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    कालानमक : शुगर के मरीज भी खा सकते हैं यह चावल, इसकी खुश्‍बू है बेमिसाल Gorakhpur News

    By Pradeep SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 13 Sep 2019 07:22 AM (IST)

    कालानमक की खुश्‍बू से पूर्वांचल फ‍िर महकेगा। सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। कालानमक चावल को शुगर के मरीज भी खा सकते हैं।

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    कालानमक : शुगर के मरीज भी खा सकते हैं यह चावल, इसकी खुश्‍बू है बेमिसाल Gorakhpur News

    गोरखपुर, जेएनएन। कालानमक की खुश्‍बू से पूर्वांचल फ‍िर महकेगा। सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। कालानमक का उत्‍पादन बढ़ाने और कालानमक की मूल प्रजाति की बुवाई को लेकर यूपी सरकार गंभीर है। इसके लिए यूपी सरकार के प्रमुख सचिव सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन नवनीत सहगल स्‍वयं सिद्धार्थनगर पहुंचे और अधिकारी व किसानों के साथ बैठक की।

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    प्रमाणित व शोधित बीज उपलब्‍ध कराएगी सरकार

    मौजूद उद्यमियों की राय जानी। निर्यातकों ने काला नमक धान की खुशबू को पूरी दुनिया तक पहुंचाने का संकल्प लिया। आगामी बुवाई सत्र में प्रमाणित व शोधित काला नमक धान का बीज उपलब्ध कराने की रूपरेखा तैयार की। उन्होंने शासन की योजना और मंशा को भी बताया।

    शुगर के मरीज भी खा सकते हैं यह चावल

    उन्‍होंने कहा कि जब यह चावल विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना लेगा तो किसानों की आय भी दोगुनी हो जाएगी। विशेषज्ञों बताते है कि इस चावल में आयरन व जिंक की प्रचुर मात्रा मिलती है। इसे मधुमेह के मरीज भी खा सकते हैं। इसकी खुशबू कायम रखने के लिए नेशनल इंस्टीयूट आफ न्यूटीशियन हैदराबाद से भी संपर्क किया जाएगा। डीएम दीपक मीणा ने कहा कि काला नमक धान की बुवाई करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

    बाजार में उतारा जाएगा कालानमक धान

    प्रमुख सचिव ने कहा कि काला नमक चावल के धान को बाजार में उतारा जाएगा। धान कूटने के लिए उच्‍चस्तरीय राइस मिल स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए निजी क्षेत्रों से वार्ता की जा रही है।

    निर्यातक भी साथ में आए हैं। काला नमक की पैदावार को बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि पहले रकबा बढ़े। सिंचाई के संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। प्रमाणित व शोधित बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

    निर्यात होगा कालानमक चावल

    काला नमक धान उत्पादन के लिए चार मंडल के 11 जनपदों को जीआइ टैग मिलेगा। बस्ती व देवीपाटन मंडल के तीन-तीन, गोरखपुर के चार व फैजाबाद मंडल के एक जनपद को चयनित किया गया है। इन्हीं जनपदों में हुए काला नमक के चावल को निर्यात किया जाएगा।

    कालानमक की खेती में जैविक खाद होगा प्रयोग

    विशेषज्ञों ने किसानों को बताया कि जैविक खाद से पैदा धान की खुशबू तीन वर्ष तक कायम रहती है। पैदावार भी अधिक होती है।

    299 रुपये प्रति किलो बिक रहा है यह चावल

    कार्यशाला में एक आनलाइन कंपनी के प्रतिनिधि ने बताया कि काला नमक चावल की आनलाइन बिक्री हो रही है। चावल खरीदने के लिए चेन्नई व हैदराबाद से भी आर्डर आता है। चावल का मूल्य 299 रुपये प्रति किलो है।

    चार प्रजाति के बीज हैं चयनित

    कृषि विज्ञान केंद्र सोहना और कृषि विवि पंतनगर मिलकर लौटाएंगे धान की खुशबू। इसके लिए प्रमुख सचिव ने मंत्रणा की। वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र सोनहा डा. एसके मिश्रा ने बताया कि काला नमक धान की चार प्रजाति के बीज पर शोध किया जा रहा है। इनमें एक स्थानीय व तीन बाहर के बीज है।

    पैदावार होने के बाद इन्हें पंतनगर व कुमारगंज कृषि विश्वविद्यालय भेजा जाएगा। जहां इनको प्रमाणित किया जाएगा।

    बैठक में यह रहे उपस्थित

    बैठक में निर्यातक अनिल मित्तल, मिलर सुखबीर सिंह, कृषि उत्पाद विशेषज्ञ डा. वीपी सिंह, बीज उत्पादक डा. आरसी चौधरी, अधिशासी अभियंता ड्रेनेज आरके नेहरा, सहायक अभियंता एमटी राय, कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र डा. एसके मिश्रा, मुख्य वैज्ञानिक एलके वर्मा, वैज्ञानिक प्रदीप कुमार, जिला कृषि अधिकारी सीपी सिंह आदि मौजूद रहे।