियर डाक्टरों व एमबीबीएस छात्रों की मदद से अनेक रोगियों की जान बचा ली गई है।
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गेट पर लग गई लोगों की भीड़
आग लगने की सूचना से गेट के सामने दुकानें बंद होने लगीं। आसपास के दुकानदार व मोहल्लों के लोग पहुंच गए। मुख्य द्वार पर भीड़ जमा हो गई। यात्री यह जानने की कोशिश करने लगे कि क्या हुआ है।
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दुर्घटना के समय मेडिसिन इमरजेंसी में 58 मरीज थे भर्ती
मेडिसिन इमरजेंसी वार्ड नंबर-14 में 58 मरीज भर्ती थे, जिसमें से आइसीयू में 20 बेड हैं। वार्ड नंबर-14 के नीचे पीडियाट्रिक विभाग के वार्ड नंबर-12 में 18 मरीज भर्ती थे। वार्ड नंबर-12 के बगल में वार्ड नंबर-11 मेडिसिन वार्ड है, जिसमें 72 बेड हैं तथा वार्ड नंबर-14 के सामने वार्ड नंबर-दो है, जिसमें 54 बेड हैं। इसके साथ बर्न व न्यूरो सर्जरी वार्ड को खाली करवाया गया। सब मरीज बाहर या गैलरी में इधर-उधर पड़े थे। बाद में उन्हें दूसरे वार्डों में भेजा गया।
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डीएम बोले
अग्निकांड की जांच के लिए मुख्य अग्निशमन अधिकारी और विद्युत सुरक्षा निदेशालय के अधिकारी की टीम गठित की गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कारण स्पष्ट हो सकेगा। कृष्णा करुणेश जिलाधिकारी, गोरखपुर

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