UP News: गोरखपुर में अधिकारी को ही दे दी रंगी हुई लीची, छिलका निकालते ही हाथ हुए लाल
गोरखपुर में मिलावटखोर पुरानी लीची को रंग कर बेच रहे हैं। स्प्रे पेंट का इस्तेमाल हो रहा है जिससे लीची जहरीली हो रही है। रंगीन लीची की पहचान के लिए पत्तों पर ध्यान दें या तारपीन के तेल से जांच करें। विशेषज्ञ ऐसी लीची को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताते हैं। बाजार में पपीता भी कार्बाइड से पकाया जा रहा है। सतर्कता से खरीदारी करें।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बाजार में लीची खरीदने जा रहे हैं तो इसके रंगे होने की भी जानकारी दिमाग में रख लीजिए। मिलावटखोरों ने पुरानी और खराब हो रही लीची को स्प्रे पेंट की सहायता से रंग कर बेचना शुरू कर दिया है। एक लीटर पेंट से 50 किलोग्राम से ज्यादा लीची रंग दी जा रही है।
रंगीन और चमकदार लीची देखकर लोग खरीद भी ले रहे हैं। बाद में पता चल रहा है कि लीची की गुणवत्ता तो खराब है ही, पेंट के कारण शरीर को भी नुकसान हो रहा है। एक अधिकारी ने भी रंगीन और चमकदार लीची देखकर खरीदी लेकिन जब घर में खाने जा रहे थे तो इसके रंगे होने की जानकारी मिली।
बिहार से लीची की पूर्वांचल में आपूर्ति होती है। मंडियों के माध्यम से इसे दुकानदारों तक पहुंचाया जाता है। अच्छी गुणवत्ता की लीची की बिक्री में कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन खराब गुणवत्ता की लीची बेचने के लिए मिलावटखोर पेंट का सहारा ले रहे हैं।
छिलके के रास्ते लीची को जहरीला बना रहे पेंट
लीची का छिलका काफी पतला होता है। इसको पेंट से रंगा जाता है तो पेंट में मिलाए गए जहरीले पदार्थ लीची तक पहुंच जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी लीची का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से कैंसर तक हो सकता है।
अनार को भी रंगते हैं लाल रंग से
मिलावटखोर अनार को भी लाल पेंट से रंग देते हैं। ऐसे अनार के छिलके तो लाल होते हैं लेकिन अंदर दाने सफेद ही रहते हैं। अनार का छिलका मोटा होता है इसलिए हानिकारक पेंट कम मात्रा में अंदर पहुंचता है लेकिन इतनी मात्रा भी मानव स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है।
ऐसे पहचानें रंगी लीची
लीची रंगी है या नहीं, इसकी पहचान का तरीका आसान है। लीची खरीदते समय पत्तों पर ध्यान दें। यदि पत्तों पर रंग दिखता है तो मिलावट पक्का है। इसके अलावा यदि लीची के छिलके का रंग प्राकृतिक न दिखे तो तारपीन का तेल रूई में लेकर छिलके पर रगड़ें, यदि रूई रंगीन होने लगे तो यह मिलावट की पुष्टि है। पेंट का रंग छुड़ाने या हल्का करने के लिए या पेंट का पतला करने के लिए तारपीन के तेल का इस्तेमाल किया जाता है।
पपीता भी अच्छा नहीं
गोरखपुर: लीची की तरह पपीता भी अच्छी गुणवत्ता का नहीं मिल रहा है। कई मिलावटखोर पपीता को कार्बाइड के घोल में डुबाकर पेपर में लपेटकर बेच रहे हैं। ऐसा पपीता ऊपर से तो बिल्कुल पका दिखता है लेकिन अंदर कच्चा ही रहता है। कार्बाइड से पकाए जाने के कारण यह पपीता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
बाजार में पेंट से रंगी लीची की बिक्री हो रही है। लोगों को भी सतर्क होकर खरीद करनी चाहिए। लीची के पत्तों पर यदि पेंट जैसा कोई धब्बा दिखे तो सतर्क हो जाएं। इसके अलावा तारपीन के तेल से भी रंगी गई लीची की पहचान की जा सकती है। -डा. सुधीर कुमार सिंह, सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।