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    खतरे का सबब बन रहा BRD कॉलेज का जर्जर रैंप, छत से गिर रहा प्लास्टर, सरिया भी निकले बाहर 

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 10:17 PM (IST)

    बीआरडी कॉलेज का रैंप जर्जर हालत में है, जिससे छात्रों और कर्मचारियों के लिए खतरा पैदा हो गया है। रैंप की छत से प्लास्टर गिर रहा है और सरिया बाहर निकल आई है। कॉलेज प्रशासन को तत्काल इसकी मरम्मत करानी चाहिए ताकि किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके।

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    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कालेज के नेहरू अस्पताल का रैंप अब खतरों भरा रास्ता बन चुका है। मेडिसिन वार्ड नंबर 14 के पास स्थित यह रैंप वर्षों से मरम्मत की गुहार लगाता रहा, लेकिन अब हालात इतने बिगड़ गए हैं कि छत से न केवल प्लास्टर झड़ने लगा है, बल्कि लोहे की सरिया भी बाहर लटक आई है।

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    यही रैंप अस्पताल के सबसे संवेदनशील हिस्सों - मेडिसिन इमरजेंसी, गायनी वार्ड, लेबर रूम और आईसीयू तक जाने का मुख्य रास्ता है। हर दिन सैकड़ों रोगी और डाक्टर इसी रास्ते से गुजरते हैं। हर बार मौत उनके सिर के ऊपर झूलती नजर आती है।

    रोजाना गुजरते हैं इतने लोग

    मेडिकल कालेज की भीड़भाड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस रैंप के नीचे से रोजाना औसतन दो से तीन हजार लोग गुजरते हैं। इनमें रोगियों के साथ तीमारदार, चिकित्सक, जूनियर डाक्टर व कर्मचारी भी होते हैं। रोगियों को स्ट्रेचर पर ले जाया जाता है, गर्भवती इसी रास्ते लेबर रूम तक पहुंचती हैं।

    रूटीन आपरेशन के बाद रोगियों को वार्डों में शिफ्ट करने का रास्ता भी यही है। रैंप के ऊपर की छत से जगह-जगह प्लास्टर टूट चुका है। दीवारों से सीमेंट झड़ गया है और सरिया बाहर दिखने लगी है। कई जगहों पर सरिया मुड़कर नीचे की ओर लटक रही है, जो किसी भी क्षण गिर सकती है। पिछले कुछ दिनों में कई बार छत से मलबा नीचे गिरा है, जिससे रोगी और डाक्टर बाल-बाल बचे हैं।

    पिछले साल गायनी प्रोफेसर हुई थीं घायल

    रैंप की जर्जर स्थिति कोई नई नहीं है। पिछले वर्ष गायनी विभाग की प्रोफेसर के सिर पर प्लास्टर का टुकड़ा गिर गया था। उन्हें सिर में टांके लगाने पड़े। इस घटना ने प्रशासन को कुछ दिनों के लिए सतर्क जरूर किया, पर मरम्मत का काम कागजों में ही सिमट गया। अब हालात पहले से भी ज्यादा खतरनाक हो गए हैं।

    यह रैंप 2015 में आए भूकंप के दौरान क्षतिग्रस्त हुआ था। उसके बाद इसकी मरम्मत के नाम पर सिर्फ अस्थायी पैबंद लगाए गए। बीम और पिलर में गहरे दरारें पड़ चुकी हैं। एनेस्थीसिया विभाग के पास का हिस्सा सबसे कमजोर हो चुका है, जहां लोहे के सरिए बाहर झांक रहे हैं।

    यह रैंप न केवल रोगियों के लिए बल्कि महिला डाक्टरों और एमबीबीएस छात्राओं के लिए भी रोजमर्रा का रास्ता है। प्राचार्य डा. रामकुमार जायसवाल ने बताया कि शासन ने इस रैंप के पुनर्निर्माण के लिए 5.50 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे दी है। यूपी प्रोजेक्ट्स कारपोरेशन को निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा।