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    B.Ed Admissions: यूपी में बीएड पाठ्यक्रम पर संकट, 84 प्रतिशत सीटें खाली

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 02:58 PM (IST)

    गोरखपुर के बीएड कॉलेजों में 84% सीटें खाली रह गई हैं जिनमें ज्यादातर स्व-वित्तपोषित कॉलेज हैं। युवाओं का बीएड से मोहभंग होता दिख रहा है। कई कॉलेजों में तो दाखिला खाता भी नहीं खुला है जिससे कॉलेज प्रबंधक निराश हैं और पाठ्यक्रम बंद करने की योजना बना रहे हैं। वित्तपोषित कॉलेजों की सीटें भर गई हैं।

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    गोवि व केवल वित्तपोषित कॉलेजों की सभी सीटों पर हो सका है प्रवेश

    डा. राकेश राय, गोरखपुर। बीएड में प्रवेश के लिए दो बार सामान्य काउंसिलिंग के बाद पूल काउंसिलिंग की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। बावजूद इसके दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय व उससे संबद्ध महाविद्यालयों की 84 प्रतिशत बीएड सीट नहीं भर सकी है।

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    सभी खाली सीटें स्व-वित्तपोषित महाविद्यालयों की हैं। मजबूर कालेजों को सीधे प्रवेश लेने का विकल्प दे दिया गया है और अपने प्रयास से सीटों को भरने को कहा गया है। खाली सीटों का आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि युवाओं का बीएड पाठ्यक्रम से मोहभंग हो गया है।

    विश्वविद्यालय व उससे संबद्ध पांच स्व-वित्तपोषित कालेजों की सभी 330 सीटें भर गई हैं। यानी स्व-वित्तपोषित कालेज में बीएड प्रवेश के नजरिये से सूखा पड़ा हुआ है। 12 स्व-वित्तपोषित कालेजों में तो बीएड प्रवेश का खाता तक नहीं खुल सका है। 41 स्व-वित्तपोषित कालेज ऐसे हैं, जिनमेंं प्रवेश का आंकड़ा दहाई तक भी नहीं पहुंचा है।

    इनमें ज्यादातर कालेजों में चार से छह प्रवेश ही हुए हैं। हालांकि खाली सीटों को सीधे प्रवेश लेने का अवसर दे दिया गया है, जिसकी प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है लेकिन ज्यादातर कालेजों ने अब प्रवेश की स्थिति सुधरने को लेकर उम्मीद भी छोड़ दी है। बीएड पाठ्यक्रम को बंद करने की योजना बनानी शुरू कर दी है।

    बीएड सीटों और प्रवेश की स्थिति

    • गोवि व संबद्ध महाविद्यालयों में बीएड की सीटें : 9377
    • गोवि व संबद्ध महाविद्यालयों में बीएड की खाली सीटें : 7885
    • गोवि व वित्तपोषित कालेजों में बीएड की सीटें : 330 (सभी भरीं)
    • स्व-वित्तपोषित कालेजों की बीएड सीटें : 9047
    • स्व-वित्तपोषित कालेजों की खाली सीटें : 7885
    • बीएड कला संवर्ग की खाली सीटें : 5810
    • बीएड विज्ञान संवर्ग की खाली सीटें : 2045
    • एक भी प्रवेश न होने वाले महाविद्यालयोें की संख्या : 12
    • प्रवेश का दहाई आंकड़ा न पार करने वाले महाविद्यालयों की संख्या : 41

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    बीएड में प्रवेश की संख्या साल-दर-साल घट रही है। इसके पीछे तीन कारण समझ में आ रहे हैं। पहला कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राइमरी शिक्षा में बीएड विद्यार्थियों के प्रवेश पर रोक लगाना है। दूसरा कारण नई शिक्षा नीति के तहत बीएड में सेमेस्टर सिस्टम का लागू किया जाना। बीएड प्रवेश के प्रति युवाओं के मोहभंग होने की यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं स्व-वित्तपोषित ज्यादातर बीएड कालेजों में ताला लग जाएगा। इसे लेकर सभी कालेज प्रबंधक काफी निराशा के दौर से गुजर रहे हैं। प्रवेश को लेकर उनकी उम्मीद टूट चुकी है। कई कालेज प्रबंधक बीएड पाठ्यक्रम को बंद करने की योजना बना रहे हैं। बीएड पाठ्यक्रम पर ही फोकस करने वाले प्रबंधक तो कालेज बंद करने की दिशा सोच रहे हैं।

    डा. सुधीर कुमार राय, महामंत्री, स्ववित्तपोषित महाविद्यालय प्रबंधक महासभा