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    जिला पंचायत अध्यक्ष पद के संग्राम में समाजवादी पार्टी के हुए बलराम यादव

    By Rahul SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 04 Jun 2021 10:30 AM (IST)

    संतकबीर नगर जनपद के सबसे बड़ी पंचायत के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर राजनैतिक हलकों में सरगर्मियां तेज हैं। इसी दौर में निर्दलीय बलराम यादव ने लखनऊ पहुंचकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का दामन थामकर साइकिल की सवारी कर ली।

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    लखनऊ में बलराम यादव को समाजवादी पार्टी की सदस्यता दिलाते सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव । सौ. इंटरनेट मीडिया

    गोरखपुर, जेएनएन : संतकबीर नगर जनपद के सबसे बड़ी पंचायत के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर राजनैतिक हलकों में सरगर्मियां तेज हैं। इसी दौर में निर्दलीय बलराम यादव ने लखनऊ पहुंचकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का दामन थामकर साइकिल की सवारी कर ली। एकाएक हुए इस घटनाक्रम के चलते पहले से बनाया गया सभी दलों का समीकरण बिगड़ गया है। अब भाजपा, बसपा समेत सभी प्रमुख दलों द्वारा सियासी शतरंज पर नए दांव आजमाने की तैयारी की जा रही है।

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    14 अन्‍य सदस्‍यों का समर्थन जरूरी

    जनपद के कुल 30 जिला पंचायत सदस्यों को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में मतदान करना है। इसी में से उम्मीदवार और समर्थक भी होंगे। किसी एक को जीत के लिए अपने और प्रस्ताव समर्थक के अतिरिक्त कम से कम 13 अन्य सदस्यों का समर्थन जरूरी है।

    दलों का यह है दावा

    सपा का दावा अपने समर्थित सात से आठ सदस्यों के जीतने का है तो बसपा का दावा भी सात का है। भाजपा के खाते में सिर्फ तीन सीटें तो कांग्रेस शून्य व एक सीट मीम को मिली है। बाकी 14 सीटों पर निर्दलियों का कब्जा है। अध्यक्ष पद की सीट पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित है।

    बलराम के साइकिल सवार होने पर गर्म हुई सियासत

    बलराम यादव के पक्ष में जनपद के एक नामचीन सामाजिक कार्यकर्ता अपनी प्रतिष्ठा लगाकर कार्य कर रहे हैं। इसी दौर में बलराम ने सपा मुखिया अखिलेश यादव के सामने पार्टी की सदस्यता लेकर अध्यक्ष पद के लिए अपना दावा पेश कर दिया। हालांकि अभी तक उन्हें सपा का उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा तो नहीं की गई है, लेकिन इसे लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी के लिए जंग तेज होने के आसार बन गए हैं।

    दलों के बागियों को अपने पक्ष में करने की कवायद

    बलराम के सपा के पाले में जाने से अब नए समीकरणों का सूत्रपात हुआ है। भाजपा, बसपा समेत अन्य दलों द्वारा अब बागियों को अपने पक्ष में करने की कवायद की जा रही है। हालांकि राजनैतिक पंडित इसे सपा का मास्टर दांव मान रहे हैं।