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    कागजों में कारोबार दिखाकर ITC क्लेम करती हैं बोगस फर्में, बीते वर्ष 30 हजार से भी ज्यादा फर्मों के खिलाफ की जा चुकी है कार्रवाई

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 08:49 PM (IST)

    बोगस फर्म बनाकर कर छह करोड़ की कर चोरी का मामला पकड़ में आया है। जीएसटी अधिकारियों की जांच में कर चोरी का बड़ा खेल सामने आने के बाद रामगढ़ताल थाने में एटा और लखीमपुर खीरी जिले में रहने वाले दोनों फर्मों के संचालकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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    कागजों में कारोबार दिखाकर ITC क्लेम करती हैं बोगस फर्में।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बोगस फर्म बनाकर कर छह करोड़ की कर चोरी का मामला पकड़ में आया है। जीएसटी अधिकारियों की जांच में कर चोरी का बड़ा खेल सामने आने के बाद रामगढ़ताल थाने में एटा और लखीमपुर खीरी जिले में रहने वाले दोनों फर्मों के संचालकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस तरह के मामले लगातार आते रहे हैं। बीते वर्ष विशेष अभियान के जरिए देश भर में 44,015 करोड़ रुपये की संदिग्ध इनकम इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) चोरी में शामिल कुल 29,273 फर्जी फर्मों का पता चला था।

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    दरअसल, बोगस फर्में वो फर्म होती हैं जो सिर्फ टैक्स चोरी के उद्देश्य से बनाई जाती हैं और उन्हें वस्तु या सेवा में कारोबार के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। कागजों में उस तरह की सेवाओं और वस्तुओं की खरीद-बिक्री दिखाई जाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसे फर्मों द्वारा वस्तु और सेवा का कोई काम नहीं किया जाता है। कागजों में कारोबार दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम किया जाता है। विभाग की टीम जब ऐसी फर्मों को पकड़ती थी तो पता चलता था कि जिस व्यक्ति के नाम पर फर्म बनाई गई है वो न उस कारोबार के बारे में जानता है और न उसने कोई लिखित सहमति दी है।

    सीजीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने वाले ज्यादा करते गड़बड़ी

    जब जीएसटी लागू की गई थो पोर्टल पर कुछ डाक्यूमेंट अपलोड कर आसानी से रजिस्ट्रेशन हो जाता था। इनमें से 50-50 प्रतिशत रजिस्ट्रेशन राज्य और केंद्र के पास सत्यापन के लिए चला जाता था। प्रदेश सरकार के पास सत्यापन करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त होती थी, जिसे राज्य कर विभाग द्वारा जो रजिस्ट्रेशन किया जाता था, उसमें गड़बड़ी की आशंका कम रहती थी। लेकिन सीजीएसटी के द्वारा वेरिकेशन में कुछ ढिलाई की वजह से इन जीएसटी नंबर पर गड़बड़ी की आशंका ज्यादा रहती है। आइटीसी चोरी के जो भी मामले आ रहे हैं, उनमें अधिकांश वो जीएसटी नंबर वाले होते हैं, जिनका सत्यापन का जिम्मा सेंट्रल जीएसटी के पास होता था।

    नकेल के लिए अब नई फर्मों का बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन का प्रविधान

    राज्य कर के एडिशनल कमिश्नर ग्रेड वन संजय कुमार का कहना है कि केंद्र सरकार ने टैक्स चोरी के उद्देश्य से बनाए गए बोगस फर्मों पर नकेल कसने के तहत नई फर्म का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन का प्रविधान किया है। पहले आधार आधारित सत्यापन प्रक्रिया के जरिए नई फर्म का रजिस्ट्रेशन हो जाता है, जिसमें आधार में दर्ज मोबाइल नंबर पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) जाता है, फिर उसको रजिस्ट्रेशन के समय फीड कर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाता था। लेकिन, लगातार बढ़ रहे जीएसटी चोरी के मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को बदल दिया है।

    पायलट प्रोजेक्ट में सफल रहा है प्रयोग

    रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में बदलाव के बाद देखा गया कि बोगस फर्मों के रजिस्ट्रेशन में भारी कमी आई है क्योंकि बायोमेट्रिक सत्यापन में यह धांधली होने की संभावना कम हो जाती है कि किसी व्यक्ति ने अपने यहां पर कार्यरत कर्मचारी के नाम पर फर्म का रजिस्ट्रेशन करा लिया।

    पुरानी फर्मों के लिए भी अनिवार्य की गई है नई व्यवस्था

    पुरानी फर्मों के लिए भी बायोमैट्रिक सत्यापन की प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया गया है। कर सकती है, जिससे कि बोगस फर्मों को पता लगाया जा सके। बायोमैट्रिक सत्यापन होने के बाद फर्म के प्रति उस व्यक्ति की जिम्मेदारी होगी, जिसने रजिस्ट्रेशन के समय अपने सारे दस्तावेज जमा कराए और यह सहमति दी कि फर्म को गठन उसके नाम पर और उसकी सहमति के आधार पर किया जा रहा है।