आयुष्मान योजना के पात्र इंप्लांट खरीदकर करवा रहे ऑपरेशन, 14 दिन इंतजार के उठाया यह कदम
इंप्लांट कंपनी द्वारा आपूर्ति रोकने के बाद आयुष्मान योजना के तहत इलाज करा रहे मरीजों को परेशानी हो रही है। कंपनी का कहना है कि निर्धारित दर पर इंप्लांट देना संभव नहीं है। अस्पताल प्रशासन ने नई टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे नेहरू अस्पताल और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में जल्द ही इंप्लांट की आपूर्ति शुरू हो जाएगी, जिससे हृदय और न्यूरो के रोगियों को राहत मिलेगी।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कालेज में आयुष्मान भारत योजना की जमीनी हकीकत सवालों के घेरे में है। दावा किया जाता है कि आयुष्मान कार्डधारकों को निश्शुल्क उपचार और आपरेशन की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन हकीकत यह है कि आर्थोपेडिक वार्ड में भर्ती पात्र रोगियों को भी इंप्लांट खरीदकर आपरेशन करवाना पड़ रहा है।
जिनके पास रुपये नहीं हैं, वे वार्ड में हफ्तों से भर्ती होने के बावजूद इंप्लांट के इंतजार में हैं। इंप्लांट उपलब्ध कराने वाली कंपनी ने आपूर्ति बंद कर दी है। आयुष्मान योजना के पात्र रोगी भी उपचार के लिए रुपये खर्च करने को मजबूर हैं, जबकि योजना का मूल उद्देश्य जरूरतमंद रोगियों को निश्शुल्क उपचार उपलब्ध कराना है। इसे लेकर वार्ड में भर्ती रोगियों में नाराजगी है।
वार्ड में भर्ती देवरिया जिले के गौरी बाजार निवासी कमलेश इसके ताजा उदाहरण हैं। तीन नवंबर को सड़क दुर्घटना में उनका बायां पैर टूट गया। आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद अस्पताल में इंप्लांट उपलब्ध नहीं हुआ। 14 दिनों तक इंतजार करने के बाद उन्होंने 17 नवंबर को आयुष्मान रजिस्ट्रेशन कैंसिल करवाया और बाहर से इंप्लांट खरीदकर आपरेशन करवाया।
तमकुही राज निवासी राजेंद्र का भी यही हाल हुआ। तीन नवंबर से वार्ड नंबर तीन के बेड नंबर एक पर भर्ती राजेंद्र के दाएं पैर का पंजा टूटा हुआ था। आयुष्मान से रजिस्ट्रेशन होने के बाद उन्हें भी इंप्लांट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन कई दिनों तक इंतजार के बाद कोई व्यवस्था नहीं हुई। मजबूरी में 13 नवंबर को उन्होंने भी रजिस्ट्रेशन कैंसिल करवाकर इंप्लांट खरीदकर आपरेशन करवाया।
गौरी बाजार निवासी भरत 10 नवंबर से आर्थो वार्ड में भर्ती हैं। सड़क दुर्घटना में उनका दायां पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। डाक्टरों ने कहा कि इंप्लांट आने में समय लग रहा है। या तो इंतजार करिए या बाहर जाकर आपरेशन कराइए। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण भरत न तो बाहर जा पा रहे हैं और न ही इंप्लांट खरीद पा रहे हैं। परिणामस्वरूप वे वहीं बेड पर पड़े इंतजार कर रहे हैं।
कर्मचारियों के अनुसार, इंप्लांट की आपूर्ति का जिम्मा ए गोल्ड सील्ड फार्मा के पास है, जो गोरखपुर राहत कोष निधि से लगने वाले इंप्लांट और आयुष्मान लाभार्थियों के लिए इंप्लांट, दोनों की आपूर्ति करती है। बताया जा रहा है कि कंपनी का लगभग 15 लाख रुपये का भुगतान लंबित है। इसी वजह से इंप्लांट की आपूर्ति रुकी हुई है।
इंप्लांट उपलब्ध कराने वाली कंपनी ने आपूर्ति बंद कर दी है। उसका कहना है कि निर्धारित दर में इंप्लांट उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इसके बाद नये सिरे से टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शीघ्र ही किसी कंपनी को जिम्मेदारी दे दी जाएगी। वह कंपनी नेहरू अस्पताल के अलावा सुपर स्पेशियलिटी में भी इंप्लांट की आपूर्ति करेगी। इससे हृदय व न्यूरो के रोगियों को भी राहत मिलेगी।
-डा. बीएन शुक्ला, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक बीआरडी मेडिकल कालेज

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