तस्वीरों में देखें- बारिश के लिए भक्तों ने शिवलिंग को दूध में डुबोया, बोले- अब होगी झमाझम बारिश
Basti Thaleswarnath Shiva Mandir बस्ती जिले के बनकटी स्थित पौराणिक थालेश्वरनाथ शिवमंदिर में 24 घंटे से शिवलिंग को 70 लीटर दूध से डुबोया गया है। भक्तों का मानना है कि अनुष्ठान की समाप्ती के बाद मुसलाधार बारिश होती है।

बस्ती, जागरण संवाददाता। विविधता भरे इस भारत देश में विभिन्न प्रकार की भक्तों की मान्यताएं हैं, इन्हीं मान्यताओं में से एक अनोखी मान्यता बस्ती जिले के विकास खंड बनकटी अंतर्गत पौराणिक थालेश्वरनाथ शिवमंदिर पर शुक्रवार को देखने को मिला। सूखे की चपेट में आए विकास खंड में बारिश न होने के कारण पौराणिक थालेश्वरनाथ शिवलिंग को भक्तों नें पिछले 24 घंटों से अधिक समय से 70 लीटर से अधिक गाय के कच्चे दूध से डूबोया हुआ है। ग्रामीणों की मान्यता है कि ऐसा करने से क्षेत्र में मूसलाधार बारिश होती है। उधर, सावन महीने में चौबीस घंटे से अधिक समय से शिवलिंग दूध में डूबे होने के कारण दूर-दूर से दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को भोलेनाथ का दर्शन नहीं हो पा रहा है।
सैकड़ों सालों से चली आ रही है परंपरा
गांव के बुजुर्ग एवं कार्यक्रम के मुख्य आचार्य पंडित गोपाल पांडेय के अनुसार ऐसी परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। जब-जब भी क्षेत्र सूखे की चपेट में आया है और अल्प मात्रा में बारिश हुई है तब-तब गाय के कच्चे दूध में भगवान भोलेनाथ को 24 घंटे से अधिक समय तक डूबोने की परंपरा चली आ रही है। जिसको गांव की भाषा में अर्घा भरना कहा जाता है। मान्यता है कि उक्त अनुष्ठान समाप्त होने के 24 से 48 घंटे के बाद संपूर्ण क्षेत्र में बारिश होती है। गांव के पुरखों के अनुसार ऐसा कभी नहीं हुआ है कि उत्त अनुष्ठान हुआ हो और बारिश न हुई हो।
गांव के हर व्यक्ति से लिया जाता है चंदा
थाल्हापार गांव के ही निवासी 75 वर्षीय मुन्नू चौधरी के अनुसार उक्त अनुष्ठान हेतु गांव के हर व्यक्ति से चंदा लिया जाता है तथा सम्पूर्ण गांव के स्त्री-पुरुष 24 घंटे एक साथ सामूहिक रूप से भगवान भोलेनाथ का अनुष्ठान करते हैं। 24 घंटे अनवरत मंदिर पर हरि कीर्तन किया जाता है। हवन होने के बाद भगवान के अर्घे से दूध बहाकर पुनः विधिवत पूजन-अर्चन किया जाता है और उनसे क्षमा याचना की जाती है कि भक्तों के अपराध को क्षमा करते हुए अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें और क्षेत्र में बारिश का प्रसाद प्रदान करें।
भंडारे का भी होता है आयोजन
अनुष्ठान के मुख्य यजमान दयाशंकर चौधरी के मुताबिक उक्त परंपरा बचपन से ही देखते चले आ रहे हैं। जब- जब भी गांव में सूखे की संभावना हुई है, तब-तब उक्त अनुष्ठान संपूर्ण ग्राम के सहयोग से किया गया है। अनुष्ठान की समाप्ति के बाद पूरे गांव सहित आसपास के लोग भंडारे में शामिल होकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
ये लोग रहे शामिल
उक्त अनुष्ठान में श्रीकेश पांडेय,इन्द्र बहादुर चौधरी, कमला प्रसाद चौधरी,भोला निषाद,राम नेवास प्रजापति,जय कुमार चौधरी, राधेश्याम चौधरी, अभिषेक गुप्ता, सर्वेश चौधरी, राधेश्याम सैनी, रमेश चंद्र द्विवेदी, जमुनादास, हरिहर चौधरी, अशोक चौधरी की विशेषता सहभागिता रही।
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