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    UP Election Result 2022: दल बदलने वाले मैदान से बाहर- स्‍वामी प्रसाद व व‍िनय शंकर के काम नहीं आया पाला बदलना

    By Pradeep SrivastavaEdited By:
    Updated: Tue, 15 Mar 2022 04:52 PM (IST)

    UP Assembly Election Result 2022 ऐन चुनाव के वक्‍त अपनी पार्टी बदल कर दूसरे दल से मैदान में आने वाले द‍िग्‍गज चुनावी मैदान से बाहर हो गए। स्‍वामी प्रस ...और पढ़ें

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    UP Election 2022: चुनाव में दल बदलने वाले नेताओं ने को इस बार जनता ने नकार द‍िया। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। राजनीति के मैदान में पाला बदलकर जीत की दहलीज पार करने की कोशिश आम है, लेकिन सफल वह होता है, जो समझ सके कि किस पाले में जाना है। नहीं समझे तो कुर्सी से दूरी तय है। गोरखपुर-बस्ती मंडल के पांच विधायक का आकलन सटीक नहीं बैठा और जनता को सरकार के खिलाफ मानकर पाला बदलने वाले ये माननीय मैदान से बाहर हो गए। इसमें भाजपा सरकार में मंत्री रहे कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैैं तो पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय शंकर भी।

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    स्वामी प्रसाद मौर्य और जय चौबे सपा में गए तो सुरेश तिवारी हुए हाथी पर सवार

    भाजपा सरकार में श्रम व सेवायोजन मंत्री व कुशीनगर की पडरौना सीट से विधायक रहे स्वामी प्रसाद मौर्य अधिसूचना जारी होते ही पद से इस्तीफा देकर साइकिल पर सवार हो गए थे। भाजपा ने डैमेज कंट्रोल करते हुए तुरंत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह राज्यमंत्री कुंवर आरपीएन सिंह को अपने पाले में कर लिया। पडरौना स्टेट के कुंवर ने चुनाव तो नहीं लड़ा, लेकिन उनके भाजपा में आने से समीकरण बदल गया और स्वामी प्रसाद पडरौना सीट को छोड़कर फाजिलनगर से चुनावी मैदान में उतरे। यहां सपा को जातिगत समीकरण सधते दिख रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे ईवीएम खुलीं, स्वामी की हार का अंतर बढ़ता गया। बहुमत की जनता ने उन्हें नकारकर पहली बार चुनाव लड़ रहे भाजपा के सुरेंद्र कुशवाहा को चुना।

    बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी भी सपा में गए, अपना दल के अमर सिंह चौधरी आसपा में गए

    दो विधायक ऐसे रहे, जिन्होंने अधिसूचना से पहले ही सपा का दामन थाम लिया था, लेकिन उनका यह कदम कुर्सी से दूर ले जाने वाला साबित हुआ। गोरखपुर के चिल्लूपार से बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी और संतकबीर नगर की खलीलाबाद सीट से भाजपा विधायक दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे लखनऊ जाकर एक साथ साइकिल पर सवार हुए। विनय को तो सपा ने टिकट दिया, लेकिन जय चौबे को नहीं। लंबे मंथन और समीकरण के बाद अंतिम समय में जय को टिकट मिला। आधे मतों की गिनती तक समीकरण सधते दिख रहे थे, लेकिन अंतिम परिणाम आते-आते जय भाजपा के नये चेहरे अंकुर राज तिवारी से हार गए। विनय शंकर तिवारी भी पूर्व मंत्री भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी से हार गए।

    यह द‍िग्‍गज भी नहीं मार पाए मैदान

    सिद्धार्थनगर की शोहरतगढ़ सीट से अपना दल के विधायक रहे अमर सिंह चौधरी के लिए तो दलबदल असहज स्थिति करने वाला भी रहा। अमर सिंह भी चुनाव से पहले साइकिल पर सवार हो गए, लेकिन उन्हें टिकट मिला बांसी सीट से, जहां सात बार के विधायक और स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह भाजपा के टिकट पर मजबूती से खम ठोंक कर खड़े थे। अमर सिंह ने बांसी का मैदान छोड़ दिया। वह शोहरतगढ़ से ही आजाद समाज पार्टी के टिकट पर लड़े, लेकिन 13 हजार वोट पाकर पांचवें स्थान पर सिमट गए। टिकट कटने के बाद दल बदलने वाले विधायक सुरेश तिवारी वह समीकरण भी नहीं साध पाए, जिसे साधकर वर्ष 2007 में बसपा से रुद्रपुर के विधायक के रूप में विधानसभा में बैठे थे। देवरिया के बरहज से भाजपा विधायक रहे सुरेश टिकट कटने पर हाथी पर सवार होकर रुद्रपुर के मैदान में उतरे, लेकिन जनता ने उन्हें दोबारा कुर्सी नहीं दी।